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RJ कैलास नाईक

तुझ्या आरक्त गालावर

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 तुझ्या आरक्त गालावर

Amit Ranjan

ज्वर संताप... #myvoice #Society

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Shilpa

सांसें भारी है और आँखें भी नम है जिस्म को आया तेरे इश्क़ का ज्वर है 2019shilpapandya #शायरी #nojotophoto

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 सांसें  भारी है और आँखें भी नम है
जिस्म को आया तेरे इश्क़ का ज्वर है
    2019#shilpapandya

Shivank Shyamal

ये इश्क़ का ज्वर नहीं, तुम्हारा ख़ुमार है। जो दिन-रात ना उतरे, ये वही बुख़ार है।। यार इसको कौड़ियों में ना बेच पाओगे तुम। ये किलो भर आलू नह

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ये इश्क़ का ज्वर नहीं, तुम्हारा ख़ुमार है।
जो दिन-रात ना उतरे, ये वही बुख़ार है।।

यार इसको कौड़ियों में ना बेच पाओगे तुम।
ये किलो भर आलू नहीं, बेहिसाब प्यार है।।

Shivank Srivastava 'Shyamal' ये इश्क़ का ज्वर नहीं, तुम्हारा ख़ुमार है।
जो दिन-रात ना उतरे, ये वही बुख़ार है।।

यार इसको कौड़ियों में ना बेच पाओगे तुम।
ये किलो भर आलू नह

RJ कैलास नाईक

#अशांत मनात काही उद्विग्न सवाल झाले बरसलेल्या शब्दांचे कितीतरी बवाल झाले ओल होती नात्यात खोलवर रुजलेली तरी मनाचे बेमौसमी उगाच हाल झाले मंज

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अशांत मनात काही उद्विग्न सवाल झाले
बरसलेल्या शब्दांचे कितीतरी बवाल झाले

ओल होती नात्यात खोलवर रुजलेली
तरी मनाचे बेमौसमी उगाच हाल झाले
shwas tu maza
मंजुळ स्वरांची साद येता तिची पहाटेला
बेसूरे आलाप भूपाळी बनून सूर ताल झाले 

नाकावरचा राग फुलवत होता श्वास कधीचा
भेदक नजर पण आरक्त गाल लाल झाले

प्रेमाचे सोहळे रोज सजतात नवनवे कैलास
तिच्या सहवासात जीवन मालामाल झाले

             RJ कैलास #अशांत मनात काही उद्विग्न सवाल झाले
बरसलेल्या शब्दांचे कितीतरी बवाल झाले

ओल होती नात्यात खोलवर रुजलेली
तरी मनाचे बेमौसमी उगाच हाल झाले

मंज

लफ्ज़-ए-राज...

साथियों दो दिनों से स्वास्थ्य नहीं ठीक है ज्वर, गले में दर्द और सांस लेने में काफी दिक्कत हो रही है।।। जो भी साथी पिछले दिनों मुझसे मिले हैं #CityEvening

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साथियों दो दिनों से स्वास्थ्य नहीं ठीक है
ज्वर, गले में दर्द
और
सांस लेने में काफी दिक्कत हो रही है।।।
जो भी साथी पिछले दिनों मुझसे मिले हैं
वे लोग एहतियातन अपने आपको कुछ दिनों के लिए आईसोलेट कर लें।।।
कृपया जांच ना करवाएं,
क्योंकि जांच का परिणाम तो *सकारात्मक(पॉजीटिव)*
ही आना है।
@ianilraj01 साथियों दो दिनों से स्वास्थ्य नहीं ठीक है
ज्वर, गले में दर्द
और
सांस लेने में काफी दिक्कत हो रही है।।।
जो भी साथी पिछले दिनों मुझसे मिले हैं

Ritesh Ranjan

सीलन थोड़ी बड़ी है अर्श,फर्श,मन–बिस्तर की गंध फिर फैल गई विजय–माल या हार की ज्वर ताप से तपित शरीर लक्ष्य लौ से दीपित कुटिर प्रगति पथ पर एक औ #yqbaba #yqdidi #yqtales #yqhindi #yqquotes #Silan #seepage #postfacts

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सीलन थोड़ी बड़ी है
अर्श,फर्श,मन–बिस्तर की
गंध फिर फैल गई
विजय–माल या हार की

ज्वर ताप से तपित शरीर
लक्ष्य लौ से दीपित कुटिर
प्रगति पथ पर एक और नाका
हां नाका मात्र था बस..

