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KP EDUCATION HD
राहु ग्रह के बीज मन्त्र: ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम: का 108 बार रोजाना जाप करना चाहिए। - व्यक्ति को हनुमान जी या सरस्वती माता की पूजा करनी चाहिए। - ससुराल पक्ष से व्यक्ति संबंध अच्छे रखने चाहिए। - व्यक्ति को बजरंग बाण या हनुमान चालीसा का पाठ प्रतिदिन करना चाहिए। - जन्मकुंडली का विश्लेषण कराकर गोमेद धारण करना चाहिए। - व्यक्ति को तिल और जौ किसी हनुमान मंदिर में दान करने चाहिए। - राहु दोष से मुक्ति पाने के लिए व्यक्ति को दुर्गा चालीसा का पाठ प्रतिदिन करना चाहिए। - लाल किताब अनुसार पक्षियों को रोजाना बाजरा खिलाना चाहिए। - भोलेनाथ का हर सोमवार रुद्राभिषेक करना चाहिए। - तामसिक आहार व मदिरापान ना करें। - प्रतिदिन सुबह के समय चंदन का टीका लगाएं। ©KP TAILOR HD राहु ग्रह के बीज मन्त्र: ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम: का 108 बार रोजाना जाप करना चाहिए। - व्यक्ति को हनुमान जी या सरस्वती माता की पूजा
Saurav Dangi
जो हम खाते हैं, वह हम, बन जाता है, ज्यादा खाते हैं, तो हम वह,बन जाते हैं.. इसीलिए जितना हो सके निर्धारित कर निरंतर,हल्का,सुपाच्य और सात्विक आहार ही ग्रहण करें... saurabh #आहार
Rajeswari Rath
आहार तीन(3) प्रकार के होते है-सात्विक,राजसिक और तामसिक ।आहार से ही आचरण और प्रवृत्ति को आकार मिलता है। आहार
manoj kumar jha"Manu"
तामसिक दान जो दान बिना सत्कार के अथवा तिरस्कारपूर्वक अयोग्य देश-काल में और कुपात्र के प्रति दिया जाता है, वह दान तामस कहा गया है। - श्रीमद्भगवद्गीता अ० १७/२२ #गीताज्ञान तामसिक दान न करें।
Âñmôĺ Jâiñ
आदि को हो गये आहार, झूम उठा सारा संसार! देवों ने हीरे मोती पुष्प बरसाएं, मानव ने जयकारे लगाए, जय हो आदि रटते-रटते, राजा श्रेयांश में आहार कराएं!, चिड़िया चहक ने लगी, प्रभु की भक्ति में बहक ने लगी! आकाश में दिव्य ध्वनियां बजी, पूरी सृष्टि महक ने लगी!! अक्षय तृतीय का पावन दिन बन गया, जब प्रभु ने एक वर्ष बाद आहार किए! धन्य धन्य है वो राजा, जिसने पहली बार भगवान को आहार दिए!! आदि को हो गये आहार, झूम उठा सारा संसार! -अनमोल जैन !!अक्षय तृतीय की अनेकानेक शुभकामनाएं!! !! हो गये आहार!!
manoj kumar jha"Manu"
राजस आहार कड़वे, खट्टे, नमकयुक्त, बहुत गरम, तीखे, रूखे, जलन उत्पन्न करने वाले और दुःख, चिन्ता तथा रोगों को उत्पन्न करने वाले आहार अर्थात भोजन करने के पदार्थ राजस व्यक्तियों को प्रिय होते हैं। - श्रीमद्भगवद्गीता अ०१७/९ #गीता_ज्ञान राजस आहार
Ek villain
आहार मनुष्य के विचारों को भी प्रभावित करता है आहार की शुद्धता मानसिक सुधीरता की प्रेषक है अर्थव्यवस्था यह कहा गया है कि जैसे आहार होगा वैसा ही विचार होगा और जैसे विचार बनेगा यह व्यवहार में उतर जाएगा आधार तुम्हारा व्यवहार कहीं ना कहीं हमारे आर से भी संबंध रखता है हम यदि मादक पदार्थ का सेवन करेंगे तो हमारा व्यवहार अपनी सुचिता होने लगेगा शुद्ध सात्विक आहार हमारे भीतर सातवीं गुना का विकास करता है इसके विपरीत तामसिक आहार उत्तेजना और क्रोध आदि अवगुणों को पोषण देता है ©Ek villain आहार की शुद्धता