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s गोल्डी
कभी सोचता हूं कैसे नजरे मिला पाऊंगा अपने दोस्तों से.. जिनको मैं सीना ठोकर कहता था कि मेरी वाली सबसे अलग है...! 💔😥 ©s गोल्डी कभी सोचता हूं कैसे नजरे मिला पाऊंगा अपने दोस्तों से.. जिनको मैं सीना ठोकर कहता था कि मेरी वली मुझे से ही शादी करेंगी...!💔😥
कभी सोचता हूं कैसे नजरे मिला पाऊंगा अपने दोस्तों से.. जिनको मैं सीना ठोकर कहता था कि मेरी वली मुझे से ही शादी करेंगी...!💔😥
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White सोचता हूँ कभी कभी क्या तुम मेरा इश्क़ थीं या, यूँ ही बस एक इंसानी फ़ितरत पसन्द करना किसी को मोहब्बत के ख्याली पुलाव पकाना ग़र ये, महज़ एक आकर्षण था तेरे मुँह मोड़ने पर भी बाकी क्यूँ है तो क्या है जो अब भी बाकी है मुझ में एक शोर सा, मेरी सांसों की डोर सा क्यों होता है ऐसा… हर बार बेवफ़ा समझ कर सोचता हूँ तुम से दूर जाने को तेरा अक्स मेरी आँखों में उतर आता है मुस्कुरा कर जैसे पूछ रहा हो कैसे हो तुम, जो कहा करते थे आख़िरी साँस तक चाहोगे मुझे तब शर्त कहाँ थी उतना ही चाहोगी तुम मुस्कुराहट तुम्हारी शोर बन कर गूंजने लगती है मेरे भीतर धड़कनें इस क़दर बढ़ जाती है मानो दिल फटने को हो हँसी में घुले सवाल गूंजने लगते हैं मेरे कानों में एक शोर, जो डराने लगता है मुझे हर बार, हर रात मुझे जाग जाता हूँ मैं, भूल कर सारे शिकवे एक और सुबह होती है मुझे याद दिलाने को इश्क़ है मुझे तुम से, रहेगा भी आख़िरी साँस तक इस जन्म, उस जन्म, हर जन्म ©हिमांशु Kulshreshtha सोचता हूँ कभी कभी....
सोचता हूँ कभी कभी....
read moreडॉ.अजय कुमार मिश्र
White बहुत लोग हैं मेरे साथ, फिर भी आज मैं तन्हा हूं, जाने क्यों खुली आसमां से ,व्यथा आज कहता हूं। हमें आदत थी हमेशा आग और बर्फ पर चलने की, आज सर्द हवाओं के सर्दी से भी जाने क्यों बचता हूं। धधकती आग तो दूर, आज आग के धुएं से भी डरता हूं।। कोई चोटिल न हो जाए मेरे खट्टे मीठे शब्दों से , आज जुबान से निकलने वाली हर शब्द से डरता हूं। कौन सक्स कब हमें कह दे गुनहगार। आज हर सक्स के नजरों से डरता हूं। ©डॉ.अजय कुमार मिश्र डरता हूं
डरता हूं
read moreparshu shayari
अगर कोई पूछे कि क्या मोहब्बत करता हूं तो बता देना बहुत फिक्र करता हूं कोई पूछे कि क्या चाहता हूं, तो बता देना सिर्फ़ तुम्हारी खुशी Read More
read moreSarfaraj idrishi
Red sands and spectacular sandstone rock formations वो मुझ पर हंसते हैं कि मैं उन सब से अलग हूं। मैं उन पर हंसता हूं कि वो सब एक जैसे हैं। ©Sarfaraj idrishi #Sands वो मुझ पर हंसते हैं कि मैं उन सब से अलग हूं। मैं उन पर हंसता हूं कि वो सब एक जैसे हैं। Anshu writer pinky masrani M@nsi Bisht Int
#Sands वो मुझ पर हंसते हैं कि मैं उन सब से अलग हूं। मैं उन पर हंसता हूं कि वो सब एक जैसे हैं। Anshu writer pinky masrani M@nsi Bisht Int
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