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Rinku Tai
भारत 🇮🇳 का नाम विश्व 🌍 में प्रसिद्ध करने के लिए धन्यवाद। 🙏🏾🙏🏾🙏🏾 आप सभी को एशियन गेम्स में भारत 🇮🇳 के १०० मेडल्स🏅🥇 जितने की बहुत बहुत बधाई।🪔🍯 ©Rinku Tai भारत 🇮🇳 का नाम विश्व 🌍 में प्रसिद्ध करने के लिए धन्यवाद। 🙏🏾🙏🏾🙏🏾 आप सभी को एशियन गेम्स में भारत 🇮🇳 के १०० मेडल्स🏅🥇 जितने की बहुत बहुत बधाई।🪔🍯
भारत 🇮🇳 का नाम विश्व 🌍 में प्रसिद्ध करने के लिए धन्यवाद। 🙏🏾🙏🏾🙏🏾 आप सभी को एशियन गेम्स में भारत 🇮🇳 के १०० मेडल्स🏅🥇 जितने की बहुत बहुत बधाई।🪔🍯 #स्पोर्ट्स
read moreLohit Tamta
मेरा भी घर था, मेरा भी परिवार था, मेरी भी एक मोहब्बत थी जिससे मुझे बेइंतहा प्यार था, मेरी भी एक दास्ताँ थी, शुरू हुई जवानी थी, पहाड़ों की वादियों में छुपी मेरी भी एक कहानी थी, हँस-मुख सा चंचल मैं मस्त मगन रहता था, एक लेखक बनने की चाहत को दिल में लिए फिरता था, मगर अपने पिता और दादा जी जैसा फ़ौजी बनने का जुनून मेरी चाहत से ज्यादा था, 18 साल की उम्र में मेरे घर एक चिट्टी आई मेरी माँ और घर से दूर वो मुझे खिंच लाई, 4 साल की ट्रेनिंग में माँ और घर की याद बहुत सताई, फ़िर कंधों में 2 सितारे ऐसे चमके, आसमान के हज़ारों सितारे भी उनके सामने फिके लगे, अफसर बन के ठाट की ज़िन्दगी अगर बिताता तो पिता के वचन का मूल कैसे चुकाता, उनकी तस्वीर को किसी फूल की माला से नहीं आने मैडल से जो सजाना था, अपने आप से किया ये मैंने ये वादा था, उनकी तरह मैंने भी बलिदान के शब्द को पहचाना था, लेके अपना बस्ता कमांडो ट्रेनिंग स्कूल बढ़ चला, कीचड़ के पानी से मेरा स्वागत हुआ, फ़िर अपने एक पसंदीदा हथियार को मैंने चुना, 7 दिन तक भूखा-प्यासा बस दौड़ता रहा, 6 महीने की वो कठोर परीक्षा के बाद 9 पैरा स.फ के बलिदान बैज को हासिल किया, अब मुझको राण भूमि में जाना था क़र्ज़ था जो देश का मुझपे वो चुकाना था, मणिपुर में मेरी पहली पोस्टिंग और माँ का वो काँप जाना था, ज़िंदा लौटूंगा माँ ये झूठा वादा माँ से करना मेरा आम था, यूँ तो जब-जब मैं सरहद पे जाता एक तस्वीर बट्वे से निकल के उसे बात करने लग जाता, इश्क़ था अधूरा मेरा बच्पन का प्यार था सोच के उसके बारे में आँसू चुपके से बहता था, आँसू जब भी आते थे तो कभी 0डिग्री में जम जाते या तो 50 में सुख जाते थे, जब कभी छुट्टी में घर जाता एक इमरजेंसी कॉल आ जाता, जंग के लिए फ़िर से मैं सज्ज हो जाता, शादी की तारीख नज़दीक थी मेरी उस रोज़ भी ऐसा ही कॉल आया था, युद्ध भूमि में मुझे टीम लीड करने को बुलाया था, सीने में 2 गोली और पैर में 4 खा के भी मैंने दुश्मन को मार गिराया था, आज अपने पिता की फोटो को मैंने अपने मेडल्स से सजाया है, क्योंकि राण भूमि में मैंने भी अपना रक्त बहाया है, आज ज़िस्म में वर्दी नहीं है तो क्या हुआ गोलियों के निशा को मैंने अपने जिस्म में शौर्य की तरह सजाया है। ©Lohit Tamta मेरा भी घर था, मेरा भी परिवार था, मेरी भी एक मोहब्बत थी जिससे मुझे बेइंतहा प्यार था, मेरी भी एक दास्ताँ थी, शुरू हुई जवानी थी, पहाड़ों की वाद
मेरा भी घर था, मेरा भी परिवार था, मेरी भी एक मोहब्बत थी जिससे मुझे बेइंतहा प्यार था, मेरी भी एक दास्ताँ थी, शुरू हुई जवानी थी, पहाड़ों की वाद #Poetry
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