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Anil kumar jatav
जन्नत के हर लम्हे का हम दीदार करते है। जब गोद मे लेकर माँ बाप हमे प्यार करते है। उनके दिल को जब बहुत ठेस लगती है जनाब। जब बो बेटे बुढापे मे उन्ही को इनकार करते है। और बही लोग मां बाप को अक्सर क्यों सताते है। जिनके जहाँ मे आने का बो 9 महीने इन्तजार करते है। बो दिन भूल जाती है औलादे जबाॅ होकर हमेशा। जिसने अपनी छाती का खून पिलाया बो उसी पर बार करते है। जिन्होने सब कुछ लुटा दिया तुम्हारे बास्ते ऐ मेरे दोस्त। मेरे लिये किया ही क्या है, ये कहकर उनके दिल के टुकडे हजार करते है। अनिल। ©Anil kumar jatav व औलादे
Anil kumar jatav
सम्मान हमेशा क्या क्या सपनें पाले थे सब चूर हो गऐ। बच्चों ने डिग्री ली और घर से दूर हो गऐ। सोचा था बुढापे का सहारा बनेगे मेरे बेटे। मगर ठुकराया माँ बाप को,सब के सब बेसाहूर हो गऐ। ©Anil kumar jatav आज कल की औलादें
keshav
इज्ज़त,तमीज,परवाह की बाते, परिवार से अब हवा हो गयी हैं। बुड्ढे माँ-बाप को पता चल गया, औलादें उनकी जवां हो गयी हैं। ©keshav औलादें उनकी जवां हो गयी हैं। #Shayari #hindishayari #Life_experience #Life #Life_Experiences
Mohammad Ibraheem Sultan Mirza
यूं तो औलादें चार थीं उनकी, बच्चों ने मगर बुढ़ापे में लाठी थमा दी, ___________________________ मौहम्मद इब्राहीम सुल्तान मिर्जा,, यूं तो औलादें चार थीं उनकी.. बच्चों ने मगर बुढ़ापे में लाठी थमा दी..!!
Ram Rv Sen
आग लगी जब घर में तो अपनों ने, परायों को दोषी ठहराया परायें वो जिसने मिलकर था घर बनाया वाह रे सियासत क्या खूब ये खेल रचाया अनाथ हो जायेंगी कई औलादे गर अब भी मंसूबा समझ ना आया -Rv✍ #Delhi_Riots वाह रे सियासत क्या खूब ये खेल रचाया अनाथ हो जायगी कई औलादे गर अब भी मंसूबा समझ ना आया
#maxicandragon
वाह रे औलादें साली वाह रे औलादें श्राध चल रहे है बाबूजी बस देखो आगे आगे आधे घंटे में मेरा कुत्ता न उठता अपने द्वारे से प्यार से उठाओ धीरे से तब आता वो खाने पे तब भी जब तक न मनाओ मूँह फेरता है निवाले से वो सबको अच्छे से जानता बडे मुश्किल से कहीं मानता है अब ये औलादें आई है मुश्किल से समय निकालके आधे घंटे में जैसे तैसे श्राध में तुम्हें बुलानखै लग गई झाडू,बन गौ खाना आने है तो आ जाओ घर के अंदर से आवाज लगारैह कागा रूप में आ जाओ आओ आओ आओ आओ ना चोक पुरा न आमंत्रण न तिलांजलि न पडे चरण कैसे आग्रह माने चिटी कुत्ता कागा गाय और देवतागण शाम हो गई जाना भी है तुम जल्दी से आ जाओ वरना दरवाजे हो गए बंद तो सीधे अगले साल आओ #औलादें_ऐसी_भी #Sadharanmanushya ©#maxicandragon वाह रे औलादें साली वाह रे औलादें श्राध चल रहे है बाबूजी बस देखो आगे आगे आधे घंटे में मेरा कुत्ता न उठता अपने द्वारे से
Vivek Singh
एक मोम ने खुद को खाक कर दिया, रौशन–ऐ–मकां करने को। कुछ लोग थे जो मोम से नहीं, उसकी रोशनी से खुश थे, शब्दार्थ मोम–पिता, लोग–औलादें रोशनी–दौलत ©Vivek Singh #candle एक #मोम ने खुद को #खाक कर दिया, रौशन–ऐ–मकां करने को। #कुछ #लोग थे जो मोम से नहीं, उसकी #रोशनी से #खुश थे, शब्दार्थ
Suraj Mani
अपनी नज़रों से सब गिराते हैं। रंग रलियों में सुकून पाते हैं। मुँह फेर क्यों लेती हैं औलादें। मा बाप जब बूढ़े हो जाते हैं। राष्ट्रीय चिंतन की पंक्तियाँ।। अपनी नज़रों से सब गिराते हैं। रंग रलियों में सुकून पाते हैं। मुँह फेर क्यों लेती हैं औलादें। मा बाप जब बूढ़े हो