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सतीश तिवारी 'सरस'
डॉ. प्रकाश जी डोंगरे की पंक्तियाँ जलती सड़कों पर जो एक अकेला आदमी गुलमोहर की तलाश में नंगे पाँव जा रहा है व्यवस्था का सूरज सबसे अधिक उससे ही घबरा रहा है। ''बूढ़ा पिता और आम का पेड़'' काव्य संग्रह से साभार ©सतीश तिवारी 'सरस' #व्यवस्था
Ek villain
विश्व का पुलिस मैन बनने वाला अमेरिका इन दिनों जमीनी योद्धा कम और वाघबिल लंबी चौड़ी बातें करने वाला ज्यादा सिद्ध हो रहा है यूक्रेन मामले को लेकर यह बात और पुष्टि हो रही है कि यदि भी पूरे इतिहास भी यही कहता है कि इन दिनों रूस ने यूक्रेन की घेराबंदी कर ली है उसके सवा लाख के करीब सैनिकों के दिन की सीमा पर यह गीत मौजूद है ताजी खबरों के अनुसार उसके द्वारा महार रक्त बैंक से दूर किया जा रहा है ताकि युद्ध के नौ बताएं और संभावित घायलों को भेज दिया जा सके इधर लगाया था कि अमेरिका अपने सहयोगी नाटो देशों की मदद में रूस का सैन्य प्रतिरोधी करेगा किंतु वह सभी वाहनों की बारी से सिद्ध हो रहा है जब रूस यूक्रेन के बीच युद्ध के बादल हो रहे हैं तब खबर आ रही है कि अमेरिका ब्रिटेन जर्मनी फ्रांस आदि युद्ध में नहीं खो देंगे और तकनीकी सहायता करेंगे अब ऐसे में कभी रूस का ही टुकड़ा रहे यूक्रेन अपने बलबूते विश्व की भारी-भरकम से कैसे मुकाबला करेगा यह देखने लायक होगा अमेरिका ने कभी वेदना में भी दिया था लेकिन कुछ ही दिनों में उसे अपनी जमीन स्थिति का अंदाजा हो गया वह वापस आ गया उत्तर और कोरिया दक्षिण कोरिया में अमेरिकी दक्षिण कोरिया का समर्थक है जो शक्तिशाली उत्तर कोरिया से डरता ही रहता है ©Ek villain #विश्व व्यवस्था में अमेरिका की भूमिका #roseday
Praveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी आवारा पन सियासत हो गयी व्यवस्था सब कराहती है रीतियां नीतियां सब ताक पर बैठी हिटलरशाही नेताओ में पनपी जाती है संसद न्यायालय सब दबाबो मे आस जनता की टूटी जाती है जंगली व्यवस्था जंग छेड़े है हक जनता का सियासत छीने जाती है निलम्बित सब अधिकार कर बैठे कानूनी चाबुक और बुल्डोजर संस्कृति थोपे जाते है जीने का अधिकार नही बचा किसी का डर और भय का शासन थोपे जाते है चुनावी व्यवस्था खतरे में है लोकतंत्र भीष्म शय्या पर लेटा है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #election_2024 चुनावी व्यवस्था खतरे में है #nojotohindi
Author Harsh Ranjan
दुनिया के कानूनों ने मुझे ये सिखाया है कि घोड़ा और गधा एक है, व्यवस्था की नजर में! या कहें कि घोड़ापन अथवा है। दुनिया का गधों के लिए यही जज्बा है। सर्वत्र संसार में अकाल व्याप्त है! भूख और भूख का डर जल और वायु से भी पर्याप्त है। कमाने वालों को कम खाने के गुण बताए जा रहे हैं और लोग उनकी रसोई के आटे-दाल से भंडारे करवाये जा रहे हैं। किसी ने मेरे कानों में धीमे से कहा है, एक किसान दो फसल काटकर भी आयु में उतना कमाता है कि उसके तीन पुश्त एक भी रात भूखे न गुजारें! पर ये गांव वालों को कैसे समझाएं कि बेरोजगारी के दिन-रात बिस्तर पर न गुजारें! अगर धरती पर पड़ा होना ही अस्तित्व है तो ये व्यवस्था मानव से ज्यादा मवेशियों के निमित्त है। व्यवस्था
Author Harsh Ranjan
दुनिया के कानूनों ने मुझे ये सिखाया है कि घोड़ा और गधा एक है, व्यवस्था की नजर में! या कहें कि घोड़ापन अथवा है। दुनिया का गधों के लिए यही जज्बा है। सर्वत्र संसार में अकाल व्याप्त है! भूख और भूख का डर जल और वायु से भी पर्याप्त है। कमाने वालों को कम खाने के गुण बताए जा रहे हैं और लोग उनकी रसोई के आटे-दाल से भंडारे करवाये जा रहे हैं। किसी ने मेरे कानों में धीमे से कहा है, एक किसान दो फसल काटकर भी आयु में उतना कमाता है कि उसके तीन पुश्त एक भी रात भूखे न गुजारें! पर ये गांव वालों को कैसे समझाएं कि बेरोजगारी के दिन-रात बिस्तर पर न गुजारें! अगर धरती पर पड़ा होना ही अस्तित्व है तो ये व्यवस्था मानव से ज्यादा मवेशियों के निमित्त है। व्यवस्था
somnath gawade
प्रचलित व्यवस्थेविषयी 'व्यवस्थित' बोलले नाहीतर 'व्यवस्था' आपल्याला व्यवस्थित जागी पोहचविते. 🤣😂 #व्यवस्था
Anupama Jha
"काश" इच्छाओं का उपसर्ग है और "आस" प्रत्यय । #काश #आस #उपसर्ग #प्रत्यय #yqdidi #hindiquote #हिंदीकोट्स