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Shashi Bhushan Mishra
White झूठ फ़रेब के ताने-बाने, बनते फिरते लोग सयाने, ख़ुदगर्जी है आदत उनकी, औरों की ख़ातिर पैमाने, भाग खड़े होते मौके पर, करते फिरते झूठ बयाने, औरों पर रखते निगाह जो, करे गलत जाने-अनजाने, शक की सूई बचाती आई, लोग समझते जाने-माने, करतब जग-जाहिर होने पे, रोज बदलते नये ठिकाने, कर्मों का फल पड़े भुगतना, 'गुंजन' यहाँ न चले बहाने, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ• प्र • ©Shashi Bhushan Mishra #बनते फिरते लोग सयाने#
Ravinder Kaushik
White जिंदगी का सफर भी कहाँ आसान है। उम्र निकल जाती है, जिंदगी का सफर तय करते -करते। फिर भी मन चाही मंजिल नही मिलती। ©Ravinder Kaushik #मंजिल
writer....Nishu...
White कदमों को ना जाने किस मंजिल की तलाश हैं लफ्ज़ निकलते नहीं होठों को अल्फ़ाज़ों की प्यास हैं भटकता फिर रहा हूँ दरबदर मेरी रूह को भी सुकून मिलने की आश हैं जिस्म तो हैं चलता फिरता मुसाफिर मगर दिल मेरा इक जिन्दा लाश हैं बहुत दूर चल आया यूँ तो चलते चलते मैं फिर भी ना क्यूँ कदमों को मेरे किस मंजिल की तलाश हैं ©writer....Nishu... #कौनसी मंजिल हैं किसकी तलाश हैं
Ramnik
White मुश्किलों मुसीबतों से बहुत करली यारी दोस्ती। अब ये भी देख ले, कैसा लगता है जब मिलती है मंजिले।। ©Ramnik #मंजिल
विष्णु कांत
White अगर मंजिल को पाना है तो, आपको सही मार्ग पर चलना पड़ेगा। वरना मृग की तरह, कस्तूरी की सुगंध किधर से आ रही.. यह मालूम करने में संपूर्ण जीवन गंवा दोगे। ©विष्णु कांत #मंजिल
ASHISH BARMAIYA
मंजिल है मेरी राह नही, चाहत है मेरी मैं किसी की चाह नहीं।। ©ASHISH BARMAIYA मंजिल
Tarun Rastogi kalamkar
दिल में लिए जीत का जज्बा अपनी राह बनानी है ! राहों की हर अडचन को मैंने ठोकर मार भगानी है। निकल पडा हूँ हिम्मत करके अपनी मंजिल पाने को, किस्मत का लिखा बदलने की मैंने मन में ठानी है! ©Tarun Rastogi kalamkar #मंजिल
amar gupta
Village Life कुछ तो कोशिश कर तू भी मुझे पाने के लिये मुसाफिर ... मैं मंजिल हूँ ! अगर तुझे आसानी से मिल गयी तो, तू मेरी कदर नही करेगा। ©amar gupta #मंजिल
arvind bhanwra
में तलाश मे हूं जिस मंजिल की नही दूर थी। प्रयास कम, श्रम नम फितरत मे गूरूर सब को समझा मेरी जागीर थी। ©arvind bhanwra मंजिल