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World Cancer Day कैंसर की बीमारी होने के लक्षण इंसान स्वयं बनाता है । बुरी आदतें स्वयं अपनाता और कैंसर का रोगी होता है । बीड़ी सिगरेट शराब तंबाकू जीवन में ये हानि कारी है । शरीर पैसा बर्बाद होता है जीवन की विनाशकारी हैं । तंबाकू का सेवन करने से कैंसर की बीमारी होती है । कैंसर जिसको हो जाए जिन्दगी खत्म हो जाती है । ........पूरी कविता पढ़ने के लिए नीचे क्लिक कीजिए ©Instagram id @kavi_neetesh कैंसर दिवस कैंसर की बीमारी होने के लक्षण इंसान स्वयं बनाता है । बुरी आदतें स्वयं अपनाता और कैंसर का रोगी होता है ।
कर्म गोरखपुरिया
शर्म आनी चाहिए ©कर्म गोरखपुरिया दुनिया का सबसे विनाशकारी चीज इंसान स्वयं है ! हवस का ज्वार लोगों मे इस तरह चढ़ा हुआ है की लोगों का विवेक मर चुका है ! इंसानियत ने भी हैवानिय
ashish gupta
हम सब को वरदान सब के तुम विग्नहरता एकदंत लंबोदर गजानंद गणेश है सब तुम्हारे नाम जिसका स्मरण दे सब को शान विघ्न विनाशक हम सबके रक्षक मोषक को अपना वाहन बनाने वाले आज के इस शुभ अवसर पर आपको कोटि कोटि नमन ©ashish gupta #Friend हम सब को वरदान सब के तुम विग्नहरता एकदंत लंबोदर गजानंद गणेश है सब तुम्हारे नाम
Ravendra
Aagam Rahasya
Aagam Rahsay ©King Sprit विपरीत बुद्धि विनाशकाले
N S Yadav GoldMine
मेघनाथ ने लक्ष्मण पर चलाया ब्रह्मास्त्र, पशुपाति व नारायण अस्त्र आइए जानते हैं !! 🌍Bolo Ji Radhey Radhey}🌍 पशुपाति व नारायण अस्त्र :- 🌄 मेघनाथ एक ऐसा योद्धा था जिसने श्रीराम की वानर सेना में हाहाकार मचा दिया था। उसने अपनी पिता की आज्ञा स्वरुप शत्रुओं की सेना में भीषण तबाही मचाई थी। पहले दिन उसने श्रीराम व लक्ष्मण को नागपाश में बांध दिया था तो दूसरे दिन लक्ष्मण को शक्तिबाण की सहायता से मुर्छित कर दिया था लेकिन दोनों ही बार हनुमान की चतुराई से दोनों सुरक्षित बच निकले। तीसरे दिन वह निकुंबला देवी का यज्ञ कर रहा था जिसके समाप्त होने के पश्चात वह अजय हो जाता व किसी भी शत्रु का उसे युद्ध में हराना असंभव हो जाता किंतु लक्ष्मण ने यज्ञ के समाप्त होने से पहले पहुंचकर उस यज्ञ को ध्वस्त कर डाला। इससे क्रुद्ध होकर मेघनाथ युद्धभूमि में आया व लक्ष्मण से युद्ध करने लगा। मेघनाथ के पास थे तीन शक्तिशाली अस्त्र :- 🌄 मेघनाथ ने एक बार राक्षसों के गुरु शुक्राचार्य की सहायता से सात यज्ञो का महा आयोजन किया था जिसमे उसे त्रिदेव से कई प्रकार की शक्तियां व वर प्राप्त हुए थे। उन्हीं शक्तियों में उसे भगवान ब्रह्मा के सर्वोच्च अस्त्र ब्रह्मास्त्र, भगवान विष्णु के सर्वोच्च अस्त्र नारायण अस्त्र व भगवन शिव के सर्वोच्च अस्त्र पशुपाति अस्त्र प्राप्त हुए थे। यह तीन अस्त्र