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के. शर्मा
वो मेरा पागलपन तुझसे बिछड़ने वाला... ©Krishnawatar Vishwakarma तड़पती कलम #शायरी #विचार #thought
Tinkesh Patidar
ये राते, गुजरी बातें, तड़पाती तो बहुत है, पर परिस्थितियों से बड़ा तो खुदा भी नही हुआ आज तक (राधा ने भी तो वियोग सहा था) (और कृष्ण तो भगवान थे ) तो चुप है और तड़पना अब किस्मत है हमारी ©Tinkesh Patidar #तड़पती #Thinking
Prem Narayan Shrivastava
बाद मुद्दत आज अचानक कैसे मिल गए ये कभी हमने सोचा न था देख कर तुझे हमने मर्ज मिटा दिया लगता है दर्द ए दिल खुद में मगरुर होने लगा है नाज़ ओ अदा तेरा देख कर मैंने अपना दर्द सुना दिया दर्द सुन के तुझको न हुआ मुझ पे यकीं हमने भी अश्क सामने तेरे गिरा के अब अपना फ़र्ज़ निभा दिया पहले दोस्ती फिर दुश्मनी करना शौक है तेरा हमने इस बार दूरी तुझसे बढ़ा कर अब अपना दर्द मिटा दिया वफा के नाम पे बेवफाई तेरी आदतों में शुमार है क्या करूं मैंने भी सितम सह कर अपना कर्ज मिटा दिया 🙏🙏मेरी स्वरचित नई ग़ज़ल तड़पती तमन्ना🙏🙏 ©Prem Narayan Shrivastava #तड़पती तमन्ना
Shivani Singh
हम रूठ जाएंगे तो, फिर मनाएगा कौन.... आज दरारें है, कल खाई है, फिर इनको भरेगा कौन.... हम चुप हो जाएंगे तो, फिर इस चुप्पी को तोड़ेगा कौन.... छोटी छोटी बातों को लगा लोगे दिल से तो फिर रिश्ता निभाएगा कौन.... अगर इतनी नाराज़गी रहेगी तो माफ़ कर बड़प्पन दिखाएगा कौन.... जिंदगी नहीं मिलती हमेशा के लिए, कल को कोई एक ना रहा तो फिर पछताएगा कौन.... ©Shivani Singh तड़पती कलम
Sharad Chaturvedi
भुला नहीं हूं उसे, बस उसकी बात नहीं करता । सोचता हूं अक्सर उसे, पर उसे याद नहीं करता । राह में देखता हूं कभी उसे, पर उससे मुलाकात नहीं करता । लगता तो वो मुझे आज भी अपना सा है । पर मैं अब उसपर ऐतबार नहीं करता .......✍️ ©Sharad Chaturvedi तड़पती कलम ✍️
Om Prakash Gupta,Retired Lecturer(Maths)
एक हूक उठती है,दिल में फिर से उसे सुनने के लिए, लरजती कभी मनौव्वल में, जानी पहचानी सी आवाज टटोल रही अब गुमनामी में, साया हो करती थी आगाज। पक्ष लेती मेरा,हर नादानी में, अब स्तब्ध हो गया मेरा घर, निशब्दता छा गई, आंगन में, आतुर होती थी, वह आवाज़ किलकारी की झलक पाने में, जाने कहां खो गयी है , वो मां। तड़पती होगी कहीं, तडपन में, मेरे रोने पे रोते होंगे पा अपने, छाते आसमां सा मेरे जेहन में, समाते थे ज़र्रे ज़र्रे में ,धरा पर, जोर से हुंकार भरते हैं हवा में, जो कमजोर होते हम साहस से। ओमप्रकाश गुप्ता ©Om Prakash Gupta,Retired Lecturer(Maths) तड़पती होगी, कहीं......
Shveta Mishra
चाहत में इम्तेहान कहां दिल में अब जज़्बात कहां रिश्ते में अब एहसास कहां किसी को मोहब्बत मुक्कमल कहां इश्क के दर्मियां अब इंजतार कहां मोहब्बत में अब एतबार कहां मुझमें ठहरने का अब इरादा कहां मुझसे अब दीदार कहां उम्र भर साथ का वो वादा कहां मुकद्दर में अब कोई हमसफर कहां जिंदगी में अब सुकून कहां ©Shveta Mishra तड़पती कलम से #Chaahat
R.J...Laik Ahmed
जिंदगी के साथ भी हकीकत के पास भी, ये वक्त की राह ऐसी है, कि तड़पती या बढ़ती रहती है ©R.J...Laik Ahmed #Shadow तड़पती रहती है... @R.J.LAIK..