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Ummed Singh Chouhan
श्री ओम बन्ना टाइगर फोर्स सिरोही श्री ओम बन्ना टाइगर फोर्स सिरोही
Kajal Sirohi
इंसान वक़्त के साथ चुप हो जाता हैं, और लोगों को लगता है कि वो बदल गया हैं। ©Kajal Sirohi कुछ अल्फ़ाज़ काजल सिरोही की कलम से।
Lokesh Sirohi
tere har dard ki dava banunga m teri parchhai ni tu ban kr rhunga m hr duaa ki h tere naam mene abb uss duaa ka asar bnunga m tjhse kbhi koi gila mjhe hoga ni tera harr silsila bannunga m #dil ki zubaan चौधरी हेमन्त सिरोही Rjt manraj kaur Rinu Maan Sapna Shahi
krishankumawatofficial
आप सभी इष्टमित्रों एंव शुभचिन्तकों को गणेश चर्तुथी की हार्दिक शुभकामनाएँ l Mr. कृष्ण कुमावत #संस्थापक/निदेशक #Kick एकेडमी, सिरोही
Divyanshu Pathak
यादों की बदली छाई है तू आंधी बन कर आई है दिल सूखे से खेतों सा तू अमृत सा बरसाई है ! ओ सजनी तू सावन बनकर अब चौमासा ले आई है ! :☕🙏☕☕🙋💕🍉☕😋 " उड़ना राजकुमार"---2 : * कुंवर पृथ्वीराज की बहिन आनन्दबाई का विवाह सिरोही के राव जगमाल से हुआ था राव जगमाल आनन्दबाई को बहुत दुख
Manak desai
माँ सरस्वती माँ शारदे.. अज्ञानीओ को ज्ञान से है तार दे.. हंस वाहिनी वीणा वादिनि, अज्ञानता में ज्ञान का नव संसार दे.., माँ शारदे.. माँ शारदे... भगवती माँ शारदे.. कष्ट हरणी माँ ज्ञान दाहिनी, मुख प्राणियों के कंठ है विराजते, बसंत ऋतु आई है मां बसंत में पधारते, माँ आगमन का ऋतु भी प्रमाण दे, तुम्हीं माता सरस्वती हो तुम्हीं माता भगवती, दास की है विनती माँ विनती स्वीकार दे.. अंधकार में माँ ज्ञान का प्रवाह दे.. तार दे.. मां तार दे.. कंठ है विराजदे..! ©Manak desai खम्मा घणी सा राम राम सा ❣️🤗🙏 बसंत पंचमी के इस पावन पर्व की आप सभी को अनेकानेक हार्दिक शुभकामनाएं ❣️🤗🙏 ये तस्वीर है माँ सरस्वती मंदिर का राजस
Manak desai
घेर दार बगीचों ग़ुळाब दार बगीचों... वण बगीचे थाने घुमण ने ले जावु बनडी... पैदल चाळु तो कंकड भागे ओ बनसा.. वणी घेर दार बगीचे गुळाब दार बगीचे.. कंकड भागे तो सैंडल मंगवाऊ ओ बनडी.. घेर दार बगीचों ग़ुळाब दार बगीचों... सैंडल पेहरु तो एडी ढळकै ओ बनसा.. वणी घेर दार बगीचे गुळाब दार बगीचे.. एडी ढळकै तो गाडी मंगवाऊ ओ बनडी.. चाळो घेर दार बगीचे गुळाब दार बगीचे.. गाडी में बैठु तो हस्का आवे ओ बनसा, हस्का आवे तो म्हारा खोडीया में बैठावु ओ बनडी, वणी घेर दार बगीचे गुळाब दार बगीचे.. खोडीये बैठु तो दुनिया देखे ओ बनसा.. दुनिया देखे तो पर्दा ळगावु ओ बनडी.. चाळो घेर दार बगीचे गुळाब दार बगीचे.. पर्दा ळगाडो तो गर्मी ळागे ओ बनसा.. गर्मी ळागे तो पंखो ळगावु ओ बनडी.. चाळो घेर दार बगीचे गुळाब दार बगीचे.. पंखो ळगाडो तो पर्दा उडे ओ बनसा.. पर्दा उडे तो एसी ळगावु ओ बनडी, चाळो घेर दार बगीचे गुळाब दार बगीचे.. एसी ळगाडो तो म्हाने ठंडी घणी ळागे ओ बनसा.. थाने ठंडी ळागे तो म्हारा हिवङा सु ळगावु ओ बनडी.. चाळो घेर दार बगीचे गुळाब दार बगीचे....!❤️ भाषा है मेरे सिरोही की, बहुत ही प्यारी आज आपके सामने कुछ पंक्तियां लेकर आया हूं, बन्ना-बन्नी - प्रेमी और प्रेमिका, इस गीत के जरिए आपको उनका
