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RAMLALIT NIRALA
White हाँ हाँ मैं कर्जादार हूँ उस आसमान का उस धरती का उस हवा का उस उस प्राकृतिक का उस बाप का और उस माँ का जो मुझे नो महिने पेट में पाल कर रखा मै नहीं चुका सकता उस माँ का कर्जा कौन चुका सकता है माँ बाप का कर्जा तुम बेटे हो कल तुम किसी का बाप बनोगे तब पता चलेगा माँ और बाप का दर्द क्या होता है नही कुछ कर सकते हो तो माँ बाप के बुढापे का सहारा तो बनो जो बित जायेगा समय फिर दोबारा नहीं मीलेगा मत मारो ठोकर माँ को मुझे दर्द होता है मुझे दर्द होता है ©RAMLALIT NIRALA किस्मत उनकी जिनके पास माँ और बाप रहते हैं मै बदनसीब हुँ दोस्त मेरी माँ नहीं है
किस्मत उनकी जिनके पास माँ और बाप रहते हैं मै बदनसीब हुँ दोस्त मेरी माँ नहीं है
read morepuja udeshi
भगवान की फोटो लगाते हो ना? माँ बाप की फोटो मरने के बाद लगाओगे, जीते ज़ी इन्हे पूज लो ये जब नहीं रहेगे तो इनकी value समझ पाओगे, इनका प्यार कही नहीं मिलेगा ऐसे भगवान समान माँ बाप तुम दोबारा नहीं पाओगे.... 🥹😓🙏🏻 ©puja udeshi #Bhagwan #माँ #बाप #pujaudeshi
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read morePriyanka pilibanga
White मेरे पापा लिखते मेरा मुकद्दर, अगर मेरे पापा लिखते। ना दौलत, ना शोहरत, की कमी लिखते। जहां जहां गम लिखें है, वहां वहां वो सुख लिखते। मेरा मुकद्दर, अगर मेरे पापा लिखते। धुधली सी खुशियों को वह साफ़ साफ़ लिखते। मेरी ज़िन्दगी में दुःख नाम के, शब्द ही ना होते। मेरा मुक़द्दर, अगर मेरे पापा लिखते। ©Priyanka Poetry मेरे पापा लिखते
मेरे पापा लिखते
read moreparul yadav
Maa ख़ुदा की एक खूबसूरत रचना जो रचती है ब्रह्माण्ड सारा कही नही मिलता ऐसा प्यार चाहे तलाश कर आओ पूरा संसार । ©parul yadav #माँ #ममता #माँ_का_प्यार #मेरी✍️से #मेर #नोजोतो❤ #नोजोतोहिंदी #NojotoFamily शायरी हिंदी शायरी दर्द दोस्ती शायरी 'दर्द भरी शायरी' हिंदी
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read moreRiyanka Alok Madeshiya
White माँ ________ -------------- शब्दों की जरूरत नहीं होती मुझे तुमको अपनी बात समझने के लिए मेरे चेहरे के भाव काफी हैं मेरे मन का हाल बतलाने के लिए जीवन के संघर्षों से- जब भी यह मन घबराता है 'मैं हूंँ ना ' , 'सब ठीक हो जायेगा' तुम्हारा यही कहना याद आता है खो दिया तुमने खु़द को मुझे आकार देने में मैंनें ही तो जी हैं ;वो खु़शियाँ भी जो थी तुम्हारे हिस्से में अब लोग रूठतें हैं ; मनातें नहीं हैं तेरी तरह मेरी ग़लतियाँ छुपाते नहीं है काश! ये समय का पहिया वापस घूम पाता, और मुझे बचपन की गलियों में ले जाता जब तुम लोगों की नजरों से बचाने के लिए मुझे काज़ल का टीका लगाया करती थी और दिन के अन्त में- तुम खुद अपनी ही लगी नजर उतरती थी तुमने मुझको हक़ दिया हैं ;खु़द को सताने का बिना बात के रूठ जाने का मेरे झूठें ऑंसुओं पर भी- तुम्हारा दिल पिघल जाता है समझ में नहीं आता है कि- न जाने किस मिट्टी से ऊपर वाला माँ को बनाता हैं। स्वरचित और मौलिक रियंका आलोक मदेशिया पडरौना ,कुशीनगर ,उत्तर प्रदेश ©Riyanka Alok Madeshiya #माँ