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dilkibaatwithamit
White हवाएँ तेज़ थीं ये तो फ़क़त बहाने थे सफ़ीने यूँ भी किनारे पे कब लगाने थे ख़याल आता है रह रह के लौट जाने का सफ़र से पहले हमें अपने घर जलाने थे गुमान था कि समझ लेंगे मौसमों का मिज़ाज खुली जो आँख तो ज़द पे सभी ठिकाने थे हमें भी आज ही करना था इंतिज़ार उस का उसे भी आज ही सब वादे भूल जाने थे चलन था सब के ग़मों में शरीक रहने का अजीब दिन थे अजब सर-फिरे ज़माने थे ©dilkibaatwithamit हवाएँ तेज़ थीं ये तो फ़क़त बहाने थे सफ़ीने यूँ भी किनारे पे कब लगाने थे ख़याल आता है रह रह के लौट जाने का सफ़र से पहले हमें अपने घर जलाने थ
हवाएँ तेज़ थीं ये तो फ़क़त बहाने थे सफ़ीने यूँ भी किनारे पे कब लगाने थे ख़याल आता है रह रह के लौट जाने का सफ़र से पहले हमें अपने घर जलाने थ
read more- Arun Aarya
ख़ुशबू से लथपथ गुलाब चाहिए , मुझें भी लड़की अब नायाब चाहिए ! तुमनें पलट चुकी है मेरी हर एक पन्ने को ,, अब मुझें भी तो पूरी खुली क़िताब चाहिए..!! - अरुन आर्या ©- Arun Aarya #HappyRoseDay #खुली क़िताब
#HappyRoseDay #खुली क़िताब
read moreHimanshu Prajapati
उसके साथ बीत रहा एक एक पल लाजबाव था, वह मेरे लिए हुस्ने मलिका मैं उसके लिए नवाब था, पहली बार Love You Too उसका जबाब था, हलचल हुआ शोर मचा नींद खुला कमबख़्त ये भी एक अधूरा ख्वाब था..! ©Himanshu Prajapati #hills उसके साथ बीत रहा एक एक पल लाजबाव था, वह मेरे लिए हुस्ने मलिका मैं उसके लिए नवाब था, पहली बार Love You Too उसका जबाब था, हलचल हुआ शोर
#hills उसके साथ बीत रहा एक एक पल लाजबाव था, वह मेरे लिए हुस्ने मलिका मैं उसके लिए नवाब था, पहली बार Love You Too उसका जबाब था, हलचल हुआ शोर
read moreनवनीत ठाकुर
ख़ुदा करे, इक सांस बगावत की भी मयस्सर हो, ये ज़िंदगी तो बस सलीकों में सिमट गई। दिल ने चाहा कि ज़रा बेख़ौफ धड़क लें, मगर हर धड़कन अदब के साए में घुट गई। अब इल्तिज़ा है कि थोड़ा खुला आसमान मिले, वरना ये हसरत भी वक्त के साथ ही मिट गई। ज़िंदगी जो हँसते हुए बसर करनी थी, वो शिकायतों के दायरों में ही सिमट गई। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर ख़ुदा करे, इक सांस बगावत की भी मयस्सर हो, ये ज़िंदगी तो बस सलीकों में सिमट गई। दिल ने चाहा कि ज़रा बेख़ौफ धड़क लें, मगर हर धड
#नवनीतठाकुर ख़ुदा करे, इक सांस बगावत की भी मयस्सर हो, ये ज़िंदगी तो बस सलीकों में सिमट गई। दिल ने चाहा कि ज़रा बेख़ौफ धड़क लें, मगर हर धड
read moreनवनीत ठाकुर
इक उमर की चाहत थी, इक लम्हे की दस्तक, दरवाज़ा खुला तो ख्वाबों का सफर निकला। जो दिन था मुक़द्दर का, वो भी कुछ यूँ बीता, जैसे काग़ज़ पर गिरा, पानी का असर निकला। अरमान सजे थे जिनसे रोशन मेरी दुनिया, वो चिराग़ जला लेकिन हवा का असर निकला। मिलन की घड़ी आई तो जुदाई के साए थे, जिसे चाहा था अपना, वो भी बेख़बर निकला। ख़्वाबों की हक़ीक़त में जो देखा था कभी हमने, आईना दिखाया तो हर शक्ल बदल निकला। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर इक उमर की चाहत थी, इक लम्हे की दस्तक, दरवाज़ा खुला तो ख्वाबों का सफर निकला। जो दिन था मुक़द्दर का, वो भी कुछ यूँ बीता, जैसे का
#नवनीतठाकुर इक उमर की चाहत थी, इक लम्हे की दस्तक, दरवाज़ा खुला तो ख्वाबों का सफर निकला। जो दिन था मुक़द्दर का, वो भी कुछ यूँ बीता, जैसे का
read moreN S Yadav GoldMine
Unsplash {Bolo Ji Radhey Radhey} अनुचित बात को ना कहना चाहिए, उचित का समर्थन करना परम आवश्यक है, चुप रहना हर बात खुला समर्थन है, किसी भी समस्या का हल नहीं होता, हम पाप को छुपाने में हम माहिर हैं, पूण्य का बखान करते हुए जीना एक दिन दूभर कर देता है, पाप छुपाने से बढ़ता है, और पूण्य का बखान करना, पूण्य को खर्च करना है। जय श्री राधेकृष्ण जी। N S Yadav GoldMine. ©N S Yadav GoldMine #leafbook {Bolo Ji Radhey Radhey} अनुचित बात को ना कहना चाहिए, उचित का समर्थन करना परम आवश्यक है, चुप रहना हर बात खुला समर्थन है, किसी भी सम
#leafbook {Bolo Ji Radhey Radhey} अनुचित बात को ना कहना चाहिए, उचित का समर्थन करना परम आवश्यक है, चुप रहना हर बात खुला समर्थन है, किसी भी सम
read moreनवनीत ठाकुर
पलकों पर ख्वाब हों, मगर आँखें खुली रहें, सफ़र चाहे लंबा हो, हिम्मत सजी रहें। बड़ा वही जो झुकने का हुनर जानता हो, झुके भी तो खुद्दारी के संग चलता हो। तूफ़ानों से लड़ने का मिज़ाज रखो, खुद को गिरने से बचाने का रिवाज़ रखो। दुनिया का बोझ जितना संभालोगे, खुद से उतना ही दूर निकल जाओगे। जो गहराई समझे, वही ऊपर उठेगा, जो दूसरों से डरेगा, वहीं खुद सिमटेगा। अपने अंदर समंदर सा सुकून रख, ऊपर से शांत, अंदर जुनून रख। जो भीड़ के साथ चला, खो गया, जो अलग रहा, खुदा जैसा हो गया। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर पलकों पर ख्वाब हों, मगर आँखें खुली रहें, सफ़र चाहे लंबा हो, हिम्मत सजी रहें। बड़ा वही जो झुकने का हुनर जानता हो, झुके भी तो खु
#नवनीतठाकुर पलकों पर ख्वाब हों, मगर आँखें खुली रहें, सफ़र चाहे लंबा हो, हिम्मत सजी रहें। बड़ा वही जो झुकने का हुनर जानता हो, झुके भी तो खु
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