N S Yadav GoldMine
इस मंदिर के पास का वातावरण बेहद ताजा और आकर्षक है जानिए इस मंदिर के इतिहास के बारे में !! 🔱🔱 {Bolo Ji Radhey Radhey} सुंधा माता मंदिर :- 🎪 सुंधा माता मंदिर राजस्थान के जालौर जिले में स्थित सुंधा नाम की एक पहाड़ी पर स्थित चामुंडा देवी को समर्पित एक 900 साल पुराना मंदिर है। आपको बता दें कि यह मंदिर राजस्थान के एक मात्र हिल स्टेशन माउंट आबू से 64 किमी और भीनमाल महानगर से 20 किमी दूर है। अरावली की पहाड़ियों में 1220 मीटर की ऊंचाई पर स्थित चामुंडा देवी का यह मंदिर भक्तों के लिए एक पवित्र धार्मिक स्थल है। 🎪 गुजरात और राजस्थान के बहुत से पर्यटक इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं। इस मंदिर के पास का वातावरण बेहद ताजा और आकर्षक है। जैसलमेर के पीले बलुआ पत्थर से निर्मित यह मंदिर हर किसी को अपनी खूबसूरती से आकर्षित करता है। आपको बता दें कि इस मंदिर के अंदर तीन ऐतिहासिक शिलालेख हैं जो इस जगह के इतिहास के बारे में बताते हैं। यहां का पहला शिलालेख 1262 ईस्वी का है जो चौहानों की जीत और परमार के पतन का वर्णन करता है। दूसरा शिलालेख 1326 और तीसरा 1727 का है। सुंधा माता मंदिर का इतिहास :- 🎪 प्राचीन दिनों में इस मंदिर में पूजा नाथ योगी द्वारा की जाती थी। सिरोही जिले के सम्राट ने सोनाणी, डेडोल और सुंधा की ढाणी गाँवों में से एक नाथ योगी रबा नाथ जी को दी थी, जो उस समय सुंधा माता मंदिर में पूजा करते थे। नाथ योगी में से एक अजय नाथ जी में मृत्यु के बाद मंदिर में पूजा करने के लिए कोई नहीं था, इसलिए इसलिए राम नाथ जी (मेंगलवा के अयस) को जिम्मेदारी लेने के लिए वहां पर भेजा गया था। मेंगलवा और चितरोडी गाँवों की भूमि, नाथ योगी को जोधपुर के महाराजा जसवंत सिंह द्वारा दी गई थी। इसलिए मेंगलवा के नाथ योगी को अयस कहा जाता था। 🎪 आपको बता दें कि राम नाथ जी की मृत्यु के बाद उनके शिष्य बद्री नाथ जी सुंधा माता मंदिर में अयस बने और पूजा की जिम्मेदारी ली। इसके अलावा उन्होंने सोनानी, डेडोल, मेंगलवा और चितरोडी की भूमि की भी देखभाल की। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, वहां पर सभी प्रबंध करने के लिए कोई नहीं था, इसलिए मंदिर की देखभाल और पर्यटन का प्रबंधन करने के लिए एक ट्रस्ट (सुंधा माता ट्रस्ट) बनाया गया। सुंधा माता मंदिर जालोर में मेले का आयोजन :- 🎪 नवरात्रि के समय यहां पर मेले का आयोजन किया जाता है जिस दौरान गुजरात और आसपास के क्षेत्रों से पर्यटक बड़ी संख्या में सुंधा माता की यात्रा करते हैं। बता दें कि इस समय गुजरात द्वारा पालनपुर, डीसा और अन्य जगहों से नियमित बसें चलाई जाती हैं। सुंधा माता मंदिर खुलने और बंद होने का समय :- 🎪 सुंधा मंदिर खुलने का समय हर दिन सुबह 8 