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Anuj Ray
White ऐसी है दिल की हालत" ऐसी है दिल की हालत ,कि क्या बताऊं तुमको ,मिलन की चाह में, बावरा बन बैठा है। अभी से ख़्वाब देखने लगा है सात फेरों के, ख़ुद बैठके घोड़ी पे ,सेहरा बांध के दामाद भी बन बैठा है । धड़कनें रुक जाएं ना दिल की, इससे पहले उठा के घूंघट, स्वप्न परी संग सुहाग की सेज पे लेटा है। ©Anuj Ray # ऐसी हालत है दिल की"
HARSH369
आवस्यकता से अधिक इन्सान को घमन्डी बना देता है कुछ लोगो को.. वो अपने से बढ़े बुजुर्गो का आदर सम्मान भूल जाते है, वो घमन्द मे ये भूल जाते है सब यही छूट जाना है,..! आवस्यकता से अधिक दान पुन्य इन्सान को परमात्मा बना देता है, वो भूल जाते है उनका भी परिवार,रिस्तेदार,खानदान है,..! आवस्यकता से अधिक भीख इन्सान को आलसी,कमजोर बना देती है, वो भूल जाता है मेहनत करके कमाने का अपना मजा है,..! इसलिये अपनी मेहनत से कमाये का कुछ पैसा अनाथो,बेसहारो के उपकार मे लगाये..! बहुत आनन्द आयेगा..!! ©SHI.V.A 369 #आवश्यकता से अधिक
purnima
प्रेम कोई रिश्ता नहीं है। प्रेम तो भावनाओं की एक तरह की मिठास है। ©purnima प्रेम कोई रिश्ता नहीं है। प्रेम तो भावनाओं की एक तरह की मिठास है।
Manish Raaj
माँ की ममता है --------------- दिल में मेरे बस्ती मेरी माँ की ममता है ख़ुदा की महेर है जो मुझमें मेरी माँ सी क्षमता है मनीष राज ©Manish Raaj #माँ की ममता है
संगीत कुमार
धरती है इतिहासों की धर्म ,ज्ञान के भंडारों की विद्वानों की महानायक की वीरों और बलवानों की भाषा की संस्कृति की अधिकारियों की कर्मवीरों की बिहार है पहचानों की ऋषियो की भगवानों की धर्म और विचारों की धरती है बलिदानो की बिहार तो है सबके सम्मान की ©संगीत कुमार #HappyRoseDay धरती है इतिहासों की धर्म ,ज्ञान के भंडारों की विद्वानों की महानायक की वीरों और बलवानों की भाषा की संस्कृति की अधिकारियों की क
लेखक ओझा
नज़रों की नज़ाकत है इसलिए हर आंखो मे चाहत है,पर तलाश है उन आंखों की जिन्हे मेरी आने की आहट है! ©लेखक ओझा तलाश है उन आंखों की ...
Anuj Ray
Blue Moon अब नहीं मजाल ज़माने में किसी की,जो मेरे देश को आंख दिखाने की कर सकें जुर्रत । बस ज़रा से आस्तीन के सांप बाकी हैं, इनके ज़हर के दांत टूटे तो हमेशा के लिए फुर्सत। ©Anuj Ray # नहीं है किसी की जुर्रत "
चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज
एक क़लमकार को क़लम और डायरी की आवश्यकता आजीवन पड़ती है । १५/३/२००२४ , शुक्रवार , ११:५५ पूर्वाह्न ©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज एक क़लमकार को क़लम और डायरी की आवश्यकता आजीवन पड़ती है । १५/३/२००२४ , शुक्रवार , ११:५५ पूर्वाह्न,