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om_shiv_gorakhnath
के र,, जिस्पा होजा मेरे बागड़ वाले राणा की मैहर, उसका तो खूसिया ता खिलजा सवेरा। र,,,, फेर लहर लहर का आवा दादा नाहर सिंह दीवान की सवारी, जब मेरे राणा जी मैडी पा भरा बसेरा। (जय बाबा नाहर सिंह दीवान, जय बाबा जाहर वीर राणा जी 🚩) ©om_shiv_gorakhnath के र,, जिस्पा होजा मेरे बागड़ वाले राणा की मैहर, उसका तो खूसिया ता खिलजा सवेरा। र,,,, फेर लहर लहर का आवा दादा नाहर सिंह दीवान की सवारी, जब
Bharat Bhushan pathak
सदा तपना,ज़रूरी है,यहाँ पे नाम पाने को। कुरेदो वक्ष सागर का,जवाहर ढूँढ लाने को।। सफल होना,नहीं आसान दरिया लाँघना होता। नहीं भोजन,कभी नाहर,यहाँ पाता ,सदा सोता।। भला मोती,कभी सागर,दिया भी है,कहीं यूँ ही। मिले उसको,सदा मोती,कुदे अंदर,अजी ज्योंही।। ©Bharat Bhushan pathak सदा तपना,ज़रूरी है,यहाँ पे नाम पाने को। कुरेदो वक्ष सागर का,जवाहर ढूँढ लाने को।। सफल होना,नहीं आसान दरिया लाँघना होता। नहीं भोजन,कभी नाहर,यह
Rj medy ❤️ RadiO GirL❤️
इस शहर का अपना सा आलम है महक ए गजल लिपटी है जिसकी फिजाओं में चलो नापते हैं आज मेरे शहर की गलियां खुद में घोलते हैं इसका वह गुलाबी रंग मीठे गेवर नमकीन जहां की पहचान है संस्कृति और परंपरा जहां की शान है रंगबाज़ों का एक शहर गुलाबी परकोटे जिसकी जान है गोविंद की मंगला आरती लक्ष्मी नारायण की भक्ति मोती डूंगरी का भोग आमेर में शिला देवी की मूरत आध्यात्मिकता और पवित्रता बसती है जहां पर नाहरगढ़ जिसका मुकुट है हवामहल दिल है जिसका जल में बसते हैं महल जिसके अल्बर्ट हॉल खूबसूरती है जिसकी भागता दौड़ता सा शहर है सादगी ठहरती है जिसकी चौपडौ में यह गुलाबी शहर है मेरा इस शहर का अपना सा आलम है महक ए गजल लिपटी है जिसकी फिजाओं में चलो नापते हैं आज मेरे शहर की गलियां खुद में घोलते हैं इसका वह गुलाबी रंग
Rj medy ❤️ RadiO GirL❤️
इस शहर का अपना सा आलम है महक ए गजल लिपटी है जिसकी फिजाओं में चलो नापते हैं आज मेरे शहर की गलियां खुद में घोलते हैं इसका वह गुलाबी रंग मीठे गेवर नमकीन जहां की पहचान है संस्कृति और परंपरा जहां की शान है रंगबाज़ों का एक शहर गुलाबी परकोटे जिसकी जान है गोविंद की मंगला आरती लक्ष्मी नारायण की भक्ति मोती डूंगरी का भोग आमेर में शिला देवी की मूरत आध्यात्मिकता और पवित्रता बसती है जहां पर नाहरगढ़ जिसका मुकुट है हवामहल दिल है जिसका जल में बसते हैं महल जिसके अल्बर्ट हॉल खूबसूरती है जिसकी भागता दौड़ता सा शहर है सादगी ठहरती है जिसकी चौपडौ में यह मेरा गुलाबी शहर है इस शहर का अपना सा आलम है महक ए गजल लिपटी है जिसकी फिजाओं में चलो नापते हैं आज मेरे शहर की गलियां खुद में घोलते हैं इसका वह गुलाबी रंग