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shailja ydv
**बौद्ध धर्म शांति का धर्म** जब -जब मन उदास होता है, चली जाती हूँ मैं, अपनी खिड़की पर, औ'घंटों निहारती हूँ उस पीपल के पेड़ को, जो सदा की ही भांति शांत,मौन और स्थिर भाव से, हिलते हुये मुझे धैर्य औ साहस देता है। ऐसा लगता है.!! मानों कह रहा हो "जिंदगी के रहस्य को समझो, मगर उलझो मत, उसे जिओ,मगर रोओ मत। इसी जीवन को समझने की चाह ने, राजकुमार सिद्धार्थ को "बुद्ध " बना दिया । पर.. एक सच है, मुझमें ही सारी शांति निहित है। ©shailja ydv बुद्ध पूर्णिमा
Richa Dhar
घटा सावन की जिस रोज़ बरसती थी वो क्षण आज भी अविस्मरणीय है काले बादलों के बीच बारिश की बूंदों के साथ खाली सड़क पर तुम्हारा यूं घूमना और बेवजह अनगिनत बूंदों को हथेलियों पर गिनना और कनखियों से मुझे भी देखना मैं समझ लेती थी तुम्हारी मनोभावना को और मुस्कुरा कर तुम्हारा पागलपन देखती थी सब कुछ याद है मुझे याद है तुम्हारा खिड़की के बाहर हाथ निकाल के अपनी हथेलियों को गीला कर लेना और याद हो तुम,भीगी सड़कों पर चलके मेरे सूखे मन पर अपने पैरों के निशान को छोड़ना और मेरे मन को भिगो देना..... ©Richa Dhar #loyalty सावन की घटा
लेखक ओझा
सावन भादों घिर आते है जब अपने भी जेठ आसाढ बन जाते हैं।। ©लेखक ओझा #Dhund सावन भादो
Sawan Sharma
Sachin R. Pandey
sunset nature देखो.... बसंत की बहार है अभी ...... और लोग आएंगे तुम्हारे पास .... तुम्हें अहसास दिलाते हुए कि उनकी नज़र में तुम्हारी कितनी अहमियत है .... तुम्हे बताते हुए और समझाते हुए कि.... तुम सही हो .... तुम सब सही कर रहे हो ... तुम्हारे निर्णय ठीक हैं और वो सब हर परिस्थिति में तुम्हारे साथ खड़े हैं ..... लेकिन जैसा कि मैंने कहा ...." बसंत है " कुछ भी स्थाई नहीं है .... सब कुछ बदल जाता है .... तो एक दिन जब पतझड़ आने को होगा .... लोगो किनारा करते जायेंगे .... तुम्हारी असफलताओं का दोष तुम पर मढ़ते जायेंगे .... हां वही लोग जो तुमको ...तुम्हारे निर्णयों को सही कह कर हौसला बढ़ा रहे थे ..... अब वही तुम्हारे प्रथम और कटु आलोचक होंगे .... तुम संदेह करोगे ....क्या ये वही लोग हैं ....जो कल तक (बसंत के दिनो मे) ..... हौसला और शाबासी देते नही थक रहे थे ....! और पतझड़ में जब तुमको लगेगा ... कि अब सब कुछ खत्म होने को है .... तुम्हारे कंधे ....हार की मार से झुके होंगे ... कर्णपटल पर आलोचनाओं के स्वर तीर से चुभ रहे होंगे ... और कपोल अश्रु से भीग रहे होंगे .... तो तुम कहना .....मुझसे ... अधिकार से.... कि अब तुम सम्हाल लो सब कुछ .... क्योंकि बिखर रहा है बहुत कुछ .... सुनो ! .... तुम यकीन मानना ....भरोसा रखना .... मैं तुम्हारे लिए सब कुछ उलट पलट कर दूंगा .... तुम प्रिय हो .... तुमसे कही अधिक प्रिय हैं तुम्हारे सपने ... मैं बनूंगा तुम्हारा सारथी ....पतझड़ में .... और तब तक जब तक वो सब ना हो जाए जो तुम चाहते हो ... लेकिन फिलहाल मैं मौन रहकर मान रख रहा हूं.....तुम्हारे निर्णयों का ....सही और गलत के भेद से परे .... अभी बसंत है .... जाओ ....खुद को .... अपनो को ....सपनो को .... यारों को ....आजमा कर देखो .... बहुत कुछ है जो आने वाला समय समझाएगा..... मैं इंतजार करूंगा तुम्हारे कह देने भर का .... ©Sachin R. Pandey #sunsetnature आजमाना अपनी यारी को पतझड़ में सावन में तो हर पत्ता हरा नजर आता है ....