अत्यंत विनाशकारी थे जिनका प्रयोग करने पर प्रलय तक आ सकती थी। लक्ष्मण थे शेषनाग का स्वरुप :- 🌄 चूँकि भगवान विष्णु ने रावण रुपी पापी का अंत करने व धर्म की पुनः स्थापना के उद्देश्य से इस धरती पर श्रीराम रूप में जन्म लिया था तो शेषनाग ने उनके छोटे भाई लक्ष्मण के रूप में। जब शेषनाग रुपी लक्ष्मण व रावण पुत्र मेघनाथ के बीच तीसरे दिन युद्ध शुरू हुआ तक मेघनाथ ने अपने सबसे बड़े अस्त्रों का प्रयोग किया था। मेघनाथ का लक्ष्मण पर आक्रमण :- मेघनाथ का लक्ष्मण पर ब्रह्मास्त्र चलाना :- 🌄 सबसे पहले मेघनाथ ने लक्ष्मण पर भगवान ब्रह्मा के सबसे बड़े अस्त्र ब्रह्मास्त्र को छोड़ा। जब लक्ष्मण ने ब्रह्मास्त्र को देखा तो वे उसके सामने हाथ जोड़कर खड़े हो गए। लक्ष्मण को देखकर ब्रह्मास्त्र उन्हें बिना कोई हानि पहुंचाए वापस चला गया। चूँकि जब भगवान ब्रह्मा ने ब्रह्मास्त्र का निर्माण किया था तब उन्होंने इसे धर्म की रक्षा के उद्देश्य से बनाया था जिसका प्रयोग किसी भी युद्ध में अंतिम विकल्प के रूप में प्रयोग किया जाना था। साथ ही उन्होंने इसके निर्माण में यह ध्यान रखा था कि इससे भगवान शिव, आदिशक्ति, भगवान विष्णु व शेषनाग को कोई हानि नही पहुँच सकती। इसलिये जब मेघनाथ ने लक्ष्मण पर ब्रह्मास्त्र चलाया तो स्वयं शेषनाग के अवतार होने के कारण उन पर इसका कोई प्रभाव नही पड़ा। मेघनाथ का लक्ष्मण पर पशुपाति अस्त्र चलाना:- 🌄 ब्रह्मास्त्र के लौटकर आने के पश्चात मेघनाथ ने लक्ष्मण पर भगवान शिव के सबसे बड़े अस्त्र पशुपाति अस्त्र से प्रहार किया जो कि शिव का त्रिशूल था किंतु इसका भी कोई प्रभाव लक्ष्मण पर नही पड़ा। इसके साथ भी यही नियम था कि वह भगवान विष्णु व शेषनाग पर कोई प्रभाव नही डाल सकता था। इसलिये यह भी बिना अपना प्रभाव दिखाएँ वापस आ गया। मेघनाथ का लक्ष्मण पर नारायण अस्त्र चलाना:-🌄 इसके बाद मेघनाथ ने अपने अंतिम सबसे बड़े अस्त्र नारायण अस्त्र से लक्ष्मण पर प्रहार किया जो भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र था। चूँकि वे स्वयं भगवान व्ष्णु के शेषनाग थे इसलिये इससे उन पर क्या ही प्रभाव पड़ता क्योंकि शेषनाग तो उनके लिए पूजनीय थे। इसलिये नारायण अस्त्र लक्ष्मण के चारों ओर परिक्रमा कर व उन्हें प्रणाम कर वापस आ गया।तीनो अस्त्रों के विफल होने के कारण मेघनाथ को यह आभास हो गया था कि लक्ष्मण व श्रीराम कोई साधारण मनुष्य नही अपितु स्वयं भगवान के अवतार है। उसने यह बात जाकर अपने पिता रावण को समझायी लेकिन उसके न समझने पर वह वापस युद्धभूमि में आया तथा वीरगति को प्राप्त हुआ। ©N S Yadav GoldMine #Hanuman मेघनाथ ने लक्ष्मण पर चलाया ब्रह्मास्त्र, पशुपाति व नारायण अस्त्र आइए जानते हैं !! 🌍Bolo Ji Radhey Radhey}🌍 पशुपाति व नारायण अस्त्र
