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हिंदीवाले
ऊँचे कुल का जनमिया, करनी ऊँची न होय। सुवर्ण कलश सुरा भरा, साधू निंदा होय।। ~कबीर ©हिंदीवाले ऊँचे कुल का जनमिया, करनी ऊँची न होय। सुवर्ण कलश सुरा भरा, साधू निंदा होय।। ~कबीर #Sunrise #कबीर
Garima Mahnot Jain
धरती आ वीरां रे बलिदान री धरती म्हारे राजस्थान री धरती आ ठाठ बाठ री धरती म्हारे राजस्थान री।। जय जय राजस्थान 🚩 राजस्थान केवल इक राज्य कोणी, राजस्थान भारत री शान है अर हर राजस्थानी रो स्वाभिमान है। राजस्थान कर्मभूमी है वीरो रा ज्यां म
अनिता कुमावत
वीर सपूतां रे बलिदान री होवे साका रणभूमि माय जले ज्वाला जौहर स्वाभिमान री गढ़, किला , महल और हवेलियाँ सुणावे गाथा सांस्कृतिक शान री कालबेलिया, घूमर धूम मचावे जग माय "बनी ठनी " नाम चित्रकारी पहचान री धोरां री धरा या पावन पुण्य लोक देवता और संत महान री और कांई कांई सुणाऊँ म्हे थाणे या धरती है म्हारे अभिमान री !!!! राजस्थान की धरती है भक्ति , शक्ति शौर्य , धर्म और कर्म की कभी आकर देखिए .. "जाने क्या दिख जाये " 😊🙏 जय जय राजस्थान 🚩 राजस्थान केवल इक राज
Anita Saini
जय जय राजस्थान तीन आखर रो मेळ, आन बान शान.. जठै थाने मिळसी, "वो" म्हारो राजस्थान.. सारो जगत जाणै, मै के करूँ ईंको गुणगान.. अठै पैदा हुए क्षत्रिय, कुम्भा,सांगा,प्रताप महान.. क्षत्रिय राणी बी, कर कै गई काम महान... आपरी ईज्जत रै कारण,जौहर मै झौंक दी जान... पाणी री कमी से जूझै म्हारो राजस्थान पण है अद्वैत शोर्य,बल,बुद्धि ज्ञान से भरी खान..!! जय जय राजस्थान 🚩 राजस्थान केवल इक राज्य कोणी, राजस्थान भारत री शान है अर हर राजस्थानी रो स्वाभिमान है। राजस्थान कर्मभूमी है वीरो रा ज्यां म
Divyanshu Pathak
5. पांचवां दिन और स्कंदमाता की उपासना। -- हमने आपको मैया शैलपुत्री,ब्रह्मचारिणी,चन्द्रघण्टा,कूष्मांडा क्रमशः अंक 9,8,7,6 के बारे में बताया कि जीवन के आरंभ और पोषण के साथ सृष्टि में होने वाले कौतूहल के साथ ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति में प्रथम चार देवियों का योग निहित हुआ। स्कंदमाता के दिन में सुमार नवरात्रों का ये 5 वां दिन है।आज के दिन तिथि भी पञ्चमी है। सम्पूर्ण सृष्टि का सूक्ष्मतम रूप पंच महाभूत ( आकाश Space , वायु Air- Quark, अग्नि fire-Energy, जल water- Force तथा पृथ्वी Earth-Matter ) माने गए हैं जिनसे सृष्टि का प्रत्येक पदार्थ बना है। देवताओं को भोग लगाने के लिए 5 तरह के द्रव्य मिलाए जाते हैं जिनसे पंचामृत बनता है। देहधारियों में 5 ज्ञानेंद्रिय और 5 ही कर्मेन्द्रीयाँ हैं।शब्द ,रूप, रस, गंध और स्पर्श ये 5 इंद्रियों के विषय हैं।किसी मसले को सुलझाने के लिए पाँच लोगों का आगे आकर निराकरण करने में सहयोग 'पञ्च परमेश्वर' के रूप में देखा जाता है। हमारे राजस्थान में पंच पीरों को लोक देवता के रूप में पूजा जाता है। उनके बारे में एक प्रसिद्ध दोहा है- पाबू, हड़बू, रामदे, मांगलिया, मेहा । पांचो पीर पधारज्यों, गोगाजी जेहा।। 5. पांचवां दिन और स्कंदमाता की उपासना। -- हमने आपको मैया शैलपुत्री,ब्रह्मचारिणी,चन्द्रघण्टा,कूष्मांडा क्रमशः अंक 9,8,7,6 के बारे में बताया क