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नवनीत ठाकुर
इक सदी तक तो तमन्ना का सफ़र चलता रहा ओ नवनीत, फिर मुक़द्दर ने लिखी आख़िरी निशानी अपनी। ख़्वाब टूटे तो लगा जाग उठी है दुनिया, वरना हर नींद में थी सोई कहानी अपनी। चाहतें छोड़ के कुछ दर्द समेटे हमने, ये अमानत भी तो थी जान से प्यारी अपनी। कौन समझेगा ये अफ़साना-ए-ग़म का मंज़र, जब भी रोए हैं तो बस याद थी जवानी अपनी। जिनसे उम्मीद थी वो दूर नज़र आए हमें, छोड़ बैठे हैं वही राहगुज़ारी अपनी। हमने चाहा था जिसे, उसने भुला डाला हमें, और दुनिया से छुपा ली नज़्म सारी अपनी। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर इक सदी तक तो तमन्ना का सफ़र चलता रहा ओ नवनीत, फिर मुक़द्दर ने लिखी आख़िरी निशानी अपनी। ख़्वाब टूटे तो लगा जाग उठी है दुनिया, व
#नवनीतठाकुर इक सदी तक तो तमन्ना का सफ़र चलता रहा ओ नवनीत, फिर मुक़द्दर ने लिखी आख़िरी निशानी अपनी। ख़्वाब टूटे तो लगा जाग उठी है दुनिया, व
read moreEpic Echo
बिल्ला चिराग हिला कर जिन्न बन गया 🌚😂। EpicEcho । #shortsvideo wcomedy" class="text-blue-400" target="_blank">wcomedy video wcomedy" class="text-blue-400" target="_blank">wcomedy
read moreनवनीत ठाकुर
White गुफ़्तगू थी जिनसे, अब खामोशियाँ हैं बाकी, साथ जो चलते थे, वो कारवां ठिकाने गए। नक़ाबों के पीछे छुपी थी जो असलियत, मगर इतना तो हुआ, कुछ चेहरे पहचानने गए। इक हल्की सी लहर ने सारा दरिया हिला दिया, वक्त की शिद्दत से कुछ अरमाँ तक उड़ने गए। जो साथ थे कभी, अब दिलों में दूरियाँ बन गईं, लेकिन उन दूरियों से कुछ रिश्ते नया रंग लेने गए। अल्फाज़ वो जो कभी मुस्कान से बयाँ होते थे, वो अब चुप्पियों में छुप कर रह जाने गए। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर गुफ़्तगू थी जिनसे, अब खामोशियाँ हैं बाकी, साथ जो चलते थे, वो कारवां ठिकाने गए। नक़ाबों के पीछे छुपी थी जो असलियत, मगर इतना त
#नवनीतठाकुर गुफ़्तगू थी जिनसे, अब खामोशियाँ हैं बाकी, साथ जो चलते थे, वो कारवां ठिकाने गए। नक़ाबों के पीछे छुपी थी जो असलियत, मगर इतना त
read moreRakesh frnds4ever
White मौत ने ज़माने को ये समा दिखा डाला कैसे कैसे रुस्तम को खाक में मिला डाला याद रख सिकन्दर के हौसले तो आली थे जब गया था दुनिया से दोनो हाथ खाली थे अब ना वो हलाकू है और ना उसके साथी हैं जंग जो न कोरस है और न उसके हाथी हैं कल जो तनके चलते थे अपनी शान-ओ-शौकत पर शमा तक नही जलती आज उनकी तुरबत पर अदना हो या आला हो सबको लौट जाना है - २ मुफ़्हिलिसों का अन्धर का कब्र ही ठिकाना है - २ जैसी करनी ... जैसी करनी वैसी भरनी आज किया कल पायेगा सरको उठाकर चलनेवाले एक दिन ठोकर खायेगा चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता है ढल जायेगा - २ ढल जायेगा ढल जायेगा - २ ,,,,,,,,,,,,,,,,, 2 ,,,,,,,,,,,,,,,,,, ©Rakesh frnds4ever मौत ने #ज़माने को ये समा दिखा डाला कैसे कैसे #रुस्तम को खाक में मिला डाला याद रख #सिकन्दर के हौसले तो आली थे जब गया था #शान _ओ_शौकत पर शमा
नवनीत ठाकुर
