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INDIA CORE NEWS
Ramji Mishra
संगीत कुमार
आज पुनीत दिन आया है पांच वर्ष बाद भागीदारी का जन आकांक्षा का पर्व ये हमसब भागीदार बन निभायेंगे फिर से फाताका फहरायेंगे विश्व में डंका बजायेंगी लूटेरा को दूर भगायेंगे मां भारती का लाज बचायेंगे निकम्मे को दूर भगायेंगे राष्ट्रहित की बात गुनगुनायेंगे चलो चलो मिल वोट डालेंगे फिर से भारत को स्वर्ग बनायेंगे आज पुनीत दिन आया है पांच वर्ष बाद भागीदारी का ©संगीत कुमार #election आज पुनीत दिन आया है पांच वर्ष बाद भागीदारी का जन आकांक्षा का पर्व ये हमसब भागीदार बन निभायेंगे फिर से फाताका फहरायेंगे विश्व में
Arpit Mishra
हां! आज शिक्षा मार्ग भी संकीर्ण होकर क्लिष्ट है, कुलपति सहित उन गुरुकुलो का ध्यान ही अवशिष्ट है। बिकने लगी विद्या यहां अब , शक्ति हो तो क्रय करो , यदि शुल्क आदि न दे सको तो मूर्ख रहकर ही मरो । । ©Arpit Mishra भारत भारती
AwadheshPSRathore_7773
खो गईं वो चिठ्ठियाँ जिसमें “लिखने के सलीके” छुपे होते थे ,कुशलता” की कामना से शुरू होते थे। बडों के “चरण स्पर्श” पर खत्म होते थे...!! नन्हें के आने की “खबर”“माँ” की तबियत का दर्द और पैसे भेजने का “अनुनय” विनय।“फसलों” के खराब होने की वजह...!! कितना कुछ सिमट जाता था एक“नीले से कागज में”... जिसे नवयौवना भाग कर “सीने” से लगाती और “अकेले” में आंखो सेआंसू बहाती माँ” की आस थी “पिता” का संबल थी बच्चों का भविष्य थी और ,गाँव का गौरव थी ये “चिठ्ठियां” अब तो “स्क्रीन” पर अंगूठा दौडता हैं,और अक्सर ही दिल तोड़ता है “मोबाइल” का स्पेस भर जाए तो सब कुछ दो मिनट में “डिलीट” होता सब कुछ “सिमट” गया है 6 इंच में ,जैसे “मकान” सिमट गए फ्लैटों में ! जज्बात सिमट गए “मैसेजों” में “चूल्हे” सिमट गए गैसों में और इंसान सिमट गए नोटों में!वाह रे कलयुग वाह क्या बात है तेरी वाह....! ©AwadheshPSRathore_7773 "अंखियों का पानी बड़ा बेजुबा दर्द मेरा कह पाए ना , O साथी O साथी O साथी तेरी चिट्ठी पते पर आए ना" प्रसिद्ध पार्श्व गायक के गाए बोल हे यह,पहच
अदनासा-
ਸੀਰਿਯਸ jatt
Anuj Ray
कभी नियत नहीं भरती" एक दर से, दया की भीख मांगने वालों की कभी ,नियत नहीं भरती। बिना पिए बगैर ,दस दस घाट का पानी, उनकी कभी प्यास नहीं मिटती। दया के नाम पे ,करते हैं दगाबाजी,ऐसे लोगों को ज़िन्दगी कभी माफ़ नहीं करती। ©Anuj Ray कभी, नियत नहीं भारती"