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Stories related to hindi poem on prakriti for 7th class

Rishi Ranjan

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New Year 2025 आईने में मैं जब खुद को देखता हूं 

तो मैं खुद से बात करता हूँ...
खुद से ही मुलाकात करता हूँ...

छोड़कर दुनिया की दुनियादारी को..
केवल खुद की ही बात सुनता हूं...

यह माना कि औरों के लिए भी जीना पड़ता है, 
पर खुद के लिए ही कोई ख़्वाब बुनता हूं...

ज़िन्दगी का क्या है आज है कल नहीं...
इसलिए खुद के लिए जीता हूं ताकि मेरे न रहने पर
 किसी को मलाल न हो....

हाँ बन जाता हूँ थोड़ा सा स्वार्थी कभी-कभी...
इंसान हूँ इंसान की ज़द में रह कर बात करता हूँ....

©Rishi Ranjan #Newyear2025  hindi poetry love poetry for her love poetry in hindi hindi poetry on life

abhay singhaniya

Class 10th

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New Year 2024-25 Social science file

©abhay singhaniya Class 10th

Naruto Anime creator

Naruto Uzumaki Entry 7th Hokage videos

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VIKASH UPADHYAY

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Pappsa Solanki

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Bharat Bhushan pathak

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जलाओ दिल ,न मेरा तुम,मुहब्बत आग ना डालो।

महंगा शौक ये यारों,इसे ना तुम ,कभी पालो।।
 
नहीं जी प्रेम करना तुम,बड़ा बेकार ये होता।

रात की नींद जाती है,दिलों का चैन है खोता।।

नहीं सपने,सजाना तुम,किसी की आँख में यारों।

बड़ा ही दर्द होता है,कभी ना दिल,कहीं हारो।।

यहाँ चाहो,किसी को ना,किसी की बात ना करना।
 
कभी तुम सोचना भी ना,अजी इस आश को मारो।।

©Bharat Bhushan pathak #poem love poetry for her hindi poetry poetry quotes poetry in hindi

Bharat Bhushan pathak

#ChildrensDay hindi poetry on life poetry lovers poetry in hindi poetry for kids

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बाल दिवस ये जब-जब आए।
बच्चों के मन झूमे-गाए।।
नहीं आज होगा जी पढ़ना।
प्रश्न कठिन हल करने बढ़ना।
दम किसमें है जो आज पढ़ाए

©Bharat Bhushan pathak #ChildrensDay  hindi poetry on life poetry lovers poetry in hindi poetry for kids

Vivek Singh

#prakriti ki saazish

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Ishita Verma

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पूरी दुनियां मेरी बदलने वाली है 
कुछ दिनों में सब नया सा होने वाला है।
अपना घर होते हुए भी मेहमान बनकर आना पड़ेगा 
दूसरे के घर उसकी सजनी बनकर वो घर भी संभालना पड़ेगा। 
अपने मम्मी पापा भाई बहन को दूर छोड़ 
कर मुझे अब कुछ दिनों में जाना पड़ेगा
चंद दिनों में मुझे सब कुछ अपना  पुराना छोड़ कर 
कुछ लम्हे एक सूटकेस में संजोकर साथ लेजाना पड़ेगा।

अभी तो बड़ी हुई थी मैं जो शादी के बंधन में बांध दिया
कुछ पल अपने पापा मम्मी के संग बिताना है मुझे
यह सोच सोच कर शादी का दिन आगया। 
बड़े होते ही हम बेटियों को छोड़ कर अपना
 घर परिवार सब जाना पड़ता है,
 कुछ दिन परिवार के साथ बैठने 
का बहाना फिर ढूंढना पड़ता है।

कैसे इतनी जल्दी मैं बड़ी हो गई पता ही नहीं चला। 
कल तक जो पढ़ रही थी मैं आज 
लाल जोड़ें में मुझे दुल्हन बना दिया
 बेटी से बहु बनने जा रही हूं सौ 
घबराहट के सवालों को मन्न में ला रही हूं।

काश कुछ दिन और मिल जाते
इतनी जल्दी हम काश नहीं बड़े हो जाते
कल तक पापा के साथ खिलौने लाया करती थी जो,
मम्मी से अपनी चोटी बनवाया करती थी जो, 
बहन के कपड़े पहन कर अपने आप को बड़ा बोलती थी, 
भाई के साथ लड़ाई कर पापा से उसकी दात लगवाया करती थी।

ना जाने कब आगया वो दिन जो डोली उठने का समय आगया है
यह नन्हीं सी गुड़िया इस आंगन की अब लाल जोड़ें में
 दुल्हनियां बनकर अब उसका दुल्हा लेने उसे आ रहा है।।
अब उसका दुल्हा लेने उसे आ रहा हैं।।

-ईशिता वर्मा 
@poetrysoul_999

©Ishita Verma  hindi poetry on life love poetry for her

Manisha Singh Raghuvanshi

#prakriti ke sanket

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