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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
Jai Shri Ram मनहरण घनाक्षरी:- भूल जाओ सारी व्यथा , याद रखो हरि कथा , पार उस घाट देखो , खड़े दीनानाथ हैं । छोड़ो यह मोह माया , मिट्टी की है यह काया , भज ले तू प्रभु नाम , थामे तेरा हाथ हैं । पग-पग देख तेरे , चलते है नाथ मेरे , कहीं भी अकेला नहीं, वही तेरे साथ हैं । वही कण-कण में हैं , वही तेरे प्रण में हैं, जान ले तू आज उन्हें , वही प्राण नाथ हैं ।।-१ वही राधा कृष्ण अब , वही सिया राम अब , वही सबके कष्टों का , करते उतार हैं । कहीं नहीं आप जाओ , मन में उन्हें बिठाओ, मन के ही मंदिर से , करते उद्धार हैं । भजो आप आठों याम , राम-सिया राधेश्याम, सुनकर पुकार वो , आते नित द्वार हैं, असुवन की धार वे , है रोये बार-बार वे , देख-देख भक्त पीर , आये वे संसार हैं ।।२ १४/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी:- भूल जाओ सारी व्यथा , याद रखो हरि कथा , पार उस घाट देखो , खड़े दीनानाथ हैं । छोड़ो यह मोह माया , मिट्टी की है यह काया , भज ले
Vikrant Rajliwal
Anjali Singhal
Bharat Bhushan pathak
निश्चल धार जीवन उपहार। लोकाचार सुन्दर व्यवहार। प्रकृति सन्देश क्यों क्लेश। आप दूर हटें देख छद्मवेश। नहीं जरूरी बस जी धन। स्वस्थ रहे सदा भी तन। ©Bharat Bhushan pathak #LongRoad निश्चल धार जीवन उपहार। लोकाचार सुन्दर व्यवहार। प्रकृति सन्देश क्यों क्लेश। आप दूर हटें देख छद्मवेश। नहीं जरूरी बस जी धन। स्वस्थ र
Instagram id @kavi_neetesh
गीत लिखे हैं मैंने मन के गीत लिखे हैं मैंने मन के, भावों के सुंदर उपवन के। जहां खिले हैं पुष्प हजारों, महकते हैं वन चंदन के। गीत लिखे हैं मैंने मन के कलमकार वाणी साधक, शब्द सुरीले मोती चुनता। ओज बने हुंकार लेखनी, देशभक्ति के स्वर बुनता। शब्द शिल्प सृजन सारथी, दीप जलाता जन मन में। उजियारा आलोक भरें, घट-घट चंचल चितवन में। गीत लिखे हैं मैंने मन के स्नेह सुधा रस बहती धारा, मोती बरसते प्यार के। अधरों पर मुस्कान मधुर सी, वीणा की झंकार से। गीत गजल दोहा चौपाई, पावन छंदों की फुहार से। मुक्तक मंद मंद मुस्कुराया, मृदु लेखनी की धार से। गीत लिखे हैं मैंने मन के आडंबर से दूर रहा नित ,सत्य का मार्ग अपनाया। शील सादगी समर्पण, किर्तिमान परवान चढ़ाया। राष्ट्रप्रेम में डूबा मनमौजी, गीत रचता मैं वतन के। गाओ मेरे देश प्रेमियों, बोल सुरीले अपने मन के। गीत लिखे हैं मैंने मन के ©Instagram id @kavi_neetesh #Path गीत लिखे हैं मैंने मन के गीत लिखे हैं मैंने मन के, भावों के सुंदर उपवन के। जहां खिले हैं पुष्प हजारों, महकते हैं वन चंदन के। गीत लिख
pramod malakar
अगर दुनिया को जीतना है, तो पत्थर बनो फूल नहीं। अगर ताकतवर बनना है, तो तलवार का धार बनो। सड़क का धूल नहीं।। ©pramod malakar #तलवार का धार बनो
Srinivas
भाग्य साहसी पर मुस्कुरा सकता है, लेकिन यह श्रम की चक्की है जो सफलता की धार को तेज करती है। ©Srinivas #luck #labour भाग्य साहसी पर मुस्कुरा सकता है, लेकिन यह श्रम की चक्की है जो सफलता की धार को तेज करती है।
Anjali Singhal
Bharat Bhushan pathak
चतुर चपल चंचल नयन,विकल- विकल उन्मन उन्मन। विचार रहा बस है यही,तृप्त हो ये जीवन सघन।। नीरद नीरद हो कर अश्रु ,धार बने बहना चाहे। सुख की गगरी,संघर्षों के आँधी से सब फूट रहे। व्यथा करुण क्या कहता ये मन,भाव बताना न संभव । ©Bharat Bhushan pathak #beautifulhouse चतुर चपल चंचल नयन,विकल- विकल उन्मन उन्मन। विचार रहा बस है यही,तृप्त हो ये जीवन सघन।। नीरद नीरद हो कर अश्रु ,धार बने बहना च