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Prashant Shakun "कातिब"
............................... ©Prashant Shakun "कातिब" Writer म्हारी लाडो, शेरनी, शेरुआ, नंदू, नंदी, नंदिता, मोटी, मोटो, क्यूटी बच्चा... समय के साथ और भी नाम मिलते रहेंगे😂 छोटी सी परी के जैसी
Writer म्हारी लाडो, शेरनी, शेरुआ, नंदू, नंदी, नंदिता, मोटी, मोटो, क्यूटी बच्चा... समय के साथ और भी नाम मिलते रहेंगे😂 छोटी सी परी के जैसी
read moreN S Yadav GoldMine
Unsplash {Bolo Ji Radhey Radhey} माँ-बाप और माता-पिता जब गरीब व अनपढ़ थे, तो बच्चे डॉक्टर, इंजीनियर, भक्त, साहित्य कार, कुल की इज्ज़त बचाना कमाना और बचाकर आगे और आगे की ओर ले जाते थे, माँ- बाप ग्रैजुएट हुए तो बच्चे और महान बने टिक-टाक, गंदे व नंगे भांड व डांसर बने, बड़े-बड़े अपराध कर रहे, ऐ भारत, सुनो घर के बड़े व बुजुर्गों घर के एक कोने में पड़े रहने या रोने के लिए जिंदा तो रहना ही है। जय श्री राधेकृष्ण जी!! ©N S Yadav GoldMine #leafbook {Bolo Ji Radhey Radhey} माँ-बाप और माता-पिता जब गरीब व अनपढ़ थे, तो बच्चे डॉक्टर, इंजीनियर, भक्त, साहित्य कार, कुल की इज्ज़त बचाना
#leafbook {Bolo Ji Radhey Radhey} माँ-बाप और माता-पिता जब गरीब व अनपढ़ थे, तो बच्चे डॉक्टर, इंजीनियर, भक्त, साहित्य कार, कुल की इज्ज़त बचाना
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
कौन है जो सूरज को धमका रहा, कोहरे का जाल यूं फैला रहा? क्यों उजाले को निगलने चला, सांसों तक को ठंडा बना रहा? ठंड में अब पानी भी डरा रहा, खुद को भाप में बदल रहा। किसको यह कारीगरी सूझी है, जो प्रकृति पर कहर ढा रहा? कौन है जो चुराने चला, जो इतनी जल्दी दिन ढल रहा? समय को घेरने वाला कौन, जो हर पल को सर्दी में ढल रहा? उतार दिया है काम का बोझ, काम छोड़ खुद को गर्म कर रहा। सर्दी से ठिठुर गए हैं सारे, इंसान बैठा अलाव जला रहा। निकले ही हाथ-पैर हो गए सुन्न, हवा में ऐसी नमी छोड़ रहा। अब तो पानी पीना भी मुश्किल है, कौन है जो बर्फ से पानी भिगो रहा? ©theABHAYSINGH_BIPIN कौन है जो सूरज को धमका रहा, कोहरे का जाल यूं फैला रहा? क्यों उजाले को निगलने चला, सांसों तक को ठंडा बना रहा? ठंड में अब पानी भी डरा रहा, खु
कौन है जो सूरज को धमका रहा, कोहरे का जाल यूं फैला रहा? क्यों उजाले को निगलने चला, सांसों तक को ठंडा बना रहा? ठंड में अब पानी भी डरा रहा, खु
read moreनवनीत ठाकुर
White बात कड़वी हो, न लगे किसी को अच्छी, नज़्म जो दिल से निकले गाता जरूर हूं। चुप रहकर भी मैंने बहुत कुछ कहा है, जो समझ सके, वो ही सुनता जरूर हूं। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर बात कड़वी हो, न लगे किसी को अच्छी, नज़्म जो दिल से निकले, गाता जरूर हूं। चुप रहकर भी मैंने बहुत कुछ कहा है, जो समझ सके, वो ही
#नवनीतठाकुर बात कड़वी हो, न लगे किसी को अच्छी, नज़्म जो दिल से निकले, गाता जरूर हूं। चुप रहकर भी मैंने बहुत कुछ कहा है, जो समझ सके, वो ही
read moreSarvesh kumar kashyap
🤷 सदाबहार सुपर स्टार..🤔💗 #Best #Emotional #Motivational #status #shayiri #viral #Trending
read more#Mr.India
White ख़्वाहिशें तो बेपनाह हैं, मगर ख़ुद को तरसाना अभी बाक़ी है, सफ़र पर निकले हैं, लेकिन मंज़िल तक पहुंचना अभी बाक़ी है। उम्मीदें पलती हैं, फिर पल में बिखर जाती हैं, ठोकर लगती है तो ज़िंदगी रुककर ख़ुद सँभल जाती है। हर मोड़ पर आफ़तें हैं, हर रास्ता अजनबी है, सिरफ़रोशी का जज़्बा है, यही हमारी तलब है। तूफ़ानों में चलने का इरादा हमने बांधा है, जहाँ सहर नहीं, वहीं एक चिराग़ हमने जलाया है। हवा के रुख़ से डरकर हम क़दम पीछे नहीं करते, सूरज की तपिश में भी साया ढूंढ लिया करते। मंज़िल नहीं तो क्या हुआ, सफ़र का मज़ा लिया जाएगा, हर गिरते पत्थर को राह का नक़्शा बनाया जाएगा। ©#Mr.India ख़्वाहिशें तो बेपनाह हैं, मगर ख़ुद को तरसाना अभी बाक़ी है, सफ़र पर निकले हैं, लेकिन मंज़िल तक पहुंचना अभी बाक़ी है। उम्मीदें पलती हैं, फिर प
ख़्वाहिशें तो बेपनाह हैं, मगर ख़ुद को तरसाना अभी बाक़ी है, सफ़र पर निकले हैं, लेकिन मंज़िल तक पहुंचना अभी बाक़ी है। उम्मीदें पलती हैं, फिर प
read moreArjun Singh Rathoud #Gwalior City
शाम की छोटी कविताएँ यहाँ कुछ छोटी-छोटी कविताएँ हैं जो शाम के माहौल को बयां करती हैं: * शाम का नजारा: धूप छिपी, छाया फैली, चिड़ियों की चहचहाट थमी। आकाश रंग बदलता, शाम आई, मन को भाती। * संध्या का समय: आज का दिन हुआ समाप्त, तारे निकले, चाँद आया। हवा चलती, शीतल लगती, मन शांत, आनंद भरा। * शाम की यादें: बचपन की शामें याद आतीं, दोस्तों संग खेलते थे। खेतों में दौड़ते फिरते, खुशी से मन भर जाता।✍️✍️🙏💯😍 ©Arjun Singh Rathoud #Gwalior City शाम की छोटी कविताएँ यहाँ कुछ छोटी-छोटी कविताएँ हैं जो शाम के माहौल को बयां करती हैं: * शाम का नजारा: धूप छिपी, छाया फैली, चिड़ियों की
शाम की छोटी कविताएँ यहाँ कुछ छोटी-छोटी कविताएँ हैं जो शाम के माहौल को बयां करती हैं: * शाम का नजारा: धूप छिपी, छाया फैली, चिड़ियों की
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