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RUPESH Kr SINHA
............................. ©RUPESH Kr SINHA #घट गये जीवन का एक वर्ष
#घट गये जीवन का एक वर्ष
read moreAlok Vishwakarma "आर्ष"
रीति के ऋत के राम चरम, घट के औघट के आप मरम हम नतमस्तक प्रभु आयेंगे, दर्शन कृत-कृत्य दिलायेंगे #alokstates #india #love #spirituality #meditation #राम #घट #औघट
#alokstates #India love #Spirituality #meditation #राम #घट #औघट
read moreKusum Sharma
जब गले मिलो देह का भान न रहे जब प्रेम करो वासना छू न पाये जब कण कण घट घट में परमात्मा है तो ये सब कहने वाले किसी से नफरत कैसे कर सकते हैं 🤔 जब सारी सृष्टि का रचयिता वही है और सबके अंदर वही बैठा है ..तो किसी से भी नफरत करने का मतलब आप परमात्मा से द्वेष कर रहे हो क्या कभी सोचा है और "जैसी मति वैसी गति"
जब कण कण घट घट में परमात्मा है तो ये सब कहने वाले किसी से नफरत कैसे कर सकते हैं 🤔 जब सारी सृष्टि का रचयिता वही है और सबके अंदर वही बैठा है ..तो किसी से भी नफरत करने का मतलब आप परमात्मा से द्वेष कर रहे हो क्या कभी सोचा है और "जैसी मति वैसी गति"
read moreगिरीश तिवारी आजाद
मां आदि शक्ति जगदम्बा है माता भवम भवानी तुम ही हो जगत रचैता तुम ही हो जग कल्याणी तुम असुर निकन्दनी माता तुम जग की भाग्यविधाता हे मइया शेरा वाली हे मइया जोता वाली तुमने ही असुर संहारे तुमने ही भक्त उबारे कण*कण में आप समाई तेरी महिमा गाई न जाये ब्रह्म*बिष्णु,शिवशंकर नित ध्यान तुम्हारा धरते नित ध्यान तुम्हारा धरते मां सुमिरन भी हैं करते तुम अजर*अमर*अविनासी तुम हो घट*घट की वासी मां मैं गिरीश शरण तेरी आया दे दो चरणों की छाया🙏 जय माता की #gk001
Poetry with Avdhesh Kanojia
जगदम्ब स्तुति जयति जय अखिलेश्वरी माँ जयति जय वरदायिनी। तिहूँ लोकन की तुम्ही माँ एक ही सुखदायिनी।। रक्तरंजित कालिका तुम खड्ग खप्पर धारिणी। कालाग्नि भासित शुम्भहन्ती असुरदल संहारिणी।। श्वेत वसना शारदा तुम ब्राम्ही वीनापाणिनी। अति प्रबल अज्ञान रूपी अंधकार निवारिणी।। जय अम्बिका दुर्गा भवानी सकल लोक प्रकाशिनी। जय चंड मुंड विनाशिनी जय मातु घट घट वासिनी।। नवरात्रि पावन व आलौकिक भुक्ति मुक्ति प्रदायिनी। सब पर कृपा हो मातु कर अनूकूल हों कात्यायिनी।। ✍️अवधेश कनौजिया© #नवरात्रि जगदम्ब स्तुति जयति जय अखिलेश्वरी माँ जयति जय वरदायिनी। तिहूँ लोकन की तुम्ही माँ एक ही सुखदायिनी।।
#नवरात्रि जगदम्ब स्तुति जयति जय अखिलेश्वरी माँ जयति जय वरदायिनी। तिहूँ लोकन की तुम्ही माँ एक ही सुखदायिनी।।
read moreAnjali Choudhary
कुछ घट रहा है मुझमें! क्या ये तेरा अक्स है या खुद मैं ही बेवजह.....! मुझे पता नहीं लेकिन,... कुछ घट रहा है मुझमें! -WORDS_of_Mine #Anjali कुछ घट रहा है मुझमें! #Poetry #Hindi #Poetess #Love
