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Ghumnam Gautam
उड़ ही जाएँगे इस उड़ान में क्या बम रखा है इसी विमान में क्या क्या कहा शाइरी करोगे तुम दर्द मिलने लगे दुकान में क्या ©Ghumnam Gautam #udaan #विमान #ghumnamgautam #शाइरी
N S Yadav GoldMine
शरभंग ऋषि का श्रीराम से मिलन व मुक्ति पाना आइये जानते हैं, उस अद्भुत पल के बारें में !! 💪💪 {Bolo Ji Radhey Radhey} शरभंग ऋषि का श्रीराम से मिलन :- 🌄 शरभंग ऋषि एक महान तपस्वी थे जिन्होंने अपने तपोबल से कई दिव्य लोक प्राप्त कर लिए थे। वे दक्षिण भारत के दंडकारण्य के वनों में रहते थे। तपस्या करते-करते अब वे वृद्धावस्था में पहुँच गये थे। जब उनके शरीर के त्याग का समय निकट आ चुका था तभी उनकी श्रीराम से भेंट हुई थी जिससे उनका जीवन सफल हो गया था। भगवान श्रीराम अत्री मुनि के आश्रम से गये शरभंग मुनि के आश्रम :- 🌄 जब भगवान श्रीराम अपने 14 वर्षों के वनवास में दंडकारण्य के वन में पहुंचे तो वे महर्षि अत्री व माता अनुसूया के आश्रम गए। वहां उनसे भेंट के बाद महर्षि अत्री ने उन्हें बताया कि अब वे आगे जाकर शरभंग ऋषि से मिले क्योंकि उनके जीवन का अंत समय निकट आ गया हैं। इसलिये वे उनकी प्रतीक्षा कर रहे है। महर्षि अत्री से आज्ञा पाकर श्रीराम माता सीता व लक्ष्मण के साथ शरभंग ऋषि के आश्रम के लिए निकल पड़े। शरभंग ऋषि ने देव इंद्र का प्रस्ताव ठुकराया :-🌄 जब भगवान श्रीराम शरभंग ऋषि के आश्रम के मार्ग पर थे तभी देव इंद्र आकाश मार्ग से अपने विमान में शरभंग ऋषि की कुटिया में पहुंचे व उन्हें बताया कि अब उनके प्राण त्यागने का समय आ चुका है। इसलिये वे उनके साथ इंद्र लोक चले किंतु शरभंग ऋषि अपनी दिव्य दृष्टि से प्रभु श्रीराम को अपने आश्रम की ओर आता देख चुके थे। इसलिये उन्होंने देव इंद्र के प्रस्ताव को ठुकरा दिया व कहा कि वे स्वयं अपनी इच्छा से अपने प्राणों को त्याग देंगे। ऋषि शरभंग से यह आदेश पाकर इंद्र वापस अपने धाम को लौट गए. प्रभु श्रीराम व ऋषि शरभंग की भेंट :- 🌄 इसके बाद जब प्रभु श्रीराम ऋषि शरभंग के आश्रम पहुंचे तो मानों एक भक्त का जीवन सफल हो गया। ऋषि शरभंग ने स्वयं भगवान विष्णु का इस पृथ्वी लोक पर मानव रूप में दर्शन कर लिया था जो उनके लिए किसी भी लोक को प्राप्त करने से बेहतर था। श्रीराम के दर्शन के बाद ऋषि शरभंग ने अपनी देह का त्याग कर दिया व प्रभु विष्णु के लोक में चले गए। ©N S Yadav GoldMine #standout शरभंग ऋषि का श्रीराम से मिलन व मुक्ति पाना आइये जानते हैं, उस अद्भुत पल के बारें में !! 💪💪 {Bolo Ji Radhey Radhey} शरभंग ऋषि का श्
N S Yadav GoldMine
आज हम माता त्रिजटा के बारें में जानेंगे त्रिजटा कौन थी व उसको माता सीता से सहानुभूति क्यों थी !! 🌇🌇 {Bolo Ji Radhey Radhey} त्रिजटा कौन थी :- 🌰 त्रिजटा रावण की नगरी में एक ऐसी राक्षसी थी जिसका जन्म तो राक्षस कुल में हुआ था लेकिन उसका हृदय देवियों के समान पवित्र था। वह रावण को दुष्ट व पापी समझती थी व भगवान विष्णु में विश्वास रखती थी। रावण के द्वारा माता सीता का अपहरण किये जाने के पश्चात उसे अशोक वाटिका में रखा गया था जहाँ माता त्रिजटा को ही उनकी सुरक्षा का उत्तरदायित्व सौंपा गया था। उस समय उसने अपनी बुद्धिमता के साथ माता सीता को संभाला था। त्रिजटा का जन्म :- 🌰 त्रिजटा के जन्म के बारें में वाल्मीकि रामायण व तुलसीदास की रामचरितमानस में तो नही बताया गया है लेकिन कुछ अन्य भाषाओँ में त्रिजटा के बारें में भिन्न-भिन्न विवरण सुनने को मिलते हैं। सबसे प्रमुख मान्यता के अनुसार त्रिजटा को रावण के छोटे भाई विभीषण व उनकी पत्नी सरमा की पुत्री बताया गया हैं। कुछ अन्य रामायण में त्रिजटा को रावण व विभीषण की बहन के रूप में दर्शाया गया है। किसी भी बात को प्रमाणिक तौर पर नही कहा जा सकता लेकिन यह निश्चित है कि उसका जन्म एक राक्षस कुल में हुआ था फिर भी उसके अंदर राक्षसी प्रवत्ति के गुण नामात्र थे। वह हमेशा माता सीता की सच्ची मित्र के रूप में याद की जाती है। अशोक वाटिका में माता सीता की अंगरक्षक की भूमिका :- 🌰 जब रावण छल के द्वारा माता सीता को पंचवटी