बजे है और बंद होने का समय शाम 6 बजे है। सुंधा माता मंदिर रोपवे की जानकारी :- 🎪 सुंधा माता मंदिर के दर्शन करने के लिए आप पैदल भी जा सकते है नही तो आप रोपवे की सर्विस भी ले सकते है। यह रोपवे 800 मीटर लम्बा है और खरीब 6 मिनट में आप को पहाड़ी पर बने मंदिर तक ले जायेगा, एक समय में एक ट्राली में 4 ही लोग जा सकते है। उड़न खटोले के टिकेट की कीमत 50रु है जिस में आने और जाने की सुविधा उपलब्द करायी जाती है । सुंधा माता मंदिर घूमने जाने का सबसे अच्छा समय :- 🎪 जो भी पर्यटक सुंधा माता मंदिर जाने की योजना बना रहें हैं। उनके लिए बता दें कि इस मंदिर के लिए यात्रा करने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक होता है। सर्दियों का मौसम इस क्षेत्र की यात्रा करने के लिए अनुकूल समय है। रेगिस्तानी क्षेत्र होने की वजह से राजस्थान गर्मियों में बेहद गर्म होता है जिसकी वजह से इस मौसम में यात्रा करने से बचना चाहिए। बारिश के मौसम में यहां की यात्रा करना सही नहीं है क्योंकि ज्यादा बारिश आपकी यात्रा का मजा किरकिरा कर सकती है। इसलिए सर्दियों के मौसम में ही आप इस मंदिर की यात्रा करें। सुंधा माता मंदिर कैसे जाये :- 🎪 सुंधा मंदिर के लिए कोई भी भारत के प्रमुख शहरों से परिवहन के विभिन्न साधनों से यात्रा कर सकते हैं। आपको बता दें कि सुंधा माता मंदिर जाने के लिए जालौर का निकटतम हवाई अड्डा 140 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जोधपुर में हैं। यह हवाई अड्डा मुंबई, दिल्ली और देश के अन्य प्रमुख महानगरों अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। इसके अलावा पर्यटक सड़क मार्ग द्वारा सुंधा माता मंदिर की यात्रा करने वाले पर्यटक पर्यटक जोधपुर, जयपुर, अजमेर, अहमदाबाद, सूरत और मुंबई जैसे शहरों से आसानी से इस पर्यटन शहर तक पहुँच सकते हैं। ट्रेन द्वारा सुंधा माता मंदिर की यात्रा करने वाले पर्यटक जालौर रेलवे स्टेशन के लिए जोधपुर डिवीजन नेटवर्क, मुंबई और गुजरात से ट्रेन ले सकते हैं। ट्रेन से सुंधा माता मंदिर कैसे पहुंचें :- 🎪 सुंधा माता मंदिर की यात्रा ट्रेन द्वारा करने वाले पर्यटकों के लिए बता दें कि जालोर रेलवे स्टेशन उत्तर पश्चिम रेलवे लाइन पर पड़ता है। समदड़ी- भिलडी शाखा लाइन जालौर और भीनमाल शहरों को जोड़ती है। इस जिले में 15 रेलवे स्टेशन हैं। देश के अन्य प्रमुख शहरों से जालौर के प्रतिदिन कई ट्रेन उपलब्ध हैं। सुंधा माता मंदिर सड़क मार्ग से कैसे पहुंचें :- 🎪 अगर आप सड़क मार्ग सुंधा माता मंदिर जाना चाहते हैं तो बता दें कि राजमार्ग संख्या 15 (भटिंडा-कांडला राजमार्ग) इस जिले से गुजरता है। यहां के लिए अन्य शहरों से कोई बस मार्ग उपलब्ध नहीं हैं। जालौर का निकटतम बस डिपो भीनमाल में है जो लगभग 54 किमी दूर है। ©N S Yadav GoldMine #TechnologyDay इस मंदिर के पास का वातावरण बेहद ताजा और आकर्षक है जानिए इस मंदिर के इतिहास के बारे में !! 🔱🔱 {Bolo Ji Radhey Radhey} सुंधा