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Jitendra Kumar
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर । जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥ राम दूत अतुलित बल धामा । अंजनिपुत्र पवनसुत नामा ॥ महावीर विक्रम बजरंगी । कुमति निवार सुमिति के संगी ॥ कंचन बरन विराज सुवेसा । कानन कुण्डल कुंचित केसा ॥ हाथ बज्र औ ध्वजा विराजै । काँधे मूँज जनेऊ साजै ॥ शंकर सुवन केसरीनंदन । तेज़ प्रताप महा जग बंदन ॥ विद्यावान गुनी अति चातुर । राम काज करिबे को आतुर ॥ प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया । राम लखन सीता मन बसिया ॥ सूक्ष्म रूप धरि सियहीं दिखावा । बिकट रूप धरि लंक जरावा ॥ भीम रूप धरि असुर सँहारे । रामचन्द्रजी के काज सँवारे ॥ लाय सजीवन लखन जियाये । श्री रघुबीर हरषि उर लाये ॥ रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई । तुम मम प्रिय भरतहि समभाई ॥ सहस बदन तुम्हरो जस गावै । अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावै ॥ सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा । नारद सारद सहित अहीसा ॥ जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते । कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ॥ तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा । राम मिलाय राजपद दीन्हा ॥ तुम्हरो मन्त्र विभीषन माना । लंकेश्वर भये सब जग जाना ॥ जुग सहस्त्र जोजन पर भानु । लील्यो ताहि मधुर फल जानु ॥ प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं । जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥ दु्र्गम काज जगत के जेते । सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥ राम दुआरे तुम रखवारे । होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥ सब सुख लहैं तुम्हारी सरना । तुम रक्षक काहू को डरना ॥ आपन तेज़ सम्हारो आपै । तीनों लोक हाँक तें काँपै ॥ भूत पिसाच निकट नहिं आवै । महावीर जव नाम सुनावैं ॥ नासै रोग हरै सब पीरा । जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥ संकट ते हनुमान छुड़ावै । मन क्रम वचन ध्यान जो लावै ॥ सब पर राम तपस्वी राजा । तिनके काज सकल तुम साजा ॥ और मनोरथ जो कोई लावै । सोई अमित जीवन फल पावै ॥ चारो जुग परताप तुम्हारा । है परसिद्ध जगत उजियारा ॥ साधु संत के तुम रखबारे । असुर निकंदन राम दुलारे ॥ अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता । अस वर दीन जानकी माता ॥ राम रसायन तुम्हरे पासा । सदा रहो रघुपति के दासा ॥ तुम्हरे भजन राम को पावै । जनम जनम के दु:ख बिसरावै ॥ अंत काल रघुवर पुर जाई । जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥ और देवता चित्त न धरई । हनुमत सेइ सर्व सुख करई ॥ संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरे हनुमत बलबीरा ॥ जै जै जै हनुमान गोसाईं । कृपा करहु गुरुदेव की नाई ॥ जो सत बार पाठ कर कोई । छूटहि बंदि महासुख होई ॥ जो यह पढै हनुमान चलीसा । होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥ तुलसीदास सदा हरि चेरा । कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ॥ ©Jitendra Kumar जय हनुमान चालीसा पाठ
जय हनुमान चालीसा पाठ #समाज
read moreRam Ram ji
jai bageshwar dham ki ©Ram Ram ji सवा लाख हनुमान चालीसा पाठ बागेश्वर धाम पर #Trading
Gurudeen Verma
शीर्षक- रामभक्त संकटमोचक जय हनुमान ----------------------------------------------------------------- (शेर)- नहीं कोई तुम सा बलशाली, महाबली हनुमान। तुम्हारे बिना है राम अधूरे, रामभक्त हनुमान।। --------------------------------------------------------------- रामभक्त संकटमोचक, जय हनुमान जय हनुमान। अंजनी सुत केसरीनंदन, जय हनुमान जय हनुमान।। जय जय जय जय जय हनुमान।---- (2) रामभक्त संकटमोचक ----------------------------।। शिवजी का अवतार है तू , अजर अमर हनुमान है तू। गदा- वज्र- ध्वजाधारी तू , महाबली हनुमान है तू।। पवनपुत्र- दशग्रीव दर्पहा, जय हनुमान जय हनुमान। रामभक्त संकटमोचक ----------------------------।। जय जय जय जय जय हनुमान।------((2) लक्ष्मण के तुम प्राण बचाने को,धौलगिरि पर्वत ले आये। करके असुरों का मर्दन तुम, रावण की लंका को जलाये।। सीता शोक विनाशक महावीर,जय हनुमान जय हनुमान। रामभक्त संकटमोचक --------------------------------।। जय जय जय जय जय हनुमान।------((2) कलयुग में भी सबके प्रिय हो, तुम बुद्धि प्रदाता हो। सागर पार कराया तुमने, तुम रामसेतु निर्माता हो।। सुवर्चला के जीवनसाथी, जय हनुमान जय हनुमान। रामभक्त संकटमोचक --------------------------------। जय जय जय जय जय हनुमान।------((2) शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #जय हनुमान जय हनुमान