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Vipin Singh
गलती पीठ की तरह होती है, औरों की दिखती है पर अपनी नहीं... vk....😊 #Mistake shikhar vishwakarma Annu Sharma P@NKAJ M££NA MY BUSINESS MY LIFE Nikhat pathan Pratima tripathi
#Mistake shikhar vishwakarma Annu Sharma P@NKAJ M££NA MY BUSINESS MY LIFE Nikhat pathan Pratima tripathi
read moreVipin Singh
कुछ लोग सितम करने को तैयार बैठे हैं, कुछ लोग हम पर दिल हार बैठे हैं, इश्क को आग का दरिया ही समझ लीजिये, कुछ इस पार तो कुछ उस पार बैठे हैं..!!! Heartless Alisha...!! Nikhat pathan Pratima tripathi SUMIT SWARNAKAR Anushka Tiwari
Heartless Alisha...!! Nikhat pathan Pratima tripathi SUMIT SWARNAKAR Anushka Tiwari #Shayari
read moreMadhusudan Shrivastava
तरू पल्लव जड़ फल फूलों अरु शाखाओं पर पुष्पित राम। दृश्य नहीं हैं किंतु सृष्टि में कण-कण घट-घट व्यापित राम। राज महल के भोग छोड़ कर मर्यादा को मान दिये। कुल मर्यादा अरु समाज के मूल्यों का वो ज्ञान दिये। विधि लेती है कठिन परीक्षा, नहीं थे इससे वंचित राम। दृश्य नहीं हैं किंतु सृष्टि में कण-कण घट-घट व्यापित राम।। शिव के अप्रतिम भक्त राम तो राम-भक्त भोले शंकर। एक दूजे की शक्ति हैं दोनो रघुनंदन अरु रामेश्वर। रघुकुल भूषण सूर्यवंश मणि सियापति शिव पूजित राम। दृश्य नहीं हैं किंतु सृष्टि में कण-कण घट-घट व्यापित राम ।। साथी धर्म निभाने को वो, शक्ति बाण भी सह लेते। जीत के लंका लंकापति से, राज्य विभिषण को देते। देवों के हैं देव किंतु, हैं सहज सरल अनुशासित राम। दृश्य नहीं हैं किंतु सृष्टि में कण-कण घट-घट व्यापित राम।। सतयुग, त्रेता, द्वापर, कलियुगराम के ग्रंथों का सार हैं राम। भाषा भाष्य विभाषा हैं वो परिभाषा के पार हैं राम। किन्तु जगत में समय समय पर किये गए परिभाषित राम। दृश्य नहीं हैं किंतु सृष्टि में कण-कण घट-घट व्यापित राम ।। हे सृष्टा, हे सृष्टि नियंता, तुम ही नियम, नियामक भी। संहारक हो दुष्टों का तुम, तुम ही जगत के पालक भी। सुर नर मुनि के श्रेष्ठ आचरण से सज्जित मर्यादित राम। दृश्य नहीं हैं किंतु सृष्टि में कण-कण घट-घट व्यापित राम।। जन मानस के रोम रोम अरु हिय पर सबके अंकित राम। ©Madhusudan Shrivastava राम राम राम राम राम Sircastic Saurabh @it's_ficklymoonlight Sudha Tripathi poetess Pratima Upadhyay
राम राम राम राम राम Sircastic Saurabh @it's_ficklymoonlight Sudha Tripathi poetess Pratima Upadhyay #कविता
read moreAyu
“माँ की ममता को तो सब ने ही स्वीकारा है….. पर पिता की परविरश को कब किसने ललकारा है…!! मुश्किल की घंडियों में अक्सर मेरे साथ खड़े थे वो….. मेरी गलतिया थी फिर भी मेरी खातिर लड़े थे वो…!! कमियों की अहसास मुझको कभी तो हो न पायी …. कपकपा कर सोते थे, वो मेरे ऊपर थी रजाई ….!! माँ की गोदी की गर्माहट के बराबर उनकी थपकी…. कंधे उनके बिस्तर, मेरी आंखे हलकी सी जो झपकी….!! उनके होसलो ने कभी न आँखे नम होने दिए है….. जितनी थी मेरी जरूरत सबको तो पूरी किया है…!! उनकी लाड में जो पाया थोड़ी कड़वापन सही …. मेरी खातिर मुझे डाटा था वही बचपन सही….!! जिंदगी की दौड़ में अब अपने पैरों पर खड़े …. उनके जज़्बों की बदौलत मुश्किलों से हम लड़े….!! सर पे उनका साया जब तक चिंता न डर है कोई…!! उनके कंधो की बदौलत बढ़ रही है जिंदगी ……!! #LoveYouDad Pratima Yogi
#LoveYouDad Pratima Yogi
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मां घर का गौरव तो पिता घर के अस्तिव होते हैं। मां के पास अश्रुधारा तो पिता के पास संयम होता है। दोनों समय का भोजन मां बनाती है तो जीवनभर भोजन की व्यवस्था करने वाले पिता ही होते हैं। कभी लगी ठोकर या चोट तो ओ मां ही मुंह से निकलता है। लेकिन रास्ता पार करते हुए कोई ट्रक पास आकर ब्रेक लगाए तो बाप रे यही मुंह से निकलता है। क्योंकि छोटे-छोटे संकटों के लिए मां है तो बड़े संकट आने पर पिता ही याद आते हैं। पिता एक वटवृक्ष हैं जिसके शीतल छांव में संपूर्ण परिवार सुख से रहता है। happy father's day daddy ❤️❤️ #FathersDay Pratima Yogi
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