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शिव साहब यादव
गमे हया से घबरा कर रोने वालों को हमें दिखाओ हमारी मिसाल दो यारों । जहां में फिर कोई दुश्मन नजर ना आएगा पाप की जंजीर निकाल दो यारो ।। पाप की जंजीर
पाप की जंजीर
read moreDR. LAVKESH GANDHI
बिजली बिजली चमक रही है पापियों को डरा रही है कहीं पाप की कमाई बिजली की चमक में ना दिख जाए कहीं पाप की कमाई मिट्टी में ना मिल जाए ©DR. LAVKESH GANDHI #GarajteBaadal # #पाप की कमाई #
GarajteBaadal # पाप की कमाई #
read moreDR. LAVKESH GANDHI
बिजली बिजली चमक रही है पापियों को डरा रही है कहीं पाप की कमाई बिजली की चमक में ना दिख जाए कहीं पाप की कमाई मिट्टी में ना मिल जाए ©DR. LAVKESH GANDHI #GarajteBaadal # #पाप की कमाई #
GarajteBaadal # पाप की कमाई #
read moreBachan Manikpuri
परमेश्वर को जानने के बाद कभी पाप न करें । सत्य को जानने के बाद पाप की ओर जाने की सजा मृत्यु है। ©Bachan Manikpuri पाप की सजा मृत्यु है
पाप की सजा मृत्यु है #प्रेरक
read moreRAHUL KUSHWAHA
कुछ समझ नही आराहा था कुदरत का ए खेल,आखिर कैसे होगा पापा की पारी और मां का मगरमच्छ का मेल,जब DP लड़के का था तो सबने मिट्टी मिला दिया, और लड़की के DP ने पूरा nojoto हिला दिया। ©krk@ ji #पाप की परी #ma का मगरमछ
अद्वैतवेदान्तसमीक्षा
दृष्टांत सहित शास्त्रों के संकेत 1. पुण्य का अवसर खो देना ही पाप है भारतीय षड्दर्शनों के पूर्वमीमांसा दर्शन के अनुसार भी संध्या, नित्यअग्निहोत्र आदि नित्य कर्मों का पूण्य नहीं लगता परंतु संध्याकाल में संध्या आदि नहीं करने (ईश्वर का चिंतन छोड़कर प्रपंच का चिंतन करने)से पाप जरूर लगता है। यहूदी धर्म में तालमुद ग्रंथ अनुसार भी ईश्वर नहीं पूछेगा की पाप क्या क्या किया है अपितु पता करेगा कि पूण्य क्या क्या नहीं किया अर्थात पूण्य के कितने अवसर गवां दिए उनका ही दंड देगा। 2.स्वस्थता का लक्षण ("मैं शरीर हुँ "इस भ्रम की निवृत्ति ) आयुर्वेद के अनुसार भी तनाव रहित शरीर इतना हल्का होता है कि शरीर का पता ही नही चलता ,को ही स्वास्थ्य माना गया है क्योंकि पैर में काटा चुभने पर पैर का एवं शिरदर्द होने पर शिर का पता चलता है। एवं दार्शनिकों के अनुसार तो व्यक्ति को मोक्ष जो व्यक्ति की वास्तविक अवस्था मानी गई है उसमें शरीर के साथ तादात्म्य किसी के भी द्वारा माना ही नही गया है। और तो और चार्वाक् दर्शन में भी शरीर छूटने को ही मोक्ष मानने से उपरोक्त लक्षण उनके सिद्धान्त में भी घटता है । पाप एवं पूण्य की शास्त्रीय परिभाषा
पाप एवं पूण्य की शास्त्रीय परिभाषा
read moreMadhukar Singh chauhan
यदि शांति की गूंज में पाप की प्रतिध्वनि सजे । फिर आर्यों के देश में ज्यों जाहिलो से सर लजे।। द्रोपदी के चीर पर दुशासन की आंच आए। तो मांगती वसुधा यहीं बर तो पंचजन्य फिर बजे।। -Madhukar singh chauhan यदि शांति की गूंज में पाप की प्रतिध्वनि सजे ।
यदि शांति की गूंज में पाप की प्रतिध्वनि सजे ।
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