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Ek villain
बजट उनके आने की आहट मात्र से धरा पर अद्भुत प्रभाव दृष्टिगोचर हो ना आप आराम हो जाता है नौकर पर स्लो गायकार के बिल्कुल का प्रयास बढ़ाने के अनुमान में खोए खोए से रहने लगते हैं टीवी पर चलने वाली बहस कंगना के बोल श्वेता तिवारी के बकलोल और विराट की कप्तानी छोड़ने की रोचक विषयों को पहचानते हुए सकल घरेलू उत्पाद राजकोषीय घाटा जैसी अजूबी पहेलियों उस पर केंद्रित हो जाती आम आदमी बजट में राहत तलाश आरंभ कर देते हैं बजट का दर्शन चा वकवादी होना के पर्याप्त आधार हैं इससे बनते वक्त सरकारी अनासन ही जितनी चादर है उतने ही पांव पसारना जैसे अलौकिक सिद्धांत के दायरे को तोड़ फोड़ते हैं यही श्रेणी में लाते हैं यद्यपि सरकार की नजर नहीं आती उसके अफसरों और मंत्रियों की उंगलियों को भी में होने वाली बात अवश्य सुनने में आती है बजट वाली श्रेणी में सब्सिडी दी जाती है सब्सिडी से वोट आते हैं वोट को सरकार के लिए भी मान लिया जाए तो चारों दर्शन इति सिद्ध हो जाता है बजट अपरिग्रह बाद का भी पोषक होता है इसमें अक्सर विनय के लक्ष्य रखे जाते हैं इसी सिद्धांत पर एयर इंडिया जैसे परी कराओ से मुक्त होना संभव हुआ है बजट को देखा लगता है जैसे कि भगवान कुरुक्षेत्र में वित्त मंत्री अर्जुन की शंका का समाधान कर रहे हो ©Ek villain #अर्थशास्त्र का आध्यात्मिक अध्ययन #friends
Anamika
कहीं भूल न जाऊं, बातों का अपनापन एक pdf बनाकर रख ही लूं क्या? #pdf #अपनापन #tulikagarg
popular10 updates
PDF Submission SItes http://popular10updates.com/25-pdf-submission-sites-2019/
Ek villain
रूस और यूक्रेन के बीज जारी युद्ध के कारण पूरा विश्व चिंता में है क्योंकि इस विश्व शांति भंग हो सकती है उल्लेखनीय है कि वर्ष 1991 सोओगी संग के विघटन के साथ यूक्रेन का जन्म स्वतंत्र देश के रूप में जन्म संग्रह और राष्ट्रपति चुनाव के साथ हुआ था यूक्रेन को पूरी उम्मीद थी कि रूसी आक्रमण के बाद अमेरिकी उसकी मदद के लिए हाथ बढ़ाएंगे लेकिन अमेरिका द्वारा सैन्य मदद से इनकार करने के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति ने अमेरिका की भी आलोचना की है ऐसा लगता है कि आने वाले दिनों में कहीं से भी मदद ना मिलने के कारण ताकतवर उसके साथ यूक्रेन की सेना आत्मसमर्पण करते ही वर्तमान संकट के बारे में यदि निरपेक्ष तरीके से देखा जाए तो ऊपरी तौर पर ऐसा लगता है कि यहां किसी देश और आक्रमण है जैसे भारत ने कहा भी है कि सभी विवादों को बातचीत के माध्यम से हल किया जा सकता है और ऐसा होना भी चाहिए लेकिन यदि रोज के नजरिए से इस पर विचार किया जाए तो ध्यान में आता है किसी युद्ध के समय से लेकर अभी तक एक दूसरे रूट और दूसरी ओर अमेरिका उसके मित्र ने नाटो देशों के बीच लगातार एकता नथानी बनी हुई है इसमें कोई संदेह नहीं है कि योग द्वारा समूह में शामिल होने से उसकी सीमाओं पर उपस्थित हो जाएगा ऐसे में रूस कभी भी नहीं चाहेगा कि किसी भी हालत में योग नाटो का सदस्य बने साथ ही यह पहली बार नहीं है यूक्रेन के साथ रूस के संबंध में टकराव की आई है जाटों के साथ नजदीकियां बढ़ाने का प्रयास किया है तब तक उसने उसका प्रतिकार किया है ©Ek villain #युद्ध की कूटनीति और संबंधित अर्थशास्त्र #Rose