Shivkumar
// दिल की बात कविता से // मेरे अधरों पर वो बारिश की एक बूँद टपकती है दिलों में तेरी यादों का सिलसिला यु मचलती है ।। तेरी वो धड़कनों की आवाज तो मेरे इन जज्बातों में संवरती है मेरी इन निगाहों में एक तस्वीर खामोश सी उभरती है ।। लम्हों की वो पुरानी बातें तो निःशब्द सिंदूरी शाम में अंजाने सफर की चाहत, वादों से लवरेज रातें ।। निश्चल प्रेम की सौगातें ,एक दूजे की आहट में गुलशन की घनी छाया, ये मुलाकातें तो अभी अधूरे ही रहे ।। फरहाद एक कसक सी भरी ,मन में एक आह सी भरती है तन में वो एहसास कंपित सा मेरा रोम-रोम पुलकित हुआ तेरे इंतजार की बातें को भूल कर , मेरे जीवन में एक ख्वाहिश सा गिरिराज के सावन में एक अमर- प्रेम की दास्तान सा ।। ©Shivkumar #raindrops #rain #raindrops #Nojoto // दिल की बात #कविता से //
Ravishankar Nishad
आज 24 फरवरी 2024 को गुरु रविदास की जयंती मनाई जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार माघ माह की पूर्णिमा तिथि के दिन गुरु रविदास जी का जन्म हुआ था। यह एक महान भारतीय संत और कवि के रूप में प्रसिद्ध हुए। आइए आज इनकी जंयती पर जानते हैं, इनके बताए कुछ अनमोल वचन और प्रचलित दोहों के बारे में। ©Ravishankar Nishad आज 24 फरवरी 2024 को गुरु रविदास की जयंती मनाई जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार माघ माह की पूर्णिमा तिथि के दिन गुरु रविदास जी का जन्म हुआ था। य
Nikhil saini
Amit Singhal "Aseemit"
मेरे मन का सावन वही जो मेरे मन को भिगोए, केवल मेरे शरीर को भिगो कर ही न चला जाए। मेरे होंठों पर मुस्कान लाए, आँख ज़रा सी रोए, कुदरत में है ताक़त, जो ऐसा सावन भला लाए। ©Amit Singhal "Aseemit" #मेरे #मन #का #सावन
chahat
निशब्द मूक भाव मेरे क्या करू गुणगान तेरे तुम ही तो हो जैन धर्म के तरुवर तुम ही तो हो जीवन आधार गुरुवर मैं तिनका सी चरणो की धूल भी नही मैं अज्ञान तुम बिन जैन शब्द ही नहीं तुम श्रेष्ठ चर्या के पालक तुम जैन धर्म के साधक तुम जड़ हो,तुम हो ध्वजा जैन धर्म के तुम ही पिता तुम्हारा जाना आसान नहीं तुम सा कोई शासन नही शिष्य अनन्य है तुमने गढ़े जिनमे धर्म के संस्कार भरे जिन्हे तुम छोड़ जग से चले जिसाशन की डोर थमा मुक्ति मार्ग की ओर तुम बढ़े अश्रु मेरे ठहरे कैसे..... मन की पीढ़ा कह भी न सकें मैं टूटी हुई डाली के फूल जैसे कौन तुम सा तुम सी साधना तुम सा साधु तुम सिद्ध तुम सा शुद्ध ©chahat शरद पूर्णिमा का चांद