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VIIKAS KUMAR

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नरेश होशियारपुरी

Urdu_Word_Collab_Challenge_ Collab करें मेरे साथ 👉 Urdu_Hindi Poetry आज का लफ्ज़ है "ख़ुराक" अब पहले की तरह एक विजेता नहीं बल्कि 3 विजेता चुना जाएगा,, जो सबसे पहला विजेता होगा उनको testimonial किया जाएगा ! और दूसरे और तीसरे नंबर वाले विजेता को 'हाइलाइट' किया जाएगा। Example: #Food #YourQuoteAndMine #Meal #आहार #aamirshaikh

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अपनी सांसों को इतना समझा दीजिये।
कि ईश्क़ आसां नहीं ज़रा बता दीजिये।।
धड़कने चलते चलते थम जाती हैं।
ईश्क़ में मुश्किलें भी बढ़ जाती हैं।। Urdu_Word_Collab_Challenge_
Collab करें मेरे साथ 👉 Urdu_Hindi Poetry
आज का लफ्ज़ है "ख़ुराक"
अब पहले की तरह एक विजेता नहीं बल्कि 3 विजेता चुना जाएगा,,
जो सबसे पहला विजेता होगा उनको testimonial किया जाएगा !
और दूसरे और तीसरे नंबर वाले विजेता को 'हाइलाइट' किया जाएगा।

Example:

Gopal Lal Bunker

#दोहा #दोहावली #भोजन #आहार #glal #yqdidi #yqbaba #restzone शब्दार्थ- पाथोज- कमल समीच- जल निधि/ रस युक्त

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भोजन
~~~~~

काया अपनी यंत्र है, चाहे यह आहार।
भोज कीजिए पथ्य तुम, सुबह शाम दो बार।।
भोजन से तन मन चले, ऊर्जा मिले अपार।
खान-पान दो खंभ है, हरदम करो विचार।।

तन को भोजन चाहिए, मन को भलें विचार।
खान-पान अच्छा करो, रहते दूर विकार।।
बैठ सुखासन में सदा, रख आसन लो भोज।
शांत चित्त के खान से, सँवरे मुख पाथोज।।

ग्रास चबाकर खाइए, बनें तरल हर बार।
रस भोजन का तन लगे, आये बहुत निखार।।
नमक मिर्च अरु तेल सब, खाओ कर परहेज।
तेज लिये से रोग हो, मुख हो फिर निस्तेज।।

दूध दही लो भोज में, ऋतु फल भरें समीच।
कर अति का परहेज लो, उदय अस्त रवि बीच।।
खट्टा मीठा चटपटा, सभी बढ़ाएं भोग।
उचित करो उपयोग सब, काया रहे निरोग।।

सुबह करो रसपान तुम, ऋतु फल उत्तम जान।
दूध पीजिए रात को, जाये उतर थकान।।
सात दिवस में एक दिन, रखो सभी उपवास।
सुधरे पाचन तंत्र जब, बीते हर दिन खास।।

नींद जरूरी भोज है, तन चाहे विश्राम।
स्वस्थ रहे फिर मन बड़ा, अच्छे होते काम।।
भोज प्रसादी ईश की, देती सबको जान।
रूखी सूखी जो मिले, लो प्रभु करुणा मान।।

 #दोहा #दोहावली #भोजन #आहार #glal #yqdidi #yqbaba #restzone 

शब्दार्थ-
पाथोज- कमल
समीच- जल निधि/ रस युक्त

Gopal Lal Bunker

भोजन
~~~~~

काया अपनी यंत्र है, चाहे यह आहार।
भोज कीजिए पथ्य तुम, सुबह शाम दो बार।।

भोजन से तन मन चले, ऊर्जा मिले अपार।
खान-पान दो खंभ है, हरदम करो विचार।।

तन को भोजन चाहिए, मन को भलें विचार।
खान-पान अच्छा करो, कि दूर रहे विकार।।

बैठ पालथी मारके, रख आसन लो भोज।
शांत चित्त के खान से, सँवरे मुख पाथोज।।

दूध दही लो भोज में, ऋतु फल भरें समीच।
कर अति का परहेज लो, उदय अस्त रवि बीच।।


 #दोहा #दोहावली #भोजन #आहार #कोराकाग़ज़ #glal #yqdidi

दीksha

स्वथ्य आहार के साथ-योगा को हैं कहना hii
अस्वस्थ जीवन और बीमारियों को कहो byee!

©दीksha #CancerDay #योगा #आहार #Love

GURJASPAL SINGH

Urdu_Word_Collab_Challenge_ Collab करें मेरे साथ 👉 Urdu_Hindi Poetry आज का लफ्ज़ है "ख़ुराक" अब पहले की तरह एक विजेता नहीं बल्कि 3 विजेता चुना जाएगा,, जो सबसे पहला विजेता होगा उनको testimonial किया जाएगा ! और दूसरे और तीसरे नंबर वाले विजेता को 'हाइलाइट' किया जाएगा। Example: #Food #YourQuoteAndMine #Meal #आहार #aamirshaikh

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नसीब वाला है, खुराक नसीब है तुझे
जिंदगी प्यारी मे, आहार नसीब है तुझे  Urdu_Word_Collab_Challenge_
Collab करें मेरे साथ 👉 Urdu_Hindi Poetry
आज का लफ्ज़ है "ख़ुराक"
अब पहले की तरह एक विजेता नहीं बल्कि 3 विजेता चुना जाएगा,,
जो सबसे पहला विजेता होगा उनको testimonial किया जाएगा !
और दूसरे और तीसरे नंबर वाले विजेता को 'हाइलाइट' किया जाएगा।

Example:

Saurav Dangi

#आहार

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जो हम खाते हैं, वह हम, 
बन जाता है, ज्यादा खाते हैं,
 तो हम वह,बन जाते हैं.. 