"निश्छल किसलय" (KISALAY KRISHNAVANSHI)
सबका जीवन हैं स्वांग पर अपना तो बस भभूत भांग पर बातें तो हम दुनियाँ की करते लड़ जाते खेल ताश पर फ़क़्र हमे रहता हैं हरदम साथ मेरे शिव अविनाशी हैं ,हम अल्हड़ राजा बनारसी हैं , रंगीन राजा हम कशी के भभूत जमाते अविनाशी के जयशंकर के कंकाल हैं हम मोहल्ला अस्सी काशी के नीरज की पाती ले चलते हम तुलसीदास सन्यासी हैं ,हम अल्हड़ राजा बनारसी हैं , संस्कृति बसती रगों में अपनी हम युगों युगों के इतिहासी हैं गुण ज्ञान के प्रहरी हम विद्यापीठ हम काशी हैं हम बुद्धा के सारनाथ तुलसी के घाट अस्सी हैं ,हम अल्हड़ राजा बनारसी हैं , तकनीक सीखे हम बी एच यु से सम्पूर्णानन्द वेद पुराण बताये बिरजू थिरके थापों पे यहाँ बिस्मिल्ला शहनाई पे गायें दुर्गा कुंड , मानस मंदिर और शिव घट घट वासी हैं ,हम अल्हड़ राजा बनारसी हैं , ©️किसलय कृष्णवंशी"निश्छल"
अविरल अनुभूति
ॐ नमः शिवाय उत्तुंग हिमालय के शिखर में, रहता वो अविनाशी है। जड़ चेतन विरल अविरल में, बसता घट घट वासी है।। जटा जूट धारी है जो, चंद्रमौली कहलाता है। गुणागार मृत्युंजय शिव, सबका भाग्य विधाता है।। तन में भश्म रमाए जो, हिम कैलाश निवासी है। उसकी असीम अनुकम्पा हो तो, किस्मत मेरी दासी है।। शीर्ष शिखा पे धारण जिसके, गंगा की निर्मल धारा है। प्रलय सृजन में तांडव करता, वो महादेव हमारा है।। नीलकंठ वो श्वेत वर्ण, पहने भुजंग की माला है। विघ्न विनाशक मंगलकारक, वो तो शंभू निराला है।। नंदी श्रृंगी गणों के ईश, धाम उनका काशी है। नमन है मेरे इष्ट देव को, जो औघड़ सन्यासी है।। रचित अविरल विपिन शिव स्तुति
शिव स्तुति
read moreकवि मनोज कुमार मंजू
पानी कहूँ या जिन्दगी, है जीवन का सार| बूँद-बूँद में बंट गई, मोटी-मोटी धार|| सूखी पड़ी जमीन की, तुझसे बुझती प्यास| अंकुर-अंकुर में जगे, फिर जीवन की आस|| तुझ बिन अन्न न उपजते, मिटे न जग की भूख| बिन पानी इस जगत में, रहे सूख की सूख|| अमृत सम लगता यही, जब हो तीखी प्यास| नर, खग हो या जानबर, सबको आये रास|| दिन प्रतिदिन ये घट रहा, है चिन्ता की बात| मूरख जन अनजान बन, खुद ही करते घात|| पानी को न बहाइये, इसकी कीमत जान| गन्दा करना छोड़ दो, छोड़ो तुम अज्ञान|| संचय जितना कर सको, करो जतन हर कोय| बूँद-बूँद सों घट भरे, घट सागर सम होय|| 'मँजू' पानी बूँद भी, व्यर्थ न बहने पाए| सब जन मिलकर ठान लें, तो पानी बच जाए|| © मनोज कुमार "मँजू" युवा कवि, मैनपुरी 📱९७१९४६९८९९ #manojkumarmanju #manju #hindipoems
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read moreनितिन कुमार 'हरित'
प्रेम रंग की ओढ़ चुनरिया, घर घर नाचूँ गाऊँ, इतना रंग लूँ प्रेम साँवरे, मैं खुद तू हो जाऊँ ।। और एक विनती है मेरी, सुन घट घट के वासी, आँसू मेरे पोंछ न देना, जब मैं मिलने आऊँ।। #NitinDilSe #NKHarit #Nojoto #NojotoPeace