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Brij Bihari Shukla
कभी शिद्दत की गर्मी, कभी बारिश की फुहारें, ये सितम्बर और मोहब्बत, समझ से परे हैं हमारे... #शायरी #मोहब्बत #गर्मी #सितंबर
शायरी मोहब्बत गर्मी सितंबर
read moreआर्यप्रकाश 'अलिज़ेह'
किसी से इश्क़ करना इतना आसां भी नहीं हैं,, एक तो गर्मी उफ़्फ़ और ऊँपर से ये गर्म चाय का शौक ।। #इश्क़ #शौक #चाय #गर्मी #उफ़्फ़ #love #आर्यप्रकाश #शायरी
इश्क़ शौक चाय गर्मी उफ़्फ़ love आर्यप्रकाश शायरी
read morevpsingh22rj
हमारे राजस्थान में तो इतनी गर्मी🔥 है कि.. बहार कोरोना को भी सुबह-शाम निकला पड़ता हैं 😂😂 ©vpsingh22rj हाए गर्मी हाए गर्मी ..उफ उफ गर्मी #राजस्थान #SunSet
Shashank Rastogi
हाय री गरमी अब तो इतना बुरा है हाल बाहर के पक्षियों की भी बदल गयी चाल अब तो कबूतर भी, एसी मैं आके पानी पीता है एक आवारा कुत्ता भी, पंखे की हवा मैं दुध पीता है अब, सुबह की सैर, ड्राइंग रूम मैं, कूलर की हवा मैं होती है सुबह की चाय, टीवी मैं जंगल के नजारे देख की पी जाती है ना जाने, ये भी कैसा समय है ना जाने ये भी कैसी गर्मी है गर्मी #गर्मी #कबूतर #जंगली #ड्राइंगरूम
गर्मी #गर्मी #कबूतर #जंगली #ड्राइंगरूम
read moreVishnu K Keshri
बचपन में सुना था गर्मी ऊन में होती है। स्कुल में पता चला गर्मी जुन में होती है। घर में पापा ने बताया गर्मी खुन में होती है। जिन्दगी में बहुत धक्के खाये तब जाकर पता चला कि... गर्मी ना तो खुन में,ना जुन में और ना ही ऊन में होती है, गर्मी तो नोटों के जुनून में होती है ©Vishnu Keshri #गर्मी
Babli Gurjar
नोटों की गर्मी बर्दाश्त होती ही नहीं सखी जितनी बड़ी कमाई उससे बड़ी भूख ले आई बबली गुर्जर ©Babli Gurjar गर्मी
गर्मी #शायरी
read moreलेखक ओझा
सुबह भी तेज है बदन पसीने में लबरेज़ है इस मौसम के लिए खेद है पर क्यों यह तस्वीर को उकेरा कोई थोड़े रंगरेज है। ©लेखक ओझा गर्मी
गर्मी #Shayari
read moreरिपुदमन झा 'पिनाकी'
बरसती आग है शोले गिरा रही गर्मी। चढ़ा कर त्यौरियाँ आँखें दिखा रही गर्मी। चढ़ा तेवर भला क्यों है नहीं कोई भी जाने, सभी को हद से ज्यादा क्यों सता रही गर्मी। पसीना तर-ब-तर पूरे बदन को कर रहा है, जलन है गर्म सी नश्तर चुभा रही गर्मी। हवाएँ बह रही है गर्म बौराई सी दिन भर, बदन का ख़ून पानी सब जला रही गर्मी। नहीं है चैन दिन में है नहीं सुकून शब में, बिना कुछ भी किये सबको थका रही गर्मी। तवे सी तप रही धरती बना सूरज अंगारा, गरम अंगीठियों पर है पका रही गर्मी। न तो पंखा न कूलर दे रहा है कोई राहत, जज़ा किस जन्म का सबसे चुका रही गर्मी। मना करता नहीं कोई बरसने से इसे क्यों, सभी की जान आफ़त में है ला रही गर्मी। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©Ripudaman Jha Pinaki #गर्मी