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Sangeeta Kalbhor
फकत इतना.. फकत इतना ही चाहा था तुमसे कि इश्क मेरा मुकर्रर हो जाये कितना चाहती हूँ मैं तुम्हें तुम्हें इतना ही समझ में आये वो रातों का जागना वो नींद का त्यागना वो शब्दों में खो जाना वो आँखों का भर आना हम जहाँ जहाँ भी जाये तुम्हारे ही साथ होते थे साये कितना चाहती हूँ मैं तुम्हें तुम्हें इतना ही समझ में आये वो लुभावनी बातें वो सुहानी शरारतें वो दिलचस्प यादें वो खुशनुमा वादें तुम्हें कितना और कैसे हम सच सच बताये कितना चाहती हूँ मैं तुम्हें तुम्हें इतना ही समझ में आये..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor फकत इतना.. फकत इतना ही चाहा था तुमसे कि इश्क मेरा मुकर्रर हो जाये कितना चाहती हूँ मैं तुम्हें तुम्हें इतना ही समझ में आये वो रातों का जागन
Rameshkumar Mehra Mehra
एक दिन लाश बनकर रह जाते है.. ©Rameshkumar Mehra Mehra # जो दूसरो की भावनाओ से खेलते है, भगवान के गुनाहगार होते है....भगवान ही सजा मुकर्रर करते है...
Rabindra Kumar Ram
" ऐसे में कही तेरे मिलने का ख़्वाब मुसलसल कर तो देते, हकीकत हो या कोई फसाना किसी हाल में ये बात कुछ मुकर्रर कर तो देते. " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " ऐसे में कही तेरे मिलने का ख़्वाब मुसलसल कर तो देते, हकीकत हो या कोई फसाना किसी हाल में ये बात कुछ मुकर्रर कर तो देते. "
Rabindra Kumar Ram
" तेरे लौट आने का गम आज भी हैं, मुकर्रर करे तो अब कौन सी बात करे, उलफ़ते-ए-हयात ये गमे हिज्र आज भी हैं, तु हैं नहीं पर तु याद आती आज भी हैं. " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " तेरे लौट आने का गम आज भी हैं, मुकर्रर करे तो अब कौन सी बात करे, उलफ़ते-ए-हयात ये गमे हिज्र आज भी हैं, तु हैं नहीं पर तु याद आती आज भी ह
Rabindra Kumar Ram
" जिक्र तेरे खामोशी का जायज़ हैं , हमारी अभी उस तरह से बात बनी नहीं , चाहता हूं ये दिल राजे वफा खोल दूं , अभी हमारी मुलाकात उस तरह से मुकर्रर हुई नहीं . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram Pic : pexels.com " जिक्र तेरे खामोशी का जायज़ हैं , हमारी अभी उस तरह से बात बनी नहीं , चाहता हूं ये दिल राजे वफा खोल दूं , अभी हमारी मुलाका
Vedantika
मैं डूबता हुआ सूरज हूँ लौट आऊँगा कल फिर से हार नहीं मानूँगा इन बादलों से इन आँधियों से मैं लेकर आऊँगा एक नई शुरुआत की उम्मीद यहाँ हृदय में उल्लास भर हो जीवन का प्रकाश जहाँ मैं प्रकाश लेकर आऊँगा तब तक लड़ो अंधेरे से अपने साहस के बल पर लिख दो नया सवेरा तुम मैं भी आऊँगा साथ तुम्हारे मुख पर तेज समान जब मैं आऊँगा लेकर एक नई शुरूआत का पैगाम 🌝प्रतियोगिता-155🌝 🌹चित्र प्रतियोगिता -02🌹 ✨✨आज की रचना के लिए हमारी तरफ से कोई लफ़्ज़ मुकर्रर नहीं किया गया है बल्कि आज कि रचना का विषय
Vedantika
ज़िंदगी का हर कदम जरा संभल कर रखना तू ही हैं अकेला इस सफर में इतना जान ले बैरी ज़माना बिछा रहा अंगारे तेरे पैरों तले जल ना जाए वजूद तेरा बस इतना ध्यान दे 🌝प्रतियोगिता-155🌝 🌹चित्र प्रतियोगिता🌹 💥आइए आज कुछ नया करने की कोशिश करते हैं... ✨✨आज की रचना के लिए हमारी तरफ से कोई लफ़्ज़ मुकर्रर नहीं
Technocrat Sanam
तुझे मुकर्रर ये सज़ा तेरी ख़ता के बाद करेंगे ना ही भूलेंगे तुझे और ना ही तुझे याद करेंगे सारे मशविरे, गिले-शिकवे ख़त्म करना है यूँ खुश रहो, तन्हाइयों में ख़ुद को आबाद करेंगे हौसला तो और भी था कुछ कर गुजरने का इश्क़ कर लिया, और न कोई अपराध करेगे दो गुज़र गए यूँ ही दिन जिंदगी के जो चार थे दो बाकी हैं यारों, वक़्त और न बर्बाद करेंगे इतना तजुर्बा काफी है उम्र भर के लिए सनम गले नहीं लगेंगे, बस दूर से ही इरशाद करेंगे ©technocrat_sanam तुझे मुकर्रर ये सज़ा तेरी ख़ता के बाद करेंगे ना ही भूलेंगे तुझे और ना ही तुझे याद करेंगे सारे मशविरे, गिले-शिकवे ख़त्म करना है यूँ खुश रहो,
Technocrat Sanam
माना ठंड बहुत है सनम, 🥶🥶🥶 मग़र यूँ दिल जलाने की क्या जरूरत थी..? 😐😐😐 --for full feelings.. Go through the caption.. Plzzz 😇 क्या जरूरत थी 😞 ---------------- माना ठंड बहुत है सनम, 🥶🥶🥶 मग़र यूँ दिल जलाने की क्या जरूरत थी..? 😐😐😐 जाना ही था, चले जाते.., 😶😑😣