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azad satyam
तन्हा अब जिया नहीं जाता, याद हर पल सताती है हर वक्त करीब रहने को तेरे, बेताबी बढ़ती जाती है दिल की हर धड़कन, सांसों की गति बढ़ती जाती है जब बीते गुजरे हसीन लम्हों की याद आती है उड़ने को उड़ सकता है ये दीवाना पंछी पर तेरी कमी उन्मुक्त गगन को पिंजरे सा बताती है आजाद होकर भी बंदिश में रहना है मुझको महसूस कर मेरी धड़कन यही हर पल जताती है तू था, तू है और तू रहेगा यही उम्मीद सुकून दे जाती है हां मुझे हर पल तेरी याद सताती है 💌🕊️अनकहे अल्फ़ाज़💖💞 #ek_panchi_diwana_sa ©azad satyam तन्हा अब जिया नहीं जाता, याद हर पल सताती है हर वक्त करीब रहने को तेरे, बेताबी बढ़ती जाती है दिल की हर धड़कन, सांसों की गति बढ़ती जाती है जब
तन्हा अब जिया नहीं जाता, याद हर पल सताती है हर वक्त करीब रहने को तेरे, बेताबी बढ़ती जाती है दिल की हर धड़कन, सांसों की गति बढ़ती जाती है जब
read moreनवनीत ठाकुर
आँधियों ने भी कई बार राह रोकनी चाही, पर मेरे हौसले ने हर दिवार तोड़ दी। दुनिया ने पूछा कैसे जीते हो हर जंग, मैंने कहा, खुद से हारने की बात छोड़ दी। जो गिरते हैं, वही उड़ना सीखते हैं, जो जलते हैं, वही सूरज बनते हैं। मुझे गिराने की साज़िश हर तूफ़ान ने की, पर मैं हर बार और मज़बूत होकर उठता हूँ। मंज़िलों ने कहा, तुमने हम तक पहुँचने का हक़ पाया, रास्तों ने कहा, तुम्हारे जज़्बे ने हमें झुकाया। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर आँधियों ने भी कई बार राह रोकनी चाही, पर मेरे हौसले ने हर दिवार तोड़ दी। दुनिया ने पूछा कैसे जीते हो हर जंग, मैंने कहा, खुद से
#नवनीतठाकुर आँधियों ने भी कई बार राह रोकनी चाही, पर मेरे हौसले ने हर दिवार तोड़ दी। दुनिया ने पूछा कैसे जीते हो हर जंग, मैंने कहा, खुद से
read moreनवनीत ठाकुर
White गुफ़्तगू थी जिनसे, अब खामोशियाँ हैं बाकी, साथ जो चलते थे, वो कारवां ठिकाने गए। नक़ाबों के पीछे छुपी थी जो असलियत, मगर इतना तो हुआ, कुछ चेहरे पहचानने गए। इक हल्की सी लहर ने सारा दरिया हिला दिया, वक्त की शिद्दत से कुछ अरमाँ तक उड़ने गए। जो साथ थे कभी, अब दिलों में दूरियाँ बन गईं, लेकिन उन दूरियों से कुछ रिश्ते नया रंग लेने गए। अल्फाज़ वो जो कभी मुस्कान से बयाँ होते थे, वो अब चुप्पियों में छुप कर रह जाने गए। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर गुफ़्तगू थी जिनसे, अब खामोशियाँ हैं बाकी, साथ जो चलते थे, वो कारवां ठिकाने गए। नक़ाबों के पीछे छुपी थी जो असलियत, मगर इतना त
#नवनीतठाकुर गुफ़्तगू थी जिनसे, अब खामोशियाँ हैं बाकी, साथ जो चलते थे, वो कारवां ठिकाने गए। नक़ाबों के पीछे छुपी थी जो असलियत, मगर इतना त
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