White हिंदू न खतरे में था, न है न कभी ये रहेगा, डर का व्यापार करने वाला, खुद सजेगा। करोड़ों की आबादी बड़ा ली हमने, बताओ सच, तो फिर डर किस बात का। गुणवत्ता की जरूरत है, न कि मात्रा की, संख्या का क्या मोल, जब कमी हो ज्ञान की। प्लासी की लड़ाई भी सबक सिखा गई, इतनी बड़ी आबादी मुठ्ठी भर अंग्रेजों से हार गई। आज चंद यहूदियों ने दुनिया हिला दी, कर्म और बुद्धि से किस्मत बना दी। तो क्यों न हम अपने को मज़बूत बनाएं, गुण और शिक्षा से नई रीत लाएं। जरूरत है पुरुषार्थ की, परमार्थ की, धर्म को समझने वाले सच्चे विचार की। राजनीति की रोटियां सेंकना छोड़ो, धर्म को हथियार बनाना अब मोड़ो। आत्मबल से जीतें, प्रेम का दीप जलाएं, हिंदूत्व का मतलब सही सबको समझाएं। हिंदुत्व सिर्फ धर्म नहीं, बल्कि जीने का तरीका है, हर मनुष्य के उत्थान की सच्ची अभिव्यक्ति का तरीका है। ©नवनीत ठाकुर #हिंदू न खतरे में था, न है न कभी ये रहेगा, डर का व्यापार करने वाला, खुद सजेगा। करोड़ों की आबादी बड़ा ली हमने, बताओ सच तो फिर डर किस बात का।
#हिंदू न खतरे में था, न है न कभी ये रहेगा, डर का व्यापार करने वाला, खुद सजेगा। करोड़ों की आबादी बड़ा ली हमने, बताओ सच तो फिर डर किस बात का।
read moreYashpal Sharma&J.K
तुम्हें याद रखने का मेरा अंदाज थोड़ा निराला है, मैंने तुम्हें तस्वीरों में नहीं, शब्दों में सम्भाला है। कभी लिख दी दो लाइन की शायरी, तुम पर... तो कभी तुम्हारी यादों में पूरा खाली पन्ना ही भर डाला है।। ©Yashpal Sharma&J.K तुम्हें याद रखने का मेरा अंदाज थोड़ा निराला है, मैंने तुम्हें तस्वीरों में नहीं, शब्दों में सम्भाला है। कभी लिख दी दो लाइन की शायरी, तुम प
तुम्हें याद रखने का मेरा अंदाज थोड़ा निराला है, मैंने तुम्हें तस्वीरों में नहीं, शब्दों में सम्भाला है। कभी लिख दी दो लाइन की शायरी, तुम प
read moreloyal_lyrics
बेजुबान शायर shivkumar
// छठ पर्व // कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में, आता पर्व महान, सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान. चार दिवस का पर्व अनोखा, युगों से चलती आई, सीता मैया, कर्ण और पांडव, साथ में कुंती माई. भक्ति भाव उमड़ पड़ता है, करते सब गुणगान, सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान. प्यारी बहना दिनकर की हैं, षष्ठी तिथि है प्यारी, कृपा सिंधु हैं आप हे मैया, जग देता बलिहारी. डाला सूप सजाये कहते, आ जाओ दिनमान, सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान. आम की लकड़ी, नारियल, संतरा, मूली, ठेकुआ, केला, घाट सजे हैं सुंदर -सुंदर, कितना मोहक बेला. अमरुद, पान, सुपारी, गन्ना, विविध बने पकवान, सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान. जल में व्रती हाथ हैं जोड़े, सुख-समृद्धि मांगे, अंतस का तम दूर करो माँ, और न हम कुछ चाहें. कोढ़िया, दुखिया, बाँझ, गरीबी, सबका करते त्राण, सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान. ©बेजुबान शायर shivkumar 👏जय छठी माँ 👏 कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में, आता पर्व महान, सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान. चार दिवस का पर्व अनोखा, युगों से
👏जय छठी माँ 👏 कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में, आता पर्व महान, सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान. चार दिवस का पर्व अनोखा, युगों से
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