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Himanshu Prajapati
Unsplash पसंद है सबको गोरे गोरे गाल, नागिन से लहराते काले काले बाल, प्रेमिका से पूछे गए हर छोटे-बड़े सवाल, बस ऐसे ही शुभकामनाएं पसंद आए ये नया साल...! ©Himanshu Prajapati #snow पसंद है सबको गोरे गोरे गाल, नागिन से लहराते काले काले बाल, प्रेमिका से पूछे गए हर छोटे-बड़े सवाल, बस ऐसे ही शुभकामनाएं पसंद आए ये नया
#snow पसंद है सबको गोरे गोरे गाल, नागिन से लहराते काले काले बाल, प्रेमिका से पूछे गए हर छोटे-बड़े सवाल, बस ऐसे ही शुभकामनाएं पसंद आए ये नया
read moreनवनीत ठाकुर
वो जो लम्हे तेरे साथ गुज़ारे कभी, आज भी साये से लिपटे रहे हैं सभी। तेरे इश्क़ का जादू जो दिल पे छा गया, हर धड़कन में बस तेरा ही नाम आ गया। तेरी यादों के दिए आज भी जलते हैं, ख़ामोशियों में तेरे कदमों को सुनते हैं। वो लम्हे, वो बातें, वो खुशबू का सफर, हर पल, हर घड़ी बन गए दिल का असर। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर वो जो लम्हे तेरे साथ गुज़ारे कभी, आज भी साये से लिपटे रहे हैं सभी। तेरे इश्क़ का जादू जो दिल पे छा गया, हर धड़कन में बस तेरा ही
#नवनीतठाकुर वो जो लम्हे तेरे साथ गुज़ारे कभी, आज भी साये से लिपटे रहे हैं सभी। तेरे इश्क़ का जादू जो दिल पे छा गया, हर धड़कन में बस तेरा ही
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी जुड़ती नही कड़िया सफलता की जैसे हाथ बाँध दिये हो कोरी दुहाई देते मेहनतों की प्रतियोगिता के रजेल्ट जैसे पहले ही छाप लिए हो झूठे और ठग छागये सियासतों में दुख दर्द जनता का बाटते ही नही भविष्य देश का युवा ही लिखेगे उनके जोश को कब तक कमतर आकोगे ये कारगुजारियों काली घटाओ जैसी है तुम्हारी जब छटेगा अंधेरा तब कसूरवार सब तुझे आंकेगे प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #good_night झूठे और ठग छा गये सियासतों में
#good_night झूठे और ठग छा गये सियासतों में
read moregudiya
White वह तोड़ती पत्थर; देखा उसे मैं इलाहाबाद के पथ पर - वह तोड़ती पत्थर कोई ना छायादार पेड़ वह जिसके तले बैठी हुई स्वीकार ; श्याम तन, भर बंधा यौवन, नत नयन ,प्रिय- कर्म -रत मन, गुरु हथोड़ा हाथ , करती बार-बार प्रहार ;- सामने तरु -मालिका अट्टालिका ,प्राकार । चढ़ रही थी धूप; गर्मियों के दिन दिवा का तमतमाता रूप; उठी झुंझलाते हुए लू रूई - ज्यों जलती हुई भू गर्द चिनगी छा गई, प्राय: हुई दुपहर :- वह तोड़ती पत्थर ! देखे देखा मुझे तो एक बार उस भवन की ओर देखा, छिन्नतार; देखकर कोई नहीं, देखा मुझे इस दृष्टि से जो मार खा गई रोई नहीं, सजा सहज सीतार , सुनी मैंने वह नहीं जो थी सुनी झंकार; एक क्षण के बाद वह काँपी सुघर, ढोलक माथे से गिरे सीकर, लीन होते कर्म में फिर जो कहा - मैं तोड़ती पत्थर 'मैं तोड़ती पत्थर।' - सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ©gudiya #love_shayari #Nojoto #nojotophoto #nojotoquote #nojotohindi #nojotoenglish वह तोड़ती पत्थर; देखा उसे मैं इलाहाबाद के पथ पर - वह तोड़ती प
#love_shayari nojotophoto #nojotohindi #nojotoenglish वह तोड़ती पत्थर; देखा उसे मैं इलाहाबाद के पथ पर - वह तोड़ती प
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