Find the Latest Status about वहश from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, वहश.
Garima Singh
कितना बदल गया वह शख्स जो कल तक मेरा तलबगार था अब तो मेरे वजूद से भी नफ़रत है उसे ©Garima Singh #वहशख्स
Arora PR
वहशत की बस्ती मे गुनहगारो द्वारा जुलम होना तो लाज़मी है इन दहशतगर्दो को सुधारने के लिए तो सुधारको की पूरी ज़नात होनी चाहिए ©Arora PR वहशत
Parasram Arora
हम ही है वो वहशी बशिंदे इस खूबसूरत जहाँ के जिनकी वजह से इंसानियत शर्मसार हुई है हम हीं है वो वहशी खूखार साम्प्रदायिक मजहबी जिनके हाथो से ये बस्तीया जल कर राख़ हुई है हम तो आज भी पँख फड़फड़ाकर आसमान में उड़ रहे है हम ही है वो संकलपित हैवान जिन्होंने कभी न सुधरने की कसम खाई है शायद आप नही जानते कि हमी ने गोलिया बारूद और आधुनिक बमो का आविशकार किया था और इनकी मदद से ही हमने अनगिनित बस्तियों . की जिंदगीया बुझाई है ©Parasram Arora वहशी...
Sunita Bishnolia
पानी-पानी जग हुआ,देखा ऐसा काज, आँखों का पानी मरा,तन नोचा बन बाज।। फूलों को कुचलने वाले वहशियो .....
Parasram Arora
मौत की नपुसंकता देखो कि वो केवल मेरा कल छीन सकती हैं लेकिन आज तो सिर्फ मेरा हैं... मेरे आजको वो छीन सकती नही न जाने इस वहशत ने कितनो. को गिराया कितनो को हटाया पर बनने का क्रम इस जगत में कभी रुका नही ©Parasram Arora वहशत....
संजय श्रीवास्तव
ये गजल हमारे समाज मे पल रहे वहशीपन को ध्यान में रखकर लिखी गयी है! अगर किसी के दिल में मासूम की वेदना उतार पाया तो शायद मेरा प्रयास सफल हो। ============================ अम्मा वापस चल अपना ये,गांव शहर सा लगता है कौन है अपना कौन पराया ,सबसे डर सा लगता है बेखौफ घूमते रहते थे, हम घर से ताल तलैया तक अब तो नदिया का पानी ,मुझको भंवर सा लगता है गुजरे कैसे बचपन मेरा,इन हवस के भुखे दरिंदो में उस गंदे अंकल का टाफी, मुझको जहर सा लगता है टूटी गयी मर्यादायें अब , रिश्तों नातों के बंधन से जिसको गंगा समझे हो, वो कोई गटर सा लगता है चुल्लू भर पानी में क्यूँ तुम, डूब मरे नहीं संजय जो मासूमों की चीखों से भी ,बेअसर सा लगता है संजय श्रीवास्तव वहशी दरिंदे
Gautam_Anand
किसी भी आदमी में अब कोई ग़ैरत नहीं है; अपनी हद में रहने को सभी क़ानून ढूँढ़ते हैं। अपनी वहशतों पर अब किसी को संयम नहीं है; स्त्रीगंध में बौराये, नोचने को देह; नाख़ून ढूँढ़ते हैं। बेखौफ़ हैं वहशी दरिंदे; यहाँ आदमी की शक्ल में, सृष्टि के आधार में जो, मादक देह और खून ढूँढते हैं। मोमबत्तियों की रौशनी में, आग अब मिलती कहाँ है ; भेड़ियों के अंत को रग़ों में, पुरुषार्थ का जूनून ढूँढ़ते हैं। क्या बचाएगा कोई क़ानून, किसी अबला की अस्मत को; अब आदमी की परवरिश में, संस्कारों के मज़मून ढूँढ़ते हैं। कोई सत्ता, कोई क़ानून, ज़हनियत को रोकती कब है; मरी हुई संवेदनाओं हम, केवल ढोंग का सुकून ढूँढ़ते हैं। बेमानी है ये मीडिया, ख़बरों, नेताओं को यूँ कोसते रहना; असभ्य हो गए हैं हम और इन मुर्दों में नाख़ून ढूँढ़ते हैं। #वहशत
विद्रोही
आलम ये है कि हम बेचैन हैं , तु अपने बालों को खुला छोड़ दे ! बहशत हैं की दिल से जाती नहीं , तू गैरों से पर्दा किया कर ..!! ©विद्रोही वहशत ...!! #Love
kavi manish mann
देख मुल्क-ए-हालात बेचैनी है, आ रहे बुरे ख्यालात बेचैनी है। आदमी आदमी न रहा इस दौर में, आदमी हो चुका हैवान बेचैनी है। इस दौर-ए-हुक़ूमत में ये सिला मिला, दरिंदे हो रहे बेख़ौफ़ बेचैनी है। वहशी हुए आदम की संतानें, अदमियत ख़तरे में है आज बेचैनी है। #mulk #khauf #वहशीपन #मौर्यवंशी_मनीष_मन #ग़ज़ल_मन
Anil Prasad Sinha 'Madhukar'
आज एक बहन फिर हमसे जुदा हो गई छोड़कर इस पापी जहाँ को खुदा हो गई, उस बहन पर भेड़ियों की नज़र गड़ गई वहशीपन की शिकार हो बली चढ़ गई, हर बहन की इज्जत सुरक्षित हो यही कामना करता हूँ उनकी आत्मा को चिर शांति मिले बस यही प्रार्थना करता हूँ। #yourquotes #वहशी #didiquote #anil_madhukar