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꧁༺Kǟjǟl༻꧂ارشد

शतरंज का उस्ताद था हर एक शय मे माहिर था , फकत ज़िंदगी के खेल में हर सिम्त मात खाता गया ... Noor Hindustani ruh e naaz Praveen Jain "पल्लव"

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शतरंज का उस्ताद था हर एक शय मे माहिर था ,






फकत ज़िंदगी के खेल में हर सिम्त मात खाता गया ...

©꧁༺Kǟjǟl༻꧂ارشد शतरंज का उस्ताद था हर एक शय मे माहिर था ,
फकत ज़िंदगी के खेल में हर सिम्त मात खाता गया ... Noor Hindustani  ruh e naaz  Praveen Jain "पल्लव"

Rohit Bansal

"ज़िंदगी के सौदों में कुछ खास नहीं चाहिए, बस एक शाम ऐसी हो, जो सारा दर्द भुला दे।" #Love

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White *मेरी ज़िंदगी के बदले मुझे एक शाम दे दे*


चांद के नीचे ख़ामोशी का पैग़ाम दे दे।  
जहां हवाएं भी दबी जुबां में गुनगुनाएं,  
ऐसी हसीन रात का एहतराम दे दे।  

सूरज के ढलते लम्हों में खो जाऊं,  
तेरी यादों के साये में सिमट जाऊं।  
न किसी मंज़िल की आरज़ू रहे,  
बस तेरे साथ का एक मुकाम दे दे।  

मेरे हर दर्द को तेरी बाहों का सहारा मिले,  
हर आंसू को मुस्कान का किनारा मिले।  
इस दिल को न अब कोई तड़प दे,  
बस तेरी निगाहों का सलाम दे दे।  

ज़िंदगी के सारे ग़म मिटा दूंगा,  
तेरे नाम पर सबकुछ लुटा दूंगा।  
बस एक शाम, जो तुझसे सजी हो,  
मुझे वो नायाब इनाम दे दे।

©Rohit Bansal "ज़िंदगी के सौदों में कुछ खास नहीं चाहिए, बस एक शाम ऐसी हो, जो सारा दर्द भुला दे।"
#Love

Shivam Pandey

#Sad_Status मेरी ज़िंदगी के पैमाने अलग है अब मैं वहाँ भी हूँ जहाँ मुझे होना नहीं था #true #nojotohindi #main #SAD शायरी दर्द खूबसूरत दो ल

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White मेरी ज़िंदगी के पैमाने अलग है,
अब मैं वहाँ भी हूँ, जहाँ मुझे होना नहीं था!

©Shivam Pandey #Sad_Status
 मेरी ज़िंदगी के पैमाने अलग है अब मैं वहाँ भी हूँ जहाँ मुझे होना नहीं था 
#true #nojotohindi #main #SAD  शायरी दर्द खूबसूरत दो ल

Prashant Shakun "कातिब"

हज़ारों लाखों शब्दों से भरी किताब... कितनी ख़ामोशी से, उस बुकशेल्फ में चुप-चाप 24 घंटे पड़ी रहती है। ...

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हज़ारों लाखों शब्दों से 
भरी किताब...
कितनी ख़ामोशी से,
उस बुकशेल्फ में
चुप-चाप 
24 घंटे पड़ी रहती है।

...

कुछ ऐसे ही 
पड़ा हुआ हूं मैं भी...
अपने अंदर 
असंख्य शब्दों के साथ
एक इंतज़ार लिए,
अपनी ज़िंदगी के 
बुकशेल्फ पर

अनपढ़ा सा...!


....

©Prashant Shakun "कातिब" हज़ारों लाखों शब्दों से 
भरी किताब...
कितनी ख़ामोशी से,
उस बुकशेल्फ में
चुप-चाप 
24 घंटे पड़ी रहती है।

...

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर कभी खो जाने का डर था, फिर भी ढूंढते रहे, जब रौशनी मिली, तो फिर अंधेरों की सजा क्या है। हम नहीं चाहते थे कोई इनाम या शोर, पर जब

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कभी खो जाने का डर था, फिर भी ढूंढते रहे,
जब रौशनी मिली, तो फिर अंधेरों की सजा क्या है।

हम नहीं चाहते थे कोई इनाम या शोर,
पर जब खुद को समझ लिया, तो फिर ताल्लुुक़ में क्या है।

ज़िंदगी के मोड़ों पे, ग़म और खुशी की छाँव मिली,
मगर जब हकीकत सामने आई, तो फिर ख्वाबों में क्या है।

तोड़ने चले थे हर तारा, अपने आसमान से,
मगर जब खुदा मिला, तो फिर इस तलाश में क्या है।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
कभी खो जाने का डर था, फिर भी ढूंढते रहे,
जब रौशनी मिली, तो फिर अंधेरों की सजा क्या है।

हम नहीं चाहते थे कोई इनाम या शोर,
पर जब

writer....nishu...

#पन्ने ज़िंदगी के Rajat Bhardwaj Parul rawat shivom upadhyay @nikhil._ vinay panwar

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नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर तूफ़ान आए तो मेरा हौसला देखो, डूबता हूँ, उभरता ज़रूर हूँ। गिरकर फिर से खड़ा, तूफ़ानों से लड़ने का तरीका, ढूंढता ज़रूर हूँ।

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तूफ़ान आए तो मेरा हौसला देखो,
डूबता हूँ, उभरता ज़रूर हूँ।
गिरकर फिर से खड़ा, 
तूफ़ानों से लड़ने का तरीका, ढूंढता ज़रूर हूँ।

राहें कठिन हो, फिर भी रुकता नहीं ,
गिरते हुए भी खुद को सम्भालता हूँ,
 हार नहीं मानता कभी, 
हर हाल में जूझता ज़रूर हूँ।

हर चोट ने मेरी पहचान बनाई है,
जो गिरा, उसने उठने की कहानी सुनाई है।
राख से उगने की आदत है मुझमें,
जलकर भी खुद को जलाता ज़रूर हूँ।

मुश्किलें मुझसे हार मान जाती हैं,
मेरे इरादे हर मोड़ पर मुस्कुराते हैं।
ज़िंदगी के हर तुफ़ान को मैंने देखा है,
पर ख़ुद को हर बार आज़माता ज़रूर हूँ।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 


तूफ़ान आए तो मेरा हौसला देखो,
डूबता हूँ, उभरता ज़रूर हूँ।
गिरकर फिर से खड़ा, 
तूफ़ानों से लड़ने का तरीका, ढूंढता ज़रूर हूँ।

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर अंधेरों में उजाले का खिलना, दर्द के बाद राहत की उम्मीद का होना ज़रूरी। कभी टूट कर गिरना, फिर उठकर चलना, ज़िंदगी के इस सफर मे

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White 
अंधेरों में उजाले का खिलना, 
दर्द के बाद राहत की उम्मीद का होना ज़रूरी।

कभी टूट कर गिरना, फिर उठकर चलना,
ज़िंदगी के इस सफर में संभलना ज़रूरी।

मंज़िल तक पहुँचने के लिए रास्ते हों या कांटे,
हर फिज़ा में संघर्ष का होना ज़रूरी।

हर असफलता से कुछ सीखा है, सच्चाई यही,
अच्छे दिन आने तक मेहनत का होना ज़रूरी।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 

अंधेरों में उजाले का खिलना, 
दर्द के बाद राहत की उम्मीद का होना ज़रूरी।

कभी टूट कर गिरना, फिर उठकर चलना,
ज़िंदगी के इस सफर मे

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर ज़िंदगी के हर मोड़ पर इम्तिहान ही तो है, हर जीत के पीछे छुपा अरमान ही तो है। ग़म का हर लम्हा सिखाता है सब्र, हर रात के बाद सहर

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ज़िंदगी के हर मोड़ पर इम्तिहान ही तो है,
हर जीत के पीछे छुपा अरमान ही तो है।
ग़म का हर लम्हा सिखाता है सब्र,
हर रात के बाद सहर की पहचान ही तो है।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
ज़िंदगी के हर मोड़ पर इम्तिहान ही तो है,
हर जीत के पीछे छुपा अरमान ही तो है।
ग़म का हर लम्हा सिखाता है सब्र,
हर रात के बाद सहर

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर कभी किस्मत से न था कोई गिला हमारा, मगर ख़्वाब जो टूटे, अब थोड़ी शिकायत तो करू। दिल में एक तलब थी, पर खामोश रहे, अब दिल में तन

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कभी किस्मत से न था कोई गिला हमारा,
मगर ख़्वाब जो टूटे, अब थोड़ी शिकायत तो करू।

दिल में एक तलब थी, पर खामोश रहे,
अब दिल में तन्हाई हो, तो कुछ कहने की चाहत तो करू।

ज़िंदगी के सफर में दर्द था, पर हिम्मत थी,
अब वो चुप है, अब जरा सा गम तो करू ।

मुहब्बत की राहों में अगर दूरियाँ रहीं,
तो तुझसे दूर होकर, अब कुछ शिकवे तो करू।

तेरी यादें ही सही, दिल को थामे रखी हैं,
मगर कभी तू पास होता, तो शिकायत क्या करु।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 

कभी किस्मत से न था कोई गिला हमारा,
मगर ख़्वाब जो टूटे, अब थोड़ी शिकायत तो करू।

दिल में एक तलब थी, पर खामोश रहे,
अब दिल में तन
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