Vedantika
विनाशकाले विपरीत बुद्धि मनुष्य की मृगतृष्णा में उलझा हुआ दिल है चाहत रखे ये दिल उसी चीज की जो नहीं होती इस ज़ीस्त के काबिल बर्बादी को लेकर अपने साथ चलता है वक़्त निकल जाने पर क्या फर्क पड़ता है ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_134 👉 विनाशकाले विपरीत बुद्धि लोकोक्ति का अर्थ -- प्रतिकूल परिस्थितियों में बुद्धि का काम न करना। ♥️ इ
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} गणेश जी विघ्न विनाशक व शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता हैं। अगर कोई सच्चे मन से गणोश जी की वंदना करता है, तो गौरी नंदन तुरंत प्रसन्न होकर उसे आशीर्वाद प्रदान करते हैं। वैसे भी गणेश जी जिस स्थान पर निवास करते हैं, उनकी दोनों पत्नियां ऋद्धि तथा सिद्धि भी उनके साथ रहती हैं उनके दोनों पुत्र शुभ व लाभ का आगमन भी गणेश जी के साथ ही होता है। कभी-कभी तो भक्त भगवान को असमंजस में डाल देते हैं। पूजा-पाठ व भक्ति का जो वरदान मांगते हैं, वह निराला होता है। काफ़ी समय पहले की बात है एक गांव में एक अंधी बुढ़िया रहती थी। वह गणेश जी की परम भक्त थी। आंखों से भले ही दिखाई नहीं देता था, परंतु वह सुबह शाम गणेश जी की बंदगी में मग्न रहती। नित्य गणेश जी की प्रतिमा के आगे बैठकर उनकी स्तुति करती। भजन गाती व समाधि में लीन रहती। गणेश जी बुढ़िया की भक्ति से बड़े प्रसन्न हुए। उन्होंने सोचा यह बुढ़िया नित्य हमारा स्मरण करती है, परंतु बदले में कभी कुछ नहीं मांगती। भक्ति का फल तो उसे मिलना ही चाहिए। ऐसा सोचकर गणेश जी एक दिन बुढ़िया के सम्मुख प्रकट हुए तथा बोले- ‘माई, तुम हमारी सच्ची भक्त हो। जिस श्रद्धा व विश्वास से हमारा स्मरण करती हो, हम उससे प्रसन्न हैं। अत: तुम जो वरदान चाहो, हमसे मांग सकती हो।’ बुढ़िया बोली- ‘प्रभो! मैं तो आपकी भक्ति प्रेम भाव से करती हूं। मांगने का तो मैंने कभी सोचा ही नहीं। अत: मुझे कुछ नहीं चाहिए।’ गणेश जी पुन: बोले- ‘हम वरदान देने केलिए आए हैं।’ बुढ़िया बोली- ‘हे सर्वेश्वर, मुझे मांगना तो नहीं आता। अगर आप कहें, तो मैं कल मांग लूंगी। तब तक मैं अपने बेटे व बहू से भी सलाह मश्विरा कर लूंगी। गणेश जी कल आने का वादा करके वापस लौट गए।’ बुढ़िया का एक पुत्र व बहू थे। बुढ़िया ने सारी बात उन्हें बताकर सलाह मांगी। बेटा बोला- ‘मां, तुम गणेश जी से ढेर सारा पैसा मांग लो। हमारी ग़रीबी दूर हो जाएगी। सब सुख चैन से रहेंगे।’ बुढ़िया की बहू बोली- ‘नहीं आप एक सुंदर पोते का वरदान मांगें। वंश को आगे बढ़ाने वाला भी, तो चाहिए।’ बुढ़िया बेटे और बहू की बातें सुनकर असमंजस में पड़ गई। उसने सोचा- यह दोनों तो अपने-अपने मतलब की बातें कर रहे हैं। बुढ़िया ने पड़ोसियों से सलाह लेने का मन बनाया। पड़ोसन भी नेक दिल थी। उसने बुढ़िया को समझाया कि तुम्हारी सारी ज़िंदगी दुखों में कटी है। अब जो थोड़ा जीवन बचा है, वह तो सुख से व्यतीत हो जाए। धन अथवा पोते का तुम क्या करोंगी! अगर तुम्हारी आंखें ही नहीं हैं, तो यह संसारिक वस्तुएं तुम्हारे लिए व्यर्थ हैं। अत: तुम अपने लिए दोनों आंखें मांग लो।’ बुढ़िया घर लौट आई। बुढ़िया और भी सोच में पड़ गई। उसने सोचा- कुछ ऐसा मांग लूं, जिससे मेरा, बहू व बेटे- सबका भला हो। लेकिन ऐसा क्या हो सकता है? इसी उधेड़तुन में सारा दिन व्यतीत हो गया। बुढ़िया कभी कुछ मांगने का मन बनाती, तो कभी कुछ। परंतु कुछ भी निर्धारित न कर सकी। दूसरे दिन गणेश जी पुन: प्रकट हुए तथा बोले- ‘आप जो भी मांगेंगे, वह हमारी कृपा से हो जाएगा। यह हमारा वचन है।’ गणेश जी के पावन वचन सुनकर बुढ़िया बोली- ‘हे गणराज, यदि आप मुझसे प्रसन्न हैं, तो कृप्या मुझे मन इच्छित वरदान दीजिए। मैं अपने पोते को सोने के गिलास में दूध पीते देखना चाहती हूं।’ बुढ़िया की बातें सुनकर गणेश जी उसकी सादगी व सरलता पर मुस्कुरा दिए। बोले- ‘तुमने तो मुझे ठग ही लिया है। मैंने तुम्हें एक वरदान मांगने के लिए बोला था, परंतु तुमने तो एक वरदान में ही सबकुछ मांग लिया। तुमने अपने लिए लंबी उम्र तथा दोनों आंखे मांग ली हैं। बेटे के लिए धन व बहू के लिए पोता भी मांग लिया। पोता होगा, ढेर सारा पैसा होगा, तभी तो वह सोने के गिलास में दूध पीएगा। पोते को देखने के लिए तुम जिंदा रहोगी, तभी तो देख पाओगी। अब देखने के लिए दो आंखें भी देनी ही पड़ेंगी।’ फिर भी वह बोले- ‘जो तुमने मांगा, वे सब सत्य होगा।’ यूं कहकर गणेश जी अंर्तध्यान हो गए। कुछ समय पाकर गणेश जी की कृपा से बुढ़िया के घर पोता हुआ। बेटे का कारोबार चल निकला तथा बुढ़िया की आंखों की रौशनी वापस लौट आई। बुढ़िया अपने परिवार सहित सुख पूर्वक जीवन व्यतीत करने लगी। ©N S Yadav GoldMine #lonelynight {Bolo Ji Radhey Radhey} गणेश जी विघ्न विनाशक व शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता हैं। अगर कोई सच्चे मन से गणोश जी की वंदना करता है,
B Pawar
"यह वृतांत काल्पनिक है, कथा है मानव जाति के विनाश की, उस महाप्रलय की जिसका कारण भी वे ही थे, जो परमाणु विस्फोटों , विकिरणों , जैविक-अजैविक विषाक्त विस्फोटकों का प्रतिकार था।" “धरती पर प्रलय के सहस्रों काल पश्चात जब शून्य से कोई परग्रही जीव धरती पर जीवन तलाशने आये तब धरा के सूक्ष्म कणों द्वारा परग्रही जीवों को यह कथा बतायी गई।“ 03/11/2017 🌐www.whosmi.wordpress.com यहां नीचे पूरा पढ़े 👇 सुनो परग्रहीयो !.. सुनो ! है धरा के सूक्ष्म कण हम पर्यावरण में बहते है हम पृथ्वी पर बसने से पहले कुछ बातें तुम्हें बत