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Rajesh rajak
हमारी जान है वर्दी, हमारी शान है वर्दी, हमारा मान है वर्दी, अभिमान है वर्दी, अम्मा ने खत लिखा बड़े चाव से, पुत्र न मेरा दूध लजाना। एक इंच पीछे मत हटना, चाहे इंच इंच कट जाना।। जय हिन्द ©Rajesh rajak सेना की मध्य कमान का अलंकरण समारोह जबलपुर मध्य प्रदेश,,
Maneesh Vishwakarma
क्यूँ रो रहा है, ये आंसमा ! क्यूँ सिसक रही है, ये जमीं !! मैं तो केवल एक था,माँ भारती का सर जवां ,तो कयूँ खल रही है, ये कमी ..... न चाहता था जो ,जीते जी मैं मिल गयी वहीं नमीं.... बहाया लहूँ, जो तेरे श्रंगार में न खल रही उसकी कमीं... चाहूँगा यही मैं अगले सौ जनम,मिले यही सर जमीं.... मैं तो केवल एक था तो क्यूँ रही खल रही है, ये कमी. ## वीर योद्धा, एक सैनिक के अपनत्व के कुछ शब्द जो वह माँ भारती का अलंकरण करने के पश्चात, अपनी धरा, अपनी मात्रभूमि की मिट्टी की सौधीं -2 सी खु
Mili Saha
// जीवन का अलंकरण // सत्कर्म, संस्कार और आदर्श ही जीवन का अलंकरण, अंत समय सब रह जाएगा यहीं साथ जाएगा आचरण, नश्वर यह तन मिट्टी का एक दिन मिट्टी में मिल जाना है, दो पल ज़िन्दगी ये नफ़रत छोड़ प्रेम का करो अनुशरण, क्योंकि प्रेम वो रास्ता है जो ईश्वर से जोड़े रखे हर क्षण, किसी के प्रति द्वेष भावना रखने से विचलित होता मन, धन-दौलत, एशो-आराम इनसे ना मिले वास्तविक सुख, इसी मोह माया में फंस कर रह जाता हमारा पूरा जीवन, इसी माया के लिए तो नफ़रत करता है इंसान से इंसान, सत्कर्म,संस्कार भूल कर नफ़रत में बन जाता वो हैवान, जो हम देते संसार को वही लौटकर हमारे पास आता है, नफ़रत से केवल मान खोता अंत तक मिले नहीं सम्मान, रिश्ते भी वही पनपते हैं जहांँ प्रेम की होती मीठी ज़ुबान, किसी को नीचा दिखाकर कोई कैसे हो सकता है महान, पल पल दुख की खाई में गिरता जाए बुरे कर्म जो करता, जीवनभर रहता दुखी वो जो इस सच्चाई से रहे अनजान। ©Mili Saha जीवन का अलंकरण #lonelynight #nojotohindi #nojotopoetry #nojotoapp #sahamili #जीवन #poem
राघव_रमण (R.J)..
अलंकरण की छंटा बिखरी छंद मे हो गया भटकाव रस की भाव भंगिमा बिगरी बस भावों का रहा प्रभाव सृजन को कलम पकड़ु कैसे भय कंपन है हाथों में किधर समेटुं किसे सहेजुं समझ न आयें बरसातों में।। शब्दों का तुफान उठ रहा है थामुं कैसे किन हालातों में किधर समेटुं किसे सहेजुं समझ न आयें बरसातों में ।। किसे कहुं समझे कौन सब मगन है अपनी रा
राघव_रमण (R.J)..
कविता कहानी अपनी जुबानी गजल गीत शब्दों की है रवानी।। मनोभाव अपने समेटे चली वो कलम स्याही के रंगों में घुली वो कभी कुछ बड़ी संरचना बनाती कभी छोटे - छोटे रूपों में ढली वो अक्षरों के सहारे है जिसकी जवानी गजल गीत शब्दों की है रवानी कविता कहानी अपनी जुबानी।। ©राघव रमण 28/11/19 कविता कहानी अपनी जुबानी गजल गीत शब्दों की है रवानी।। मनोभाव अपने समेटे चली वो कलम स्याही के रंगों में घुली वो कभी कुछ बड़ी संरचना बनाती कभ
Ravendra
Prerit Modi सफ़र
मेरी आराइश पाकीज़ा है, मुक़द्दस इन निगाहों में तू डूबेगा कैसे इफ़्फ़त हैं नज़रें मेरी तू नज़रों से मेरी बच कर निकलेगा कैसे इन वादियों की सारी ख़ुशबू झील का पानी निगल गयी हूँ मैं आफ़ताब सी ताब है मुझमें तू चराग़ खुद का लेकर निकलेगा कैसे आराइश- अलंकरण मुक़द्दस- pure इफ़्फ़त- पवित्र आफ़ताब-सूरज ताब- चमक 🌝प्रतियोगिता-83🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️
Insprational Qoute
सम्पूर्ण रचना अनुशीर्षक में पढ़े। वेदव्यास, वाल्मिकि ,भवभूति,श्रीहर्ष, बाणभट्ट, पल्लवित किया संस्कृत का साहित्य सु -स्पष्ट, चयनित विषयों में प्रकृति का सार अनमोल- है, धरा क
Ravendra