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RUPESH Kr SINHA
.,................................. ©RUPESH Kr SINHA मन साफ़ सब साफ़
मन साफ़ सब साफ़
read moreParasram Arora
White वे भी क्या दिन थे ज़ब मै ठहाके मार कर हँसा करता था बिना शिकायत के जिंदगी बसर करता था छोटे छोटे खबाब देख कर जिंदगी के दिन काट लिया करता था रफ्ता रफरता वक़्त गुजरता गया और बचपन पीछे छुटता गया और मै जवान होता गया ©Parasram Arora भी क्या दिन थे
भी क्या दिन थे
read moreusFAUJI
Google हजारों जवाबों से अच्छी हैं मेरी ख़ामोशी न जाने कितने सवालों की आबरू रखीं डॉ मनमोहन सिंह -------------------------- १९३२-२०२४ ©usFAUJI एक महान् शख्सियत जों मौन रहकर भी सब-कुछ ब्यां कर देते थे। #RIP #Manmohan_Singh_Dies #Life
एक महान् शख्सियत जों मौन रहकर भी सब-कुछ ब्यां कर देते थे। #RIP #Manmohan_Singh_Dies Life
read moreAnamika Raj
White शुरुआत में तो सब अपने लगते हैं मसला तो अंत तक का है!❣️ ©Anamika Raj शुरुआत में तो सब अपने लगते हैं मसला तो अंत तक का है!❣️
शुरुआत में तो सब अपने लगते हैं मसला तो अंत तक का है!❣️
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी घुटन कियो लिबासों में हो रही है फेशनो के नाम पर नंगेपन की नुबायस हो रही है सादगी अंगों की बनी रहे सभ्यताओं के कपड़े पहनाये थे लगता है बाजारू रुख असभ्यताओ को निमंत्रण दे रहा है फले फूले बाजार,कट लिबास कर अंगप्रदर्शन को तज्जबो दे रहा है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #chaandsifarish सभ्यताओं के कपड़े पहनाये थे
#chaandsifarish सभ्यताओं के कपड़े पहनाये थे
read moreManju Vashishtha
रोएं भी तो किसके गले लग कर इस शहर में तो सभी पराए हैं हर चेहरा अनजाना है ©Manju Vashishtha #सब
Manju Vashishtha
रोएं भी तो किसके गले लग कर हर रिश्ते ने ठुकराया है हाथ मेरे बस ग़म आया है ©Manju Vashishtha #सब
Shashi Bhushan Mishra
आस्तीन के साँप बहुत थे फुर्सत में जब छाँट के देखा, झूठ के पैरोकार बहुत थे आसपास जब झाँक के देखा, बाँट रही खैरात सियासत मेहनतकश की झोली खाली, नफ़रत की दीवार खड़ी थी अल्फ़ाज़ों को हाँक के देखा, जादू-टोना, ओझा मंतर, पूजा-पाठ सभी कर डाले, मिलती नहीं सफलता यूँही धूल सड़क की फाँक के देखा, धरती से आकाश तलक की यात्रा सरल कहाँ होती है, बड़ी-बड़ी मीनारों से भी करके सीना चाक के देखा, कदम-कदम चलता है राही दिल में रख हौसला मिलन का, मंज़िल धुँधला दिखा हमेशा सीध में जब भी नाक के देखा, चलना बहुत ज़रूरी 'गुंजन' इतनी बात समझ में आई, हार-जीत के पैमाने पर ख़ुद को जब भी आँक के देखा, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' ©Shashi Bhushan Mishra #आस्तीन के सांप बहुत थे#
#आस्तीन के सांप बहुत थे#
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