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Anil kumar jatav

व औलादे

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जन्नत के हर लम्हे का हम दीदार करते है।
जब गोद मे लेकर माँ बाप हमे प्यार करते है।
उनके दिल को जब बहुत ठेस लगती है जनाब।
जब बो बेटे बुढापे मे उन्ही को इनकार करते है।
और बही लोग मां बाप को अक्सर क्यों सताते है।
जिनके जहाँ मे आने का बो 9 महीने इन्तजार करते है।
बो दिन भूल जाती है औलादे जबाॅ होकर हमेशा।
जिसने अपनी छाती का खून पिलाया बो उसी पर बार करते है।
जिन्होने सब कुछ लुटा दिया तुम्हारे बास्ते ऐ मेरे दोस्त।
मेरे लिये किया ही क्या है, ये कहकर उनके दिल के टुकडे हजार करते है।
अनिल।

©Anil kumar jatav व औलादे

Manmohan Dheer

औलादें

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तजुर्बे थके हारे उदास गाँव ही रहे
सहारे लेकर औलादें शहर हो गई औलादें

Vijay Bhatt

लोकतंत्र की चार औलादे..! #Navratra2021

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Anil kumar jatav

आज कल की औलादें

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सम्मान हमेशा  क्या क्या सपनें पाले थे सब चूर हो गऐ।
बच्चों ने डिग्री ली और घर से दूर हो गऐ।
सोचा था बुढापे का सहारा बनेगे मेरे बेटे।
मगर ठुकराया माँ बाप को,सब के सब बेसाहूर हो गऐ।

©Anil kumar jatav आज कल की औलादें

keshav

औलादें उनकी जवां हो गयी हैं। #Shayari #hindishayari #Life_experience Life #Life_Experiences

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इज्ज़त,तमीज,परवाह की बाते,
परिवार से अब हवा हो गयी हैं।
बुड्ढे माँ-बाप को पता चल गया,
औलादें उनकी जवां हो गयी हैं।

©keshav औलादें उनकी जवां हो गयी हैं।
     
  #Shayari #hindishayari #Life_experience #Life 
#Life_Experiences

Mohammad Ibraheem Sultan Mirza

यूं तो औलादें चार थीं उनकी.. बच्चों ने मगर बुढ़ापे में लाठी थमा दी..!!

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यूं तो औलादें चार थीं उनकी,

बच्चों ने मगर बुढ़ापे में लाठी थमा दी,
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मौहम्मद इब्राहीम सुल्तान मिर्जा,, यूं तो औलादें चार थीं उनकी..
बच्चों ने मगर बुढ़ापे में लाठी थमा दी..!!

Ram Rv Sen

#Delhi_Riots वाह रे सियासत क्या खूब ये खेल रचाया अनाथ हो जायगी कई औलादे गर अब भी मंसूबा समझ ना आया #बात

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आग लगी जब घर में
तो अपनों ने, परायों को दोषी ठहराया
परायें वो जिसने मिलकर था घर बनाया
वाह रे सियासत क्या खूब ये खेल रचाया
अनाथ हो जायेंगी कई औलादे 
गर अब भी मंसूबा समझ ना आया
-Rv✍ #Delhi_Riots 
वाह रे सियासत क्या खूब ये खेल रचाया
अनाथ हो जायगी कई औलादे गर अब भी मंसूबा समझ ना आया

#maxicandragon

वाह रे औलादें साली वाह रे औलादें श्राध चल रहे है बाबूजी बस देखो आगे आगे आधे घंटे में मेरा कुत्ता न उठता अपने द्वारे से #Sadharanmanushya #औलादें_ऐसी_भी

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वाह रे औलादें
साली
वाह रे औलादें
श्राध चल रहे है बाबूजी
बस देखो आगे आगे

आधे घंटे में मेरा कुत्ता
न उठता अपने द्वारे से 
प्यार से उठाओ धीरे से 
तब आता वो खाने पे

तब भी जब तक न मनाओ
मूँह फेरता है  निवाले से 
वो सबको अच्छे से जानता 
बडे मुश्किल से कहीं मानता है 

अब ये औलादें आई है 
मुश्किल से समय निकालके
आधे घंटे में जैसे तैसे 
श्राध में तुम्हें बुलानखै

लग गई झाडू,बन गौ खाना
आने है तो आ जाओ 
घर के अंदर से आवाज लगारैह
कागा रूप में आ जाओ 

आओ आओ आओ आओ

ना चोक पुरा न आमंत्रण 
न तिलांजलि न पडे चरण 
कैसे आग्रह माने चिटी कुत्ता 
कागा गाय और देवतागण


शाम हो गई जाना भी है 
तुम जल्दी से आ जाओ 
वरना दरवाजे हो गए बंद तो 
सीधे अगले साल आओ

#औलादें_ऐसी_भी
#Sadharanmanushya

©#maxicandragon वाह रे औलादें
साली
वाह रे औलादें
श्राध चल रहे है बाबूजी
बस देखो आगे आगे

आधे घंटे में मेरा कुत्ता
न उठता अपने द्वारे से

Vivek Singh

#candle एक #मोम ने खुद को #खाक कर दिया, रौशन–ऐ–मकां करने को। #कुछ #लोग थे जो मोम से नहीं, उसकी #रोशनी से #खुश थे, शब्दार्थ #पिता #दौलत #कोट्स #औलादें

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एक मोम ने खुद को खाक कर दिया,
रौशन–ऐ–मकां करने को।

कुछ लोग थे जो मोम से नहीं,
उसकी रोशनी से खुश थे,

शब्दार्थ
मोम–पिता, लोग–औलादें 
रोशनी–दौलत

©Vivek Singh #candle 
एक #मोम ने खुद को #खाक कर दिया,
रौशन–ऐ–मकां करने को।

#कुछ #लोग थे जो मोम से नहीं,
उसकी #रोशनी से #खुश थे,

शब्दार्थ

Suraj Mani

राष्ट्रीय चिंतन की पंक्तियाँ।। अपनी नज़रों से सब गिराते हैं। रंग रलियों में सुकून पाते हैं। मुँह फेर क्यों लेती हैं औलादें। मा बाप जब बूढ़े हो

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अपनी नज़रों से सब गिराते हैं।
रंग रलियों में सुकून पाते हैं।
मुँह फेर क्यों लेती हैं औलादें।
मा बाप जब बूढ़े हो जाते हैं। राष्ट्रीय चिंतन की पंक्तियाँ।। अपनी नज़रों से सब गिराते हैं।
रंग रलियों में सुकून पाते हैं।
मुँह फेर क्यों लेती हैं औलादें।
मा बाप जब बूढ़े हो
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