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SumitGaurav2005
मैं सूर्यपुत्र होते हुए भी, सूत पुत्र कहलाया थ। कुंती माँ मुझे जना तू ने, परन्तु राधेय कहलाया था। कर्ण दानवीर होते हुए भी, सबसे तिरस्कार पाया था। ऐसी क्या तेरी विवशता थी, जो तूने मुझे ठुकराया था। ✍🏻सुमित मानधना 'गौरव'😎 ©SumitGaurav2005 #कर्ण #karna #महाभारत #Mahabharat #Mahabharata #Sumitgaurav2005 #sumitkikalamse #sumitgaurav #sumitmandhana #Epic
- Arun Aarya
31 जनवरी 2025 मुझें मालूम है मिलेगा किश जनवरी के बाद ! मग़र मैं मोहब्बत छोड़ दूँगा इस जनवरी के बाद..!! - अरुन आर्या ©- Arun Aarya #loveshayari #जनवरी के बाद
#loveshayari #जनवरी के बाद
read more- Arun Aarya
Unsplash 30-01-2025 इश्क़ से उठ गया यक़ीन उस नारी के बाद , मुझें क्या ही मिला इतनी ईमानदारी के बाद ! ब्याज़ पे भी नहीं मिलते पैसे सच्चे आदमी को ,, झूठे आदमी को मिल जाते हैं पैसे उधारी के बाद..!! - अरुन आर्या ©- Arun Aarya #lovelife #उधारी के बाद
Parasram Arora
White आज मेरी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं था . क्योंकि मेरा दोस्त बरसो बाद लौटा है परदेस से और इस अत्यंदिक ख़ुशी के आवेश मे मैंने उसे गले से लगाया और उसकीआँखे भी चूम ली ©Parasram Arora बरसो बाद
बरसो बाद
read moreBANDHETIYA OFFICIAL
White निजात पाने की बात पे यकीं ही डोला है, फिर-फिर इस रूह ने जो बदला चोला है। मरने के बाद सुख है, ये भ्रांति भी एक दुख है, जहां आब वहां नाव, हवा से पाया हिचकोला है। सुख से मरना,मरने की - सोचे कौन बदी- नेकी, जीने की बात करो - बुजुर्ग भी सच से कतरा भोला है। ©BANDHETIYA OFFICIAL #sad_qoute #मरने के बाद!
#sad_qoute #मरने के बाद!
read moreSunita Pathania
neelu
White Yesterday I saw a few episodes of the Mahabharat series and today all I can say is विजय भव .....कल्याण हो.. Thank God... ©neelu #sad_quotes #Yesterday I #saw a few episodes of the #Mahabharat series and today all I can say is विजय भव .....कल्याण हो.. Thank God...
#sad_quotes #yesterday I #Saw a few episodes of the #Mahabharat series and today all I can say is विजय भव .....कल्याण हो.. Thank God...
read moreAvinash Jha
कुरुक्षेत्र की धरा पर, रण का उन्माद था, दोनों ओर खड़े, अपनों का संवाद था। धनुष उठाए वीर अर्जुन, किंतु व्याकुल मन, सामने खड़ा कुल-परिवार, और प्रियजन। व्यूह में थे गुरु द्रोण, आशीष जिनसे पाया, भीष्म पितामह खड़े, जिन्होंने धर्म सिखाया। मातुल शकुनि, सखा दुर्योधन का दंभ, किंतु कौरवों के संग, सत्य का कहाँ था पंथ? पांडवों के साथ थे, धर्म का साथ निभाना, पर अपनों को हानि पहुँचा, क्या धर्म कहलाना? जिनसे बचपन के सुखद क्षण बिताए, आज उन्हीं पर बाण चलाने को उठाए। "हे कृष्ण! यह कैसी विकट घड़ी आई, जब अपनों को मारने की आज्ञा मुझे दिलाई। क्या सत्य-असत्य का भेद इतना गहरा, जो मुझे अपनों का ही रक्त बहाए कह रहा?" अर्जुन के मन में यह विषाद का सवाल, धर्म और कर्तव्य का बना था जंजाल। कृष्ण मुस्काए, बोले प्रेम और करुणा से, "जो सत्य का संग दे, वही विजय का आस है। हे पार्थ, कर्म करो, न फल की सोच रखो, धर्म की रेखा पर, अपना मनोबल सखो। यह युद्ध नहीं, यह धर्म का निर्णय है, तुम्हारा उद्देश्य बस सत्य का उद्गम है। ©Avinash Jha #संशय #Mythology #aeastheticthoughtes #Mahabharat #gita #Krishna #arjun
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