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अदनासा-

#हिंदी #शायर #कुदरत #तस्वीरें #ख़्वाब #नसीब #Instagram #Facebook #अदनासा शायरी हिंदी में शायरी attitude Extraterrestrial life हिंदी शायरी श

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Unsplash आज कुदरत तस्वीरों में कैद हो भी सकता है,
मगर कल अफ़साने लिखने वाला कौन होगा ?
आज कह देना कि कुदरत ख़ूबसूरत होती है,
मगर कल कुदरत ख्वाबों में भी नही आयेगा ?

©अदनासा- #हिंदी #शायर #कुदरत #तस्वीरें #ख़्वाब #नसीब #Instagram #Facebook #अदनासा  शायरी हिंदी में शायरी attitude Extraterrestrial life हिंदी शायरी श

theABHAYSINGH_BIPIN

#Sad_Status मैं बैठे-बैठे सोच रहा था, उनकी तस्वीरें ताक रहा था। मन के कोने में हलचल थी, लबों पर नाम सजा रहा था। बीती यादों का सैलाब उमड़ा,

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White मैं बैठे-बैठे सोच रहा था,
उनकी तस्वीरें ताक रहा था।
मन के कोने में हलचल थी,
लबों पर नाम सजा रहा था।

बीती यादों का सैलाब उमड़ा,
गुज़रा वक्त भी सता रहा था।
जिक्र उनका अब जरूरी नहीं,
खयालों में डूबता जा रहा था।

©theABHAYSINGH_BIPIN #Sad_Status मैं बैठे-बैठे सोच रहा था,
उनकी तस्वीरें ताक रहा था।
मन के कोने में हलचल थी,
लबों पर नाम सजा रहा था।

बीती यादों का सैलाब उमड़ा,

नवनीत ठाकुर

#हर रात की तन्हाई में चांदनी खो जाती है, सहर की रोशनी भी धुंधली हो जाती है। जिन लम्हों ने दिल पर दस्तक दी थी कभी, उन्हें दरकिनार किया जाए तो

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White हर रात की तन्हाई में चांदनी खो जाती है,
सहर की रोशनी भी धुंधली हो जाती है।
जिन लम्हों ने दिल पर दस्तक दी थी कभी,
उन्हें दरकिनार किया जाए तो मुश्किल होगी।

दर्द ने संवार दी हैं ये तहरीरें दिल की,
ग़म ने निखार दी हैं तस्वीरें दिल की।
हर कहानी का एक हिस्सा बन चुका हूँ मैं,
खुद को मिटाया जाए तो मुश्किल होगी।

आसमान से तारे भी पूछते हैं सवाल,
क्यों उजाले में भी दिखता है ये मलाल?
ज़िंदगी के हर ग़म को हमने गले लगाया,
अब उन्हें छोड़ दिया जाए तो मुश्किल होगी।

©नवनीत ठाकुर #हर रात की तन्हाई में चांदनी खो जाती है,
सहर की रोशनी भी धुंधली हो जाती है।
जिन लम्हों ने दिल पर दस्तक दी थी कभी,
उन्हें दरकिनार किया जाए तो

Bhanu Priya

#दस्तूर_ए_वक़्त दस्तूर लड़की हूं,इसलिए हर साल सरखी बनती हूं, सरकारें आती हैं जाती हैं, दस्तूर ए जहां, सत्ता, सत्ता ही रह जाती है, कभी कलकत

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लड़की हूं, इसलिए हर साल सुर्खी बनती हूं,
सरकारें आती हैं जाती हैं,
दस्तूर ए जहां, सत्ता, सत्ता ही रह जाती है,
कभी कलकत्ता, कभी मनाली न जाने कितनी हैं बिगड़ी,
कितने आशियानों की रमजान, होली , दिवाली,
हक का कहां मिला मुझे,
दस्तूर ए जहां, आज इसने तो कल उसने सबने वादें किए मुझसे...
यही रीत ज़माने की लड़ता हैं वह खुद के लिए ,
काश एक बार निकलता वह खुदसे और लड़ता मेरे लिए।

©Bhanu Priya #दस्तूर_ए_वक़्त  दस्तूर 

लड़की हूं,इसलिए हर साल सरखी बनती हूं,
सरकारें आती हैं जाती हैं,
दस्तूर ए जहां, सत्ता, सत्ता ही रह जाती है,
कभी कलकत
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