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ARTIST VIP MISHRA
भारत के पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना फिल्म जगत का वो भी एक दौर था । ये भी एक दौर है । ©ARTIST VIP. MISHRA #राजेश खन्ना
KAILASH
राजेश खन्ना का जन्म 29 दिसंबर 1942 को पंजाब में अमृतसर में हुआ था। राजेश खन्ना का असली नाम जतीन हैं जिनका पालन पोषण लीलावती चुन्नीलाल खन्ना ने कीया था। लीलावती खन्ना, जो राजेश खन्ना के जैविक माता-पिता के रिश्तेदार थे और उन्होंने राजेश खन्ना को गोद लिया था। राजेश खन्ना के जैविक माता-पिता लाला हिरणंद और चंद्रराणी खन्ना थे जो पूर्व-विभाजन वाले पाकिस्तान से अमृतसर में आकर बस गए थे। राजेश खन्ना एक प्रसिद्ध भारतीय हिंदी फिल्म अभिनेता, फिल्म निर्माता और राजनीतिज्ञ थे। राजेश खन्ना ने कुल मिलाकर 163 फीचर फिल्मों और 17 शार्ट फिल्मों में अभिनय किया है। राजेश खन्ना को "हिंदी फिल्म के मूल सुपरस्टार" के रूप में जाना जाता है। उन्होंने हिंदी फिल्मों मे जो छाप छोड़ी थी वह उन्हें राजनीति में भी घसीट ले गयी। राजेश ने 1984 से ही कांग्रस के लिये प्रचार करना शुरू कर दिया था। इसके बाद वह 1992 में हुए उपचुनाव में नई दिल्ली सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा और बीजेपी के शत्रुघ्न सिन्हा को 25000 वोटों से हराया। और सांसद चुने गये। ©KAILASH राजेश खन्ना साहब
राजेश खन्ना साहब #ज़िन्दगी
read moreArvind Akv
ए दोस्त, आज फिर से याद आया है तू, इस सुंदर कायनात का खूबसूरत सितारा था तू, हर जवां दिल का बस एक तू ही था शाद एहसास, वक़्त की लहरों की रवानी, इनका कहां पता चलता है, गुलज़ार सुर्ख़ चमन हो जाएगा यूँ एक सहरा, न था इम्कान, अरविंद इस महान राजेश खन्ना को दुनिया कभी भी भूल न पाएगी I ©Arvind Akv #ए दोस्त राजेश खन्ना
मेरे ख़यालात.. (Jai Pathak)
चाहत मे उस ख़ुदा के कभी खोकर तो देखो, हर जगह तुम्हे उसका ही नूर नज़र आएगा, जो न हो यकीन तुम्हे कही मेरी बात का, तो दुनिया मे आना तुम्हारा बेमकसद हो जायेगा.. ©मेरे ख़यालात.. (Jai Pathak) #चाहत
Shishpal Chauhan
सोच रहा हूं...... इस बेदर्द दुनिया से दूर चला जाऊं, फिर कभी भी किसी को नजर ना आऊं। जाकर कहीं जंगल में ठिकाना बनाऊं, या सात समुद्र पार आशियाना बनाऊं। सोच रहा हूं...... एक प्यारी-सी पतवार बनाऊं, लेकर उनको बीच समंदर में उतर जाऊं। जहां कोई नजर ना आए, बस शांत माहौल का मंजर ही नजर आए। सोच रहा हूं...... एकांत में जाकर समय बिताऊं, केवल नीले आसमान को निहारता जाऊं। धरती मां को अपने सोने का बिस्तर बनाऊं, दिन रात प्रकृति का ही लुप्त उठाऊं।। सोच रहा हूं...... अपने ख्वाबों के पंख लगाऊं, पशु-पक्षियों को अपना परिवार बनाऊं। पहाड़ों को अपनी ढाल बनाऊं, सूरज से रोशनी और चंदा से शीतल चांदनी पाऊं। ©Shishpal Chauhan # चाहत
# चाहत #कविता
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