जो जीत से सफर धीमी होती
सो रंजन,रंजन हो लिया
पुनः पारंपरिक तौर से फिर हारा
और सब जीत लिया..
और सब जीत लिया... सीलन थोड़ी बड़ी है
अर्श,फर्श,मन–बिस्तर की
गंध फिर फैल गई
विजय–माल या हार की
ज्वर ताप से तपित शरीर
लक्ष्य लौ से दीपित कुटिर
प्रगति पथ पर एक औ

सुसि ग़ाफ़िल

हर कदम पर तू बीमार नजर आ रहा है तेरा चेहरा मुझे लाचार नजर आ रहा है वैसे तो रसायन की गोलियां

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हर कदम पर तू 
बीमार नजर आ रहा है

तेरा चेहरा मुझे 
लाचार नजर आ रहा है

वैसे तो 
रसायन की गोलियां 
ले लेती है जिंदगी भी

परंतु इश्क में तो 
इनका असर भी 
बेअसर नज़र आ रहा है

ज्वर तपन ताप सब
एक कोने में बैठे हैं सब

सबकी नजर मुझ पर 
परंतु मुझे इश्क खा रहा है |

कोई भी वैध नहीं है इलाज को मेरे
मुझे तू या फिर खुदा नजर आ रहा है| हर कदम पर तू 
बीमार नजर आ रहा है

तेरा चेहरा मुझे 
लाचार नजर आ रहा है

वैसे तो 
रसायन की गोलियां

बी.सोनवणे

*उपक्रम* *(अष्टाक्षरी काव्य)* *विषय :- धुंद झाली आज प्रीत* नजरेच्या इशार-याने नकळत ही जडली, धुंद झाली आज प्रीत अबोल्यात गं जुळली...!!१!!

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"धुंद झाली आज प्रीत"

नजरेच्या इशार-याने
नकळत ही जडली,
धुंद झाली आज प्रीत
अबोल्यात गं जुळली...!!१!!

मनी दाटला सखये 
प्रेमाचाच गं ओलावा,
रुजवली हृदयांत 
प्रेमांकुर शिडकावा...!!२!!
 
वेडापिसा जीव झाला
माझा हरपले सारे,
भान हे राहेना सये
वाहे प्रीत ज्वर वारे...!!३!!

धुंद झाली प्रीत आज 
कसा सावरू स्वतःला, 
साथ तुझीच जीवनी
साद घातली मनाला...!!४!!

क्षणभर विसरून 
धुंद झाली प्रीत आज,
हात हाती दे वचन 
फुले प्रेमाचाच साज...!!५!!

✒बी.सोनवणे
           मुंबई *उपक्रम*
*(अष्टाक्षरी काव्य)*
*विषय :- धुंद झाली आज प्रीत*

नजरेच्या इशार-याने
नकळत ही जडली,
धुंद झाली आज प्रीत
अबोल्यात गं जुळली...!!१!!

R.S. Meena

#rsmalwar #yqdidi इन्द्रियाँ इन्द्रियों को वश में करना अब किसी के बस में नहीं। कर सके जो भीष्म सी प्रतिज्ञा, ऐसा तो जग में नहीं।। आधुनिकता

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इन्द्रियाँ
इन्द्रियों को वश में करना अब किसी के बस में नहीं।
कर सके जो भीष्म सी प्रतिज्ञा, ऐसा तो जग में नहीं।।

आधुनिकता का दोष है इसमें या है कोई पागलपन,
बात-बात पर ताप बढ़ जाएँ, हो ज्वर से जलता तन।
ज्वार-भाटा की घड़ी आने पर, पकड़ से दूर जाता मन,
उतरे जब ज्वर शरीर का, प्रायश्चित करने को जाता वन।

चैन की नींद खरीदने की ताकत किसी धन में नहीं।
इन्द्रियों को बस में करना अब किसी के बस में नहीं।

आविष्कारों की भेंट चढ़ गई प्रकृति की अनुपम छाया,
बहुमंजिला इमारतों में वातानुकुलित यंत्रों को अद्भुत माया।
प्राकृतिक फलों के रस को छोड़ के, पीते कृत्रिम पदार्थ
जहर से जहर बने शरीर में, जो पल में हो जाएँ चरितार्थ।

शुद्ध हवा में विष मिलाना, अब किसी के हक में नहीं।
इन्द्रियों, को बस में करना अब किसी के बस में नहीं।

संस्कृति की राह छोड कर,  धुमिल हो रही भूमि पावन,
खान-पान का समय ना जाने, दुषित करते अपना दामन।
वाणी पर फिर संयम खोते, मद में रहते पीके नशीला पाणी,
मर्यादा की कोई बात ना सुने, विनाश की ओर जाता प्राणी।

मर्यादा में रह ले, ऐसी भावना किसी के मन में नहीं।
इन्द्रियों को बस में करना अब किसी के बस में नहीं। #rsmalwar #yqdidi 
इन्द्रियाँ
इन्द्रियों को वश में करना अब किसी के बस में नहीं।
कर सके जो भीष्म सी प्रतिज्ञा, ऐसा तो जग में नहीं।।

आधुनिकता
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