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Sukoon Poetry
White दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के वो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के वीराँ है मय-कदा ख़ुम-ओ-साग़र उदास हैं तुम क्या गए कि रूठ गए दिन बहार के दुनिया ने तेरी याद से बेगाना कर दिया तुझ से भी दिल-फ़रेब हैं ग़म रोज़गार के ©Sukoon Poetry दोनों जहान तेरी मोहोबत में हार के #eidmubarak #Shayari #Quote #Poetry #Love #Life #SAD
Cricket
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
सीता छन्द मापनी:- २१२२ २१२२ २१२२ २१२ वर्ण :- १५ राधिका को मानते है कृष्ण को ही पूजते । प्रीति के जो हैं सतायें ईश को ही ढूढ़ते ।। लोग क्यों माने बुरा जो आपसे ही प्रेम है । आपके तो संग मेरी ज़िन्दगी ही क्षेम है ।। १ भूल जाये आपको ऐसा कभी होगा नहीं । दूर हूँगा आपसे ऐसा कभी सोचा नहीं ।। प्रीति तेरी है बसी वो रक्त के प्रावाह में । खोज पाता है नहीं संसार मेरी आह में ।। २ प्रीति का व्यापार तो होता नहीं था देख लो । प्रीति में कैसे हुआ है सोंच के ही देख लो ।। प्रेम में तो हारना है लोग ये हैं भूलते । जीत ले वो प्रेम को ये बाट ऐसी ढूढ़ते ।। ३ प्रेम कोई जीत ले देखो नही है वस्तु ये । प्रेम में तो हार के होता नही है अस्तु ये ।। प्रेम का तो आज भी होता वहीं से मेल है । प्रीत जो पाके कहे लागे नहीं वो जेल है ।। ०१/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सीता छन्द मापनी:- २१२२ २१२२ २१२२ २१२ वर्ण :- १५ राधिका को मानते है कृष्ण को ही पूजते ।
Pankaj Nishad
#Mr.India
मेरे प्यारे बाबा, मैंने आपकी प्रेरणा से ही सीखा है, जीवन में परिवर्तन अनिवार्य है, उन परिवर्तनों से सीखना, और निरंतर एक प्रवाह में बहते रहना, रुक कर असफल हो जाना जीवन का लक्ष्य नहीं, जीवन तो हर एक हार के बाद, पुनः नई ऊर्जा के साथ, अपने लक्ष्य की तरफ अग्रसर होना है..!! ©#Mr.India मेरे प्यारे बाबा, मैंने आपकी प्रेरणा से ही सीखा है, जीवन में परिवर्तन अनिवार्य है, उन परिवर्तनों से सीखना, और निरंतर एक प्रवाह में बहते रहन
Anil Harishankar Pal
जीवन में कभी भी हार ना मानो, क्या पता आपकी अगली ही कोशिश आपको कामयाबी की ओर ले जाये। ©Anil Harishankar Pal #fisherman जीवन के कभी हार मत मानों...
Shubhro K
Sethi Ji
आसमान इतनी बुलंदी पे जो इतराता हैं भूल जाता है ज़मीन से नज़र आता हैं जो करते हैं अपने माँ बाप की सेवा बिना किसी मतलब के उनकी आँखों में मुझे आज भी इंसान नज़र आता हैं कुछ लोग गलत तरीका अपनाते हैं कामयाबी पाने के लिए मुझे ख़ुदा की पनाह में ज़िन्दगी का सफ़र आसान नज़र आता हैं सब लगे हैं एक दूसरे से आगे बढ़ने की दौड़ में दुनिया में हर कोई परेशान नज़र आता हैं आ गए हम सब शहर पैसा कमाने के लिए मुझे आज भी ख्वाबो में मेरे गांव का मकान नज़र आता हैं 💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗 🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼 ©Sethi Ji ♥️🌟 ज़िन्दगी की रीत 🌟♥️ ज़िन्दगी की ऐसी रीत हो हर हार के बाद जीत हो ।। जो छू जाए मेरे दिल को बिना छुए मेरे बदन को
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
प्रदीप छन्द दर-दर भटक रहा है प्राणी , जिस रघुवर की चाह में । वो तो तेरे मन में बैठे , खोज रहा क्या राह में ।। घर में बैठे मातु-पिता ही , सुन रघुवर के रूप हैं । शरण चला जा उनके प्यारे , वह भी तेरे भूप हैं ।। मन को अपने आज सँभालो , उलझ गया है बाट में । सारे तीरथ मन के होते , जो है गंगा घाट में ।। तन के वस्त्र नहीं मिलते तो, लिपटा रह तू टाट में । आ जायेगी नींद तुझे भी , सुन ले टूटी खाट में ।। जितनी मन्नत माँग रहे हो , जाकर तुम दरगाह में । उतनी सेवा दीन दुखी की , जाकर कर दो राह में ।। सुनो दौड़ आयेंगी खुशियाँ , बस इतनी परवाह में । मत ले उनकी आज परीक्षा , वो हैं कितनी थाह में ।। जीवन में खुशियों का मेला , आता मन को मार के । दूजा कर्म हमेशा देता , सुन खुशियां उपहार के ।। जीवन की भागा दौड़ी में , बैठो मत तुम हार के । यही सीढ़ियां ऊपर जाएं , देखो नित संसार के ।। २८/०२/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR प्रदीप छन्द दर-दर भटक रहा है प्राणी , जिस रघुवर की चाह में । वो तो तेरे मन में बैठे , खोज रहा क्या राह में ।। घर में बैठे मातु-पिता ही , सु