Nojoto: Largest Storytelling Platform

New प्रेम नाथ Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about प्रेम नाथ from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, प्रेम नाथ.

Stories related to प्रेम नाथ

    LatestPopularVideo

Kavita Times

प्यार करता हूँ कहना बहुत है सरल, पर प्यार निभाना है पीने जैसा गरल, प्यार करनें वाले यूँ होते नही है सरल, प्यार के ही लिए मीरा ने पीया गरल।

read more

Kavita Times

वास्तव मे प्यार तो एक समर्पण है, प्यार तो एक दूजे के प्रति अर्पण है, कौन कितना किसके प्रति है समर्पित, यह तो उस जीव के उपर निर्भर है। वास्त

read more
वास्तव मे प्यार तो एक समर्पण है,
प्यार तो एक दूजे के प्रति अर्पण है,
कौन कितना किसके प्रति है समर्पित,
यह तो उस जीव के उपर निर्भर है।

वास्तव मे प्यार तो एक लगाव है,
प्यार जीव के अन्तर्मन का भाव है,
वास्तव मे यूँ प्यार तो एक संघर्ष है,
प्यार है तभी प्राणी के जीवन मे हर्ष है।

@ प्रेम नाथ द्विवेदी वास्तव मे प्यार तो एक समर्पण है,
प्यार तो एक दूजे के प्रति अर्पण है,
कौन कितना किसके प्रति है समर्पित,
यह तो उस जीव के उपर निर्भर है।

वास्त

N S Yadav GoldMine

#Dhanteras (शिव पुराण):- एक बार सुमेरु पर्वत पर बैठे हुए ब्रम्हाजी के पास जाकर देवताओं ने उनसे अविनाशी तत्व बताने का अनुरोध किया, शिवजी की म #पौराणिककथा

read more
(शिव पुराण):-
एक बार सुमेरु पर्वत पर बैठे हुए ब्रम्हाजी के पास जाकर देवताओं ने उनसे अविनाशी तत्व बताने का अनुरोध किया, शिवजी की माया से मोहित ब्रह्माजी उस तत्व को न जानते हुए भी इस प्रकार कहने लगे - मैं ही इस संसार को उत्पन्न करने वाला स्वयंभू, अजन्मा, एक मात्र ईश्वर , अनादी भक्ति, ब्रह्म घोर निरंजन आत्मा हूँ| 
{Bolo Ji Radhey Radhey}
मैं ही प्रवृति उर निवृति का मूलाधार , सर्वलीन पूर्ण ब्रह्म हूँ | ब्रह्मा जी ऐसा की पर मुनि मंडली में विद्यमान विष्णु जी ने उन्हें समझाते हुए कहा की मेरी आज्ञा से तो तुम सृष्टी के रचियता बने हो, मेरा अनादर करके तुम अपने प्रभुत्व की बात कैसे कर रहे हो ? 

 इस प्रकार ब्रह्मा और विष्णु अपना-अपना प्रभुत्व स्थापित करने लगे और अपने पक्ष के समर्थन में शास्त्र वाक्य उद्घृत करने लगे| अंततः वेदों से पूछने का निर्णय हुआ तो स्वरुप धारण करके आये चारों वेदों ने क्रमशः अपना मत६ इस प्रकार प्रकट किया - 

 ऋग्वेद- जिसके भीतर समस्त भूत निहित हैं तथा जिससे सब कुछ प्रवत्त होता है और जिसे परमात्व कहा जाता है, वह एक रूद्र रूप ही है | 

 यजुर्वेद- जिसके द्वारा हम वेद भी प्रमाणित होते हैं तथा जो ईश्वर के संपूर्ण यज्ञों तथा योगों से भजन किया जाता है, सबका दृष्टा वह एक शिव ही हैं| 

 सामवेद- जो समस्त संसारी जनों को भरमाता है, जिसे योगी जन ढूँढ़ते हैं, और जिसकी भांति से सारा संसार प्रकाशित होता है, वे एक त्र्यम्बक शिवजी ही हैं | 

 अथर्ववेद- जिसकी भक्ति से साक्षात्कार होता है और जो सब या सुख - दुःख अतीत अनादी ब्रम्ह हैं, वे केवल एक शंकर जी ही हैं| 

 विष्णु ने वेदों के इस कथन को प्रताप बताते हुए नित्य शिवा से रमण करने वाले, दिगंबर पीतवर्ण धूलि धूसरित प्रेम नाथ, कुवेटा धारी, सर्वा वेष्टित, वृपन वाही, निःसंग,शिवजी को पर ब्रम्ह मानने से इनकार कर दिया| ब्रम्हा-विष्णु विवाद को सुनकर ओंकार ने शिवजी की ज्योति, नित्य और सनातन परब्रम्ह बताया परन्तु फिर भी शिव माया से मोहित ब्रम्हा विष्णु की बुद्धि नहीं बदली | 
 उस समय उन दोनों के मध्य आदि अंत रहित एक ऐसी विशाल ज्योति प्रकट हुई की उससे ब्रम्हा का पंचम सिर जलने लगा| इतने में त्रिशूलधारी नील-लोहित शिव वहां प्रकट हुए तो अज्ञानतावश ब्रम्हा उन्हें अपना पुत्र समझकर अपनी शरण में आने को कहने लगे| 

