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N S Yadav GoldMine

#leafbook {Bolo Ji Radhey Radhey} माँ-बाप और माता-पिता जब गरीब व अनपढ़ थे, तो बच्चे डॉक्टर, इंजीनियर, भक्त, साहित्य कार, कुल की इज्ज़त बचाना

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Unsplash {Bolo Ji Radhey Radhey}
माँ-बाप और माता-पिता जब
गरीब व अनपढ़ थे, तो बच्चे
डॉक्टर, इंजीनियर, भक्त, साहित्य 
कार, कुल की इज्ज़त बचाना 
कमाना और बचाकर आगे और 
आगे की ओर ले जाते थे, माँ-
बाप ग्रैजुएट हुए तो बच्चे और
महान बने टिक-टाक, गंदे व नंगे
भांड व डांसर बने, बड़े-बड़े अपराध
कर रहे, ऐ भारत, सुनो घर के बड़े
व बुजुर्गों घर के एक कोने में पड़े 
रहने या रोने के लिए जिंदा तो रहना
ही है। जय श्री राधेकृष्ण जी!!

©N S Yadav GoldMine #leafbook {Bolo Ji Radhey Radhey}
माँ-बाप और माता-पिता जब
गरीब व अनपढ़ थे, तो बच्चे
डॉक्टर, इंजीनियर, भक्त, साहित्य 
कार, कुल की इज्ज़त बचाना

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर तूफ़ान आए तो मेरा हौसला देखो, डूबता हूँ, उभरता ज़रूर हूँ। गिरकर फिर से खड़ा, तूफ़ानों से लड़ने का तरीका, ढूंढता ज़रूर हूँ।

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तूफ़ान आए तो मेरा हौसला देखो,
डूबता हूँ, उभरता ज़रूर हूँ।
गिरकर फिर से खड़ा, 
तूफ़ानों से लड़ने का तरीका, ढूंढता ज़रूर हूँ।

राहें कठिन हो, फिर भी रुकता नहीं ,
गिरते हुए भी खुद को सम्भालता हूँ,
 हार नहीं मानता कभी, 
हर हाल में जूझता ज़रूर हूँ।

हर चोट ने मेरी पहचान बनाई है,
जो गिरा, उसने उठने की कहानी सुनाई है।
राख से उगने की आदत है मुझमें,
जलकर भी खुद को जलाता ज़रूर हूँ।

मुश्किलें मुझसे हार मान जाती हैं,
मेरे इरादे हर मोड़ पर मुस्कुराते हैं।
ज़िंदगी के हर तुफ़ान को मैंने देखा है,
पर ख़ुद को हर बार आज़माता ज़रूर हूँ।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 


तूफ़ान आए तो मेरा हौसला देखो,
डूबता हूँ, उभरता ज़रूर हूँ।
गिरकर फिर से खड़ा, 
तूफ़ानों से लड़ने का तरीका, ढूंढता ज़रूर हूँ।

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर जो दिल में चुप था, वो अब तकलीफ से रोया नहीं, पर उस चुप्पी में भी अब किसी और से बात करने की तलब है। वो जो जलते थे कभी, अब राख म

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White  जो दिल में चुप था, वो अब तकलीफ से रोया नहीं,
पर उस चुप्पी में भी अब किसी और से बात करने की तलब है।

वो जो जलते थे कभी, अब राख में तब्दील हो गए,
पर इस राख में अब भी किसी और से सुलगने की तलब है।

दर्द में डूब कर भी हमने खुद को तलाशा था,
अब उस तलाश में किसी और से मिलने की तलब है।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
जो दिल में चुप था, वो अब तकलीफ से रोया नहीं,
पर उस चुप्पी में भी अब किसी और से बात करने की तलब है।

वो जो जलते थे कभी, अब राख म

नवनीत ठाकुर

#शमशान में जमीन आज ही करवा लो नाम, आज उस का कल मेरा भी वही ठिकाना होगा। घर वर, बार वार रह जाने सब यहां, आख़िर वहीं जाना होगा। जिन्हें था गुर

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शमशान में जमीन आज ही  करवा लो नाम,
आज उस का कल मेरा भी वही ठिकाना होगा।
घर वर, बार वार रह जाने सब यहां,
आख़िर वहीं जाना होगा।
जिन्हें था गुरूर ये वक्त उनके साथ,
सबको राख में मिल जाना होगा।

©नवनीत ठाकुर #शमशान में जमीन आज ही करवा लो नाम,
आज उस का कल मेरा भी वही ठिकाना होगा।
घर वर, बार वार रह जाने सब यहां,
आख़िर वहीं जाना होगा।
जिन्हें था गुर
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