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Amit Singhal "Aseemit"
यदि हृदय से हृदय तक, प्रेम भाव का बहाव होता रहे। फिर ग्रीष्म ऋतु में धूप से और, वर्षा ऋतु में वर्षा से बचाव होता रहे। ©Amit Singhal "Aseemit" #यदि #हृदय #से #हृदय #तक
Bharat Bhushan pathak
https://www.bbpathak.online/2023/09/Shristikarta-brahma-ne-jb-praani-ka-nirmaan-kiya-to-use-sudhril-kaya-aur-ek-sanvedanshil-ang-bhhi-diya-jise-dil-kaha-jaata-hai-jo-sbhi-bhavnaon-samvednaon-ka-niyantrak-hai.html ©Bharat Bhushan pathak #हृदय
Alonegirl
#OpenPoetry हे हृदय असत तरी काय ह्याच त्याला अणि म्हणतात तू मज हृदय आहेस मी तुला दिल आस तस खुप कहाय पण हृदय हे कुणाच हाय असल तरि ते धडकत राहत आपल्याच साठी अणि जर ते इतरांसाठी धडक त असेल तर मग आप जगतो च कशाला हृदय
Shishpal Chauhan
दिल की धड़कन में तुम हो, सांसों की हर सरगम में तुम हो। प्यार हद से ज्यादा करते हैं, तुम्हारी हर धड़कन पर मरते हैं। प्यार उम्र भर निभाना है, रखा हाथ दिल पर बस उसे आजमाना है। निगाहों से निगाहें टकराना है, किया वादा वह निभाना है। माना की बेदर्द जमाना है, बस प्यार से उसे हराना है। तराना नया गाना है, नहीं कभी लड़खड़ाना है। दुनिया को सबक सिखाना है, आलिंगन करते जाना है। ©Shishpal Chauhan #हृदय
Kalpana Negi
पीछे मुडना या ना मुडना हृदय के हाथ में हैं, प्रेम चाहें कितनी हीं आवाज़ लगाये 🙏 ©Kalpana Negi हृदय
drama queen
हम science के student है, जनाब हमारे सीने में दिल नही हृदय धड़कता हैं। h ©drama queen हृदय
Mahfuz nisar
हृदय से जाओ अब चिक चिक - कच कच, तुम क्यूँ करते हो इतना जी, अजी सुनते नहीं तुम मेरी, कि हमसे और रहा नहीं है,जाता, संग रहना अब दूभर है, होता जाता, तुम्हारे सारे वादे और इरादों का, अब भाँडा है, फूटा जाता, पुराने सारे क़िस्से का लस भी है, अब तो छूटा जाता, नित नये बहाने तुम्हारे पास, बना लिया है मुझको टाइम पास, भुजा-चना,क्या समझ लिए हो,हमको जी, हाँ,सुनलो नहीं बनेगी साथ में, अब अपनी कोई रोटी और कटहल वाली सब्ज़ी जी, समझ गए,अब मत देना फिर कोई जवाब, दूसरी बार फिर हमको होना है आज़ाद, वैसे ज़रूरी तो है,इस प्रसंग का हो कोई उत्तर, पर नहीं समय और पहर है, अब शेष तुम्हारे उजागर हो चुके हैं, सारे वेष वैसे संदेह नहीं है कि,हाँ में ही होगा तुम्हारा उत्तर, क्यूँ, क्यूँ होगा ना जी, स-समय तुम हृदय से मेरे जाओ अब, सुख मुझसे-तुम्हारा और नहीं है,छीना जाता, देखो दूर नदी किनारे साँझ भी है, अब ढलने को जाता, कि हमसे और रहा नहीं है,जाता, कि हमसे और रहा नहीं है,जाता। ✍महफूज़ हृदय