से अपने पुष्पक विमान में उठाकर ले आया तो उसने माता सीता को अशोक वाटिका में रखा। रावण के द्वारा माता त्रिजटा को ही सीता की सुरक्षा सौंपी गयी व सभी राक्षसियों का प्रमुख बनाया गया। रामायण में त्रिजटा की भूमिका भी यही से शुरू हुई थी जिसमे उन्होंने स्वयं के चरित्र को ऐसा दिखाया जिससे वह आमजनों के दिल में हमेशा के लिए बस गयी। माता सीता की दुःख की साथी :- 🌰 जब माता सीता रावण के द्वारा अपहरण कर लंका में लायी गयी तब वह अत्यंत विलाप कर रही थी। साथ ही अशोक वाटिका में अन्य राक्षसियां उन्हें तंग कर रही थी। यह देखकर त्रिजटा ने अपनी बुद्धिमता से बाकि राक्षसियों को चुप करा दिया था व माता सीता को ढांढस बंधाया था। त्रिजटा के कारण ही माता सीता को उस राक्षस नगरी में रहने की शक्ति मिली व उनका विलाप कम हुआ थ माता सीता की गुप्तचर :- 🌰 वैसे तो माता त्रिजटा रावण की सेविका थी लेकिन वह भगवान श्रीराम की विजय में विश्वास रखती थी। उसनें अपने व माता सीता के बीच के संबंधों को जगजाहिर नही होने दिया किंतु हर पल वह माता सीता को हर महत्वपूर्ण जानकारी देती थी जैसे कि लंका का दहन होना, समुंद्र पर सेतु बनना, राम लक्ष्मण का सुरक्षित होना इत्यादि। त्रिजटा के द्वारा समय-समय पर माता सीता को जानकारी देते रहने से उनकी हिम्मत बंधी रहती थी। रावण के अंत के बाद माता त्रिजटा :- 🌰 अंत में भगवान श्रीराम व दशानन रावण के बीच भयंकर युद्ध हुआ व उसमें रावण मारा गया। इसके पश्चात विभीषण को लंका का अधिपति बनाया गया व उन्होंने तुरंत माता सीता को मुक्त करने का आदेश जारी कर दिया। त्रिजटा माता सीता के जाने से तो दुखी थी लेकिन प्रसन्न भी थी कि अब सब विपत्ति टल गयी। अग्नि परीक्षा के बाद जब माता सीता भगवान श्रीराम के पास आई तब उन्होंने माता त्रिजटा के वात्सल्य व प्रेम के बारे में उन्हें बताया। यह सुनकर सभी बहुत खुश हुए व भगवान राम व माता सीता ने त्रिजटा को इतने पुरस्कार दिए कि अब जीवनभर उन्हें कुछ करने की आवश्यकता नही थी। साथ ही त्रिजटा को लंका में भी विभीषण के द्वारा अहम उत्तरदायित्व व उचित सम्मान दिया गया। कुछ मान्यताओं के अनुसार माता त्रिजटा भगवान राम व माता सीता के साथ पुष्पक विमान में बैठकर अयोध्या भी आई थी व कुछ दिनों तक उनके साथ रही थी। कुछ रामायण में लंका विजय के बाद यह बताया गया है कि विभीषण ने भगवान हनुमान से अनुरोध किया था कि वे उनकी बेटी त्रिजटा से विवाह कर ले। इसके बाद हनुमान ने त्रिजटा से विवाह किया जिन्हें उन्हें एक पुत्र तेगनग्गा प्राप्त हुआ। कुछ समय तक वहां रहने के पश्चात हनुमान वहां से चले गए। ©N S Yadav GoldMine #boat आज हम माता त्रिजटा के बारें में जानेंगे त्रिजटा कौन थी व उसको माता सीता से सहानुभूति क्यों थी !! 🌇🌇 {Bolo Ji Radhey Radhey} त्रिजटा क
Sudha Tripathi
जन्मदिवस पर आपको, तिलक लगाऊँ भाल। रामजी करुँ अर्ज मैं,प्रार्थना की बने ढाल।। ध्रुव सा यश हो आपका, मिले सुखी संसार। रहे राम जी की कृपा,सुख समृद्धि हो द्वार।। भावपूर्ण है छंद ये, दोहा है उपहार। देने आई हूँ भेंट, शब्द भाव गुलजार।। शुभकामना सदा यहीं, बनो उदित आदित्य । बढे़ कीर्ति-यश रात-दिन, सहज रचे साहित्य।। मिले बधाई आपको,जन्म दिवोत्सव आज । सहज विधाता आपके,सभी सँवारे काज।। जन्मदिवस की आत्मीय अनंत अशेष शुभकामनाएँ राकेश कुमार सोनी(भैया जी) ©Sudha Tripathi #happybirthday#SunSet जन्मदिवस पर आपको, तिलक लगाऊँ भाल। रामजी करुँ अर्ज मैं,प्रार्थना की बने ढाल।। ध्रुव सा यश हो आपका, मिले सुखी संसार। र
Mohit Das
Sant Rampal ji Maharaj ©Mohit Das #santrampaljimaharaj सतभक्ति न करने वाले या शास्त्रविरूद्ध भक्ति करने वाले को यम के दूत भुजा पकड़कर ले जाते हैं जबकि सतभक्ति करने वाला व्यक्त
atrisheartfeelings
INDIA'S BUDGET 2020... may be you have not read it so i am trying to show you all the mejor points in the caption.... केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 2020-21 के बजट प्रस्ताव ÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷ ● दलितों व पिछड़ों (OBC) के लिए 85 हजार करोड़।