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Adarsh jha
कि जो मुक्कदर मे लिखा नहीं उसे पाएं तो पाएं कैसे मुस्कुराने की चाह तो हैं पर मुस्कुराएँ कैसे दिल तो टूट गया एक बार उस बेवफ़ा के प्यार में समझ में आ गया तो फिर दोहराएं कैसे adarshjha #दिल #लगाएं #कैसे
Kadipur
फूल है गुलाब का सुगंध लीजिए आशिक हूं आपका सहेली का ना समझना ©Kadipur फॉलो करें और कमेंट में बताइए कैसे लगाएं
फॉलो करें और कमेंट में बताइए कैसे लगाएं #फ़िल्म
read moreTension ko do Pension
अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएं कैसे| तेरे जहन की बात मालूम लगाएं कैसे| तुम ख्वाइश हो तेरी ख्वाहिश मैं बनू कैसे| -Manas Priya #अपने #चेहरे से जो #ज़ाहिर है छुपाएं कैसे| तेरे #जहन की बात #मालूम लगाएं कैसे| तुम ख्वाइश हो तेरी #ख्वाहिश मैं बनू कैसे|
Arpit
वर्षात आने वाली है कृप्या करके सभी लोग एक पोधा जरूर लगाएं धन्यवाद। ©Arpit #वृक्ष जरूर लगाएं#
Deepak Negi
आपको हमारे पहाड़ अच्छे लगते हैं, पहाड़ों में लगे पेड़ अच्छे लगते हैं, पेड़ों से आती हवा अच्छी लगती है, हवा से मिली ठंडक अच्छी लगती है, ठंडक से मिला सुकून अच्छा लगता है, तो जनाब, पेड़ लगाएं और जीवन का आनंद लें। ©Deepak Negi पेड़ लगाएं। #lily
Ek villain
परिवारवाद के बेलगाम राजनीति शीर्षक से प्रकाशित आलेख में हृदय नारायण दीक्षित ने भारत राजनीति की एक वास्तविक से भी को भी परिचय कराया इसमें कोई संदेह नहीं कि परिवार वादी राजनीतिक दलों वाली अवस्था में लोकतंत्र आदेश रूप में पुष्पित पल्लवित नहीं हो पाता फिर ऐसी लोकशाही और रास्ता ही में कोई फर्क नहीं रह जाता उसमें सामान्य राजनीतिक कार्यकर्ताओं की नियुक्ति फिर पार्टियों के प्रथम परिवार की पालकी ढोल तथा समेस्टर रह जाती है उनके हिस्से में अपेक्षाकृत कम महत्व के दायित्व आते हैं क्योंकि शेष पद तो सदैव प्रथम परिवार के लिए आरक्षित रहते हैं और सिलसिला पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है ऐसी स्थिति में प्रतिभाओं की अपेक्षा एवं अपमान स्वभाविक ही है अंधे राजनीतिक दलों ने यह जो व्यवस्था बनाई है वह तंत्र में लोग के भरोसे का अवमूल्यन करना लोकतंत्र की अवधारणा के प्रश्न अंकित कराती है यह भी उतनी ही कड़वी सच्चाई है कि तंत्र की एक व्यक्ति होती तस्वीर के लिए जनता भी उतनी ही जिम्मेदार है जब वह एक के बाद एक चुनाव में परिवारिक मलिया के चलने वाले राजनीतिक दलों को सत्ता की कुंजी सकते हैं तो इन दोनों का ही मन बढ़ता है ऐसे में परिवारवाद के बेला गांव होते राजनीति के लगाम अगर कोई कर सकता है तो केवल और केवल जनता जनार्दन वह पर इस पर जनता विवेक समिति निर्णय करेगी लोकतांत्रिक व्यवस्था उतनी ही बेहतर बनेगी जिसमें जितनी देरी होगी वह लोकतंत्र को उतनी ही क्षति पहुंचाएगा ©Ek villain #जनता लगाएं लगाम #bestfriends
#जनता लगाएं लगाम #bestfriends #Society
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