इसीलिए जितना हो सके निर्धारित कर निरंतर,हल्का,सुपाच्य और सात्विक आहार
 ही ग्रहण करें... saurabh #आहार

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 3 – अकुतोभय हिरण्यरोमा दैत्यपुत्र है, अत: कहना तो उसे दैत्य ही होगा। उसका पर्वताकार देह दैत्यों में भी कम को प्राप्त है। किंतु स्वभाव से उसका वर्णन करना हो तो एक ही शब्द पर्याप्त है उसके वर्णनके लिये - 'भोला!' वह दैत्य है, अत: दत्यों को जो जन्मजात सिद्धियां प्राप्त होती हैं, उसमें भी हैं। बहुत कम वह उनका उपयोग करता है। केवल तब जब उसे कहीं जाने की इच्छा हो - गगनचर बन जाता है वह। अपना रूप भी वह परिवर्तित कर सकता है, जैसे यह बात उसे स्मरण ही

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
3 – अकुतोभय

हिरण्यरोमा दैत्यपुत्र है, अत: कहना तो उसे दैत्य ही होगा। उसका पर्वताकार देह दैत्यों में भी कम को प्राप्त है। किंतु स्वभाव से उसका वर्णन करना हो तो एक ही शब्द पर्याप्त है उसके वर्णनके लिये - 'भोला!'

वह दैत्य है, अत: दत्यों को जो जन्मजात सिद्धियां प्राप्त होती हैं, उसमें भी हैं। बहुत कम वह उनका उपयोग करता है। केवल तब जब उसे कहीं जाने की इच्छा हो - गगनचर बन जाता है वह। अपना रूप भी वह परिवर्तित कर सकता है, जैसे यह बात उसे स्मरण ही

Sudeep Keshri✍️✍️

Fit India Movement सुबह सुबह जल्दी जग जाता हूँ,
अपनी नींद पूरी लेता हूँ,
थोड़ा व्यायाम करता हूँ,
दिन भर मुस्कुराता हूँ,
मौका मिलने पर खुलकर खिलखिलाता हूँ,
तीन वक्त का संतुलित आहार खाता हूँ,
जरूरत पड़ने पर आहार पे भी अल्पविराम लगाता हूँ,
नॉनवेज हाथ नहीं लगाता हूँ,
इतने से अपने तन और मन को तंदुरुस्त पाता हूँ,
सबसे जरूरी अपने आसपास का माहौल ऐसा बनाता हूँ,
कि साथ काम करने वाले भी खूब मस्ती कर पाते हैं,
हाँ जब कभी भी मौका मिले प्रकृति का
भरपूर लुफ्त उठाता हूँ
जिससे खूब सुकून पाता हूँ। #FitIndiaMovement

tehzibasheikh👩‍💻

हमारे शरीर की प्रकृति के अनुसार व्यक्तिगत आहार का प्रावधान है।एक हीं खाद्य पदार्थ किसी के लिए अनुकूल हो सकता है और किसी के लिए हानिकारक हो सकता है, यह व्यक्ति विशेष की प्रकृति पर निर्भर करता है। यह एक आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करके फैसला करना चाहिए की किस किस्म का भोजन आप के लिए आवश्यक है और हमें किस प्रकार के भोजन से बचना चाहिए। हमें निश्चित रूप से हमारे आहार पर ध्यान देना चाहिए, हमारे प्राचीन भारतीय ग्रंथों में भी कहा गया है की “ हम जो खाते हैं हम वैसे ही बन जाते हैं”

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हमारे शरीर की प्रकृति के अनुसार व्यक्तिगत आहार का प्रावधान है।एक हीं खाद्य पदार्थ किसी के लिए अनुकूल हो सकता है और किसी के लिए हानिकारक हो सकता है, यह व्यक्ति विशेष की प्रकृति पर निर्भर करता है। यह एक आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करके फैसला करना चाहिए की किस किस्म का भोजन आप के लिए आवश्यक है और हमें किस प्रकार के भोजन से बचना चाहिए। हमें निश्चित रूप से हमारे आहार पर ध्यान देना चाहिए, हमारे प्राचीन भारतीय ग्रंथों में भी कहा गया है की

“ हम जो खाते हैं हम वैसे ही बन जाते हैं” हमारे शरीर की प्रकृति के अनुसार व्यक्तिगत आहार का प्रावधान है।एक हीं खाद्य पदार्थ किसी के लिए अनुकूल हो सकता है और किसी के लिए हानिकारक हो सकता है, यह व्यक्ति विशेष की प्रकृति पर निर्भर करता है। यह एक आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करके फैसला करना चाहिए की किस किस्म का भोजन आप के लिए आवश्यक है और हमें किस प्रकार के भोजन से बचना चाहिए। हमें निश्चित रूप से हमारे आहार पर ध्यान देना चाहिए, हमारे प्राचीन भारतीय ग्रंथों में भी कहा गया है की

“ हम जो खाते हैं हम वैसे ही बन जाते हैं”
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