 ब्रम्हा की संपूर्ण बातें सुनकर शिवजी अत्यंत क्रुद्ध हुए और उन्होंने तत्काल भैरव को प्रकट कर उससे ब्रम्हा पर शासन करने का आदेश दिया| आज्ञा का पालन करते हुए भैरव ने अपनी बायीं ऊँगली के नखाग्र से ब्रम्हाजी का पंचम सिर काट डाला| भयभीत ब्रम्हा शत रुद्री का पाठ करते हुए शिवजी के शरण हुए|ब्रम्हा और विष्णु दोनों को सत्य की प्रतीति हो गयी और वे दोनों शिवजी की महिमा का गान करने लगे| यह देखकर शिवजी शांत हुए और उन दोनों को अभयदान दिया| 

 इसके उपरान्त शिवजी ने उसके भीषण होने के कारण भैरव और काल को भी भयभीत करने वाला होने के कारण काल भैरव तथा भक्तों के पापों को तत्काल नष्ट करने वाला होने के कारण पाप भक्षक नाम देकर उसे काशीपुरी का अधिपति बना दिया | फिर कहा की भैरव तुम इन ब्रम्हा विष्णु को मानते हुए ब्रम्हा के कपाल को धारण करके इसी के आश्रय से भिक्षा वृति करते हुए वाराणसी में चले जाओ | वहां उस नगरी के प्रभाव से तुम ब्रम्ह हत्या के पाप से मुक्त हो जाओगे |

 शिवजी की आज्ञा से भैरव जी हाथ में कपाल लेकर ज्योंही काशी की ओर चले, ब्रम्ह हत्या उनके पीछे पीछे हो चली| विष्णु जी ने उनकी स्तुति करते हुए उनसे अपने को उनकी माया से मोहित न होने का वरदान माँगा | विष्णु जी ने ब्रम्ह हत्या के भैरव जी के पीछा करने की माया पूछना चाही तो ब्रम्ह हत्या ने बताया की वह तो अपने आप को पवित्र और मुक्त होने के लिए भैरव का अनुसरण कर रही है | 

 भैरव जी ज्यों ही काशी पहुंचे त्यों ही उनके हाथ से चिमटा और कपाल छूटकर पृथ्वी पर गिर गया और तब से उस स्थान का नाम कपालमोचन तीर्थ पड़ गया | इस तीर्थ मैं जाकर सविधि पिंडदान और देव-पितृ-तर्पण करने से मनुष्य ब्रम्ह हत्या के पाप से निवृत हो जाता है.. By N S Yadav ...

©N S Yadav GoldMine #Dhanteras (शिव पुराण):-
एक बार सुमेरु पर्वत पर बैठे हुए ब्रम्हाजी के पास जाकर देवताओं ने उनसे अविनाशी तत्व बताने का अनुरोध किया, शिवजी की म

divya bisht

#नाथों के नाथ भोले नाथ #पौराणिककथा

read more

Deepa Jio

आदि नाथ शंकरा भोले नाथ शंकरा

read more

अविरल अनुभूति

रंग नाथ #Holi

read more

हेयर स्टाइल by mv

#शंभू नाथ# #मीम

read more

Vikram123

बोला नाथ #जानकारी

read more

Arjun Nath

अर्जुन नाथ #ਸ਼ਾਇਰੀ

read more
रिजनिंग अटारी भाई जान होली गाना की विक्रमपुरा जोबना की उसी का काली रात वाला झूला राजस्थान बुखारी बिजल गड़ा महिला या को पीटा बांझाई कसारी बांसवाड़ा सूची 83 काम आ जाए रणथंबोर वसूली की गाना डीडी नेशनल क्या भाई खाना मेरो महाराष्ट्र ऐसी कई कई है बहुरा जो गाना ना राम लवादर बेवफा तू नायक का गाना पति की कठिनाई पाटन इंद्राणी फल खाना दुनिया भुला एक छोटी जाऊं बबलू मेरी कसारी भूल जाऊं रामराजा लोचन का रामराजा लो सिमॉनसन गई सीतापुर लंका जो मैं तो फिर क्यों नहीं हुई ना लाइसेंस आया तो गुरु मंसूरी दिल पर लगी दिल की गली से बचके जी देवड़ा खेल खेलने डब्लू डब्लू आधार जोधपुर दरबार चेराई कोची

©Arjun Nath अर्जुन नाथ

Mr.HARINARAYAN GURJAR

भोले नाथ #कॉमेडी

read more
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile