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Rakesh Jatav
बेटी का घर बर्बाद करने में किसका हाथ होता है पिता का भाई का रिश्तेदार का या किसी सखी सहेली का अगर इसका आंसर आपको पता है तो कमेंट बॉक्स में बताइए ©Rakesh #बेटे का घार🏘
vishnu thore
मनाची घार होताना किती आकाश गहिवरते जीवाच्या उंबऱ्यावरती कुणी जीवाचे हळहळते - विष्णू थोरे मनाची घार होताना किती आकाश गहिवरते जीवाच्या उंबऱ्यावरती कुणी जीवाचे हळहळते - विष्णू
Prafulla Pednekar
vishnu thore
हा घाव जुना अन गाव सुना जखमा जीवाला जरतारी उजाड झाल्या घरट्यावरती कधी परतून येतील घारी - विष्णू ©vishnu thore हा घाव जुना अन गाव सुना जखमा जीवाला जरतारी उजाड झाल्या घरट्यावरती कधी परतून येतील घारी - विष्णू
Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat क़ैद कर लो तुम मुझे अपनी ख़ून कि घार में कभी अपने सपनों में कभी अपने लफ़्ज़ों में कभी अपनी पहचान में कभी हाथो की लकीरों में कभी अपने आंखो के समुंदर में कभी अपने उलझे सवालों में कभी अपने अटपटे जवाबो में कभी अपने नटखट मुस्कुराहट में कभी अपने अपनों में कभी अपने कंधे-से-कंधा मिलाकर चलने में कभी अपने जीवन की कल्पना में क़ैद कर लो गहरे रंग में अपने गमों में हम तुम। क़ैद कर लो तुम मुझे... #क़ैदकरलो #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat क़ैद
Pradip Katare
Vandana
.... ह्यूंद का दिना फिर बॉड़ी ऐ गेना ज्यू नि लगदु स्वामी जी तुम बिना ओ... ज्यू नि लगदु स्वामी जी तुम बिना,,,, नौकरी तुम्हारी कन नौकरी चा घार आणा
vinay vishwasi
मानऽ ए भईया मानऽ काहाना हामार। नाया जुग में चलऽ अब शहर बाजार। गाँव में होत बाटे देखऽ अब दुर्गतिया। शहर में चमकत बाटे बिजुली के बतिया। होतही साँझ घारवा हो जाता आन्हार। मानऽ ए भईया मानऽ काहाना हामार। नाया जुग में चलऽ अब शहर बाजार। सुनऽ ए बाबू सुनऽ बतिया हामार। बुझऽ ना तूँ अब हमके एतनो गावांर। हमहूँ जानिलाँ बाबू शहरिया के बतिया। डी एम कलेक्टर बाने हमरो संघतिया। गऊँवो में अब लउकत बाटे बिजुली के तार। सुनऽ ए बाबू सुनऽ बतिया हामार। बुझऽ ना तूँ अब हमके एतनो गावांर। शहरे में बाटे भईया सब सुख के साधानावा। खुश होइ जाइ तहरो देखि के मानावा। छोड़ि के सब चलऽ आपन घर- बार। मानऽ ए भईया मानऽ काहाना हामार। नाया जुग में चलऽ अब शहर बाजार। अपनो तऽ बाटे बाबू बड़ी खेती-बरिया। कइसे सब छोड़िके जइबऽ बोलऽ शहरिया। माई बाप होइ जइहें अपनो लाचार। सुनऽ ए बाबू सुनऽ बतिया हामार। बुझऽ ना तूँ अब हमके एतनो गावांर। नाहीं छुटि पइहें भईया बाप महतरिया। भलहीं छुटि जाव ई सपना शहरिया। मिटे नाहीं देइब हम आपन संसकार। मानि हम गइनी अब बतिया तोहार। #भोजपुरी #गाँवशहर #विश्वासी मानऽ ए भईया मानऽ काहाना हामार। नाया जुग में चलऽ अब शहर बाजार। गाँव में होत बाटे देखऽ अब दुर्गतिया। शहर में चमकत