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संजय जालिम " आज़मगढी"
White अफ़साना दिल का कहूँ कैसे दीवाना दिल को रखू कैसे माना मैं मुफ़्लिस् ,काफिर हु ज़माने का उनके सिवा "जालिम" उल्फ़त में जियु कैसे ©संजय जालिम " आज़मगढी" # जीयु कैसे#
# जीयु कैसे#
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White तुम जो साथ हो तब भी मौसम ए हिज्र है इस तो बेहतर है कि बिखर जाएं हम ©हिमांशु Kulshreshtha बिखर जाये
बिखर जाये
read moreRitesh Free Fire
White चलो आज फिर थोडा मुस्कुराया जाये, बिना माचिस के कुछ लोगो को जलाया जाये.....!!! ©Ritesh Free Fire #love_shayari चलो आज फिर थोडा मुस्कुराया जाये, बिना माचिस के कुछ लोगो को जलाया जाये.....!!!
#love_shayari चलो आज फिर थोडा मुस्कुराया जाये, बिना माचिस के कुछ लोगो को जलाया जाये.....!!!
read more- Arun Aarya
07-02-2025 मृत शरीर में कहीं प्राण ना आ जाये , जेठ से पहले कहीं आषाढ़ ना आ जाये ! कोई उसकी तश्वीर मेरे नज़रों से हटा दो ,, उसे देखकर कहीं मेरे आँखों से बाढ़ ना जाये..!! - अरुन आर्या ©- Arun Aarya #Beautiful_Eyes #बाढ़ ना आ जाये
#Beautiful_Eyes #बाढ़ ना आ जाये
read moreGhumnam Gautam
White हाँ, मुझे प्यार है और तुम से ही है पर बताओ मैं इज़हार कैसे करूँ ©Ghumnam Gautam #कैसे #इज़हार #ghumnamgautam
Parasram Arora
White ये बात कित्नी अजीब है कि सांसे मेरी धीमी और मंद होती जा रहीं जबकि मेरी नब्ज़ ने फड़कना बन्द कर दिया है अब ये कैसे तय हो कि मै कितनी देर या कितने दिन और जीता रहूगा ? और मानलो मरना ही पढ़ा तो मेरा अंतिम क्षण कौनसा होगा ©Parasram Arora कैसे तय हो?
कैसे तय हो?
read moreMohan Sardarshahari
कुछ लोगों का व्यक्तित्व रोजमर्रा काम करते हुए भी खास छाप छोड़ जाता है। ऐसा ही व्यक्तित्व था किशोर कुमार सारस्वत,रतनगढ ( किशोर )काउंटर कैशियर का। वह जब लेन-देन के समय नोट गिनता था तो उसकी बोडी में एक आकर्षक लय पैदा होती थी और मैं उसको देख कर आनंदित होता था। यों लगता था जैसे यह पैसे गिनने की मशीन ही है । वह अपने काम को आन्दित होकर करता था और जैसे ही उसके पास लाईन कम होती तो दूसरी लाईन में दूर खड़े ग्राहक को आवाज देकर अपनी लाईन में बुला लेता था । हमेशा चेहरे पर एक ताजगी भरी मुस्कराहट रहती थी। सब से हंस कर उनकी बात सुनता और यथासंभव समस्या का हल भी बताता था। आज भी मैं जब भी किसी बैंक में जाता हूं तो हर काउंटर पर नजर डालता हूं कि क्या पता कहीं कोई किशोर जैसा दिख जाये।। ©Mohan Sardarshahari कोई किशोर जैसा दिख जाये
कोई किशोर जैसा दिख जाये
read moreF M POETRY
green-leaves सिर्फ यह एक काम हो जाये.... ज़िन्दगी तेरे नाम हो जाये.... लोग मुझको कहें तिरा आशिक.... मेरा ऊँचा मक़ाम हो जाये.... यूसुफ़ आर खान... ©F M POETRY #GreenLeaves मेरा ऊँचा मक़ाम हो जाये....
#GreenLeaves मेरा ऊँचा मक़ाम हो जाये....
read moreचेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज
New Year 2024-25 कैसे कहूंँ अलविदा -- 2024 _______________________ हे दिसंबर ! कैसे कहूँ अलविदा --2024 जाते जाते कितनों के आंँखें कर गए नम माना कि मेरे हिस्से में आई हैं खुशियांँ, खुशियांँ भी मना न पाऊंँ जाने कितने को दे गए हो गम हे दिसंबर ! तुम्हें कैसे कहूंँ अलविदा-- 2024 भूल से भी ना भूलेगा मिटे से भी ना मिटेगा ज़ख्म है कितना गहरा , बेखबर हो गए हो तुम क्या जानो ! जाने कितनों की सांँसे थम गईं हे दिसंबर ! कैसे कहूंँ अलविदा -- 2024 कपकपाती काया के रूह से पूछो- जाते जाते कितने को दर्द दे गए सिलते सिलते जाने कितने की उंगलियांँ जम गईं हे दिसंबर! कैसे कहूंँ अलविदा - 2024 (मौलिक रचना) चेतना प्रकाश चितेरी , प्रयागराज , उत्तर प्रदेश ३१/१२/२०२४ , ११:०८ पूर्वाह्न ©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज # कैसे कहूंँ अलविदा -- 2024
# कैसे कहूंँ अलविदा -- 2024
read moreParasram Arora
Unsplash कैसे पता लगे कि कौनसी बात न्याय संगत है और कौनसी बात व्यर्थ कागज़ी फूलों पर तुमने कभी किसी भवरे को बैठते हुए देखा है क्या? ©Parasram Arora कैसे पता लगे?
कैसे पता लगे?
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