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gaTTubaba
किसी और का हो जाता था मैं अगर तुम बिन जिंदा होता था मैं ©gaTTubaba किसी और का हो जाता था मैं अगर तुम बिन जिंदा होता था मैं
किसी और का हो जाता था मैं अगर तुम बिन जिंदा होता था मैं
read moreGhanshyam Ratre
छत्तीसगढ़ ग्राम पंचायत चुनाव ©Ghanshyam Ratre ग्राम पंचायत चुनाव
ग्राम पंचायत चुनाव
read moreHimanshu Prajapati
White ख्वाब था सुबह का, शाम को भूल गया, चढ़ा था मोहब्बत का धूल एक धोखे से धुल गया..! ©Himanshu Prajapati #flowers ख्वाब था सुबह का, शाम को भूल गया, चढ़ा था मोहब्बत का धूल एक धोखे से धुल गया..! #36gyan #hpstrange
#flowers ख्वाब था सुबह का, शाम को भूल गया, चढ़ा था मोहब्बत का धूल एक धोखे से धुल गया..! #36gyan #hpstrange
read moreNurul Shabd
(रविवार - सातवाँ भाग - अंतिम भाग) 💖✨ समय बीतता गया, और आज वो दिन था जब रोहन डॉक्टर बन चुका था। पूरे परिवार के लिए ये गर्व का क्षण था, लेकिन सबसे ज़्यादा खुश रवि था। उसने माँ का सपना सच कर दिखाया था। पूरी कहानी पढ़ने के लिए बायो लिंक चेक करे ©Nurul Shabd #पूरे #परिवार के #लिए ये गर्व का क्षण था, लेकिन सबसे ज़्यादा खुश रवि था। Extraterrestrial life
Shashi Bhushan Mishra
मुहब्बत को नजर लग जाए ना ज़ालिम ज़माने का, लगा रखी है कुंडी अपने दिल के कैदखाने का, गुज़रना,घूरना,ताकना सदा ही एक खिड़की पर, दिखा सकता है तुमको रास्ता भी जेल खाने का, बड़े मायूस होगे टूटा दिल जब साथ लाओगे, जन्म भर की तड़प बेचैनियां ज्युं पागल खाने का, न दौड़ो तेज़ संकड़ा रास्ता है ये बहुत नाज़ुक, निकलना भी बहुत मुश्किल है ख़तरा जान जाने का, जो डूबे हैं निकलने का सलीका भी उन्हें आता, ये पुल है दो दिलों के बीच केवल आने-जाने का, है जिनका शौक़ हरदम खेलना ख़तरों से ही "गुंजन", उन्हें मालूम है दरिया के भी उस पार जाने का, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra #अपने दिल के कैदखाने का#
#अपने दिल के कैदखाने का#
read moreविजय कुमार सुतेड़ी
White द्वंद लिए सौ मन मंदिर में मुग्ध हंसी भावों को लेकर जो चलते निष्काम जगत में चैतन्य खोज ही लाते हैं। मिथ्या और कल्पित इस जग में वो ही अभय कहलाते हैं। संशय और बंधन से उठकर काम, लोभ और मोह कुचलकर कलि के क्लिष्ट कालचक्र में भी जो धरम ध्वजा लहराते हैं। मिथ्या और कल्पित इस जग में वो ही अभय कहलाते हैं। घोर दंश और प्रतिकारों में जो वैरागी बने सहज मन इंद्रजीत सी आभा लेकर चिरंजीव बन जाते है। मिथ्या और कल्पित इस जग में वो ही अभय कहलाते हैं। लौकिक आडम्बर की जड़ता भाव शून्य में अर्पण करते जो श्लाघा की क्षुधा भुलाकर परहित मंगल गाते है। मिथ्या और कल्पित इस जग में वो ही अभय कहलाते हैं। जीव तत्व का दर्शन शिव में जिन्हें मिला है अंतर्मन में जगत बोध और अनुभव पाकर जो तारतम्य तर जाते है। मिथ्या और कल्पित इस जग में वो ही अभय कहलाते हैं।। ©विजय कुमार सुतेड़ी अभय होना
अभय होना
read moreहिमांशु Kulshreshtha
अपने दर्द का तो एहसास भी नहीं होता है अब मुझे लोग कहते हैं कि पत्थर सा हो गया हूँ मैं ©हिमांशु Kulshreshtha अपने दर्द का
अपने दर्द का
read moreVIKHYAT REKWAR
Unsplash छोड़ दिया मैंने अपने दिल का साथ, प्यार ने थाम लिया है तनहाई का हाथ। इतना तो गुरूर है मुझे आज भले अहसासों ने छोड़ा, तनहाई न ©VIKHYAT REKWAR #snow छोड़ दिया मैंने अपने दिल का
#snow छोड़ दिया मैंने अपने दिल का
read moreनवनीत ठाकुर
जो हमेशा साथ चलने की दुआ करता था, वो है आज राहों में अकेला होने वाला। जो हमेशा साथ चलने की दुआ करता था, वो है आज राहों में अकेला होने वाला। जो था कभी हमारी हर खुशी का हिस्सा, वो अब तन्हाई में खुद को ढूंढ़ने वाला था। जिसे कभी समझा था अपने साथ का साथी, वो अब बिन बताए, दूर जाने वाला था। हमारी आँखों में जो था हर ख्वाब पूरा, वो अब अपनी राहों में अकेला होने वाला था। मोहब्बत का जो वादा था उसने किया, वो आज उस वादे को तोड़ने वाला था। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर जो हमेशा साथ चलने की दुआ करता था, वो है आज राहों में अकेला होने वाला। जो हमेशा साथ चलने की दुआ करता था, वो है आज राहों में अकेल
#नवनीतठाकुर जो हमेशा साथ चलने की दुआ करता था, वो है आज राहों में अकेला होने वाला। जो हमेशा साथ चलने की दुआ करता था, वो है आज राहों में अकेल
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