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नेहा
आज फिर घर में पानी घुस आया है, नदी का पानी फिर चढ़ आया है। मुन्नी का खिलौना कहीं गुम हो गया है, मुन्ने का बिछौना भीग गया है, माँ की आँखों मैं फिर पानी भर आया है, पिता आज फिर खाली हाथ लौट आया है। बाबा को भीगे रहने से बुखार आया है, हर तरफ बीमारी और भुखमरी का साया है। बाढ़ ग्रस्त इलाके का ये नज़ारा है। हैलीकॉप्टर ऊपर से दौरा कर लौट आया है। बहती जिंदगी को बचाने आखिर किसने हाथ बढ़ाया है। #बाढ़ #बहती जिंदगी #नदीऔरज़िदंगी #yourqutedidi #yqquotes #yqhindi
Rupam Jha
व्यथित मन से कर रही हूं पुकार, ये कैसा प्रलय झेल रहा है बिहार, पहले सुखाड़ तत्पश्चात विकराल बाढ़, मासूमों को छीन गया पहले ही चमकी बुखार, दंश लू का चला ऐसा,जाने कितनी चली गयी, रोई बिलखी माँओ की आँचल बस भींग के रह गयी, कोई न सुना दुखड़ा, उनकी गोद सूनी हो गयी, इलाज़ के अभाव में बच्चों को बेमौत मौत मिल गयी, जाने क्या गलती हुई,क्यों कर रहा प्रकृति खिलवाड़, और नेत्र मूंदे सत्ता पर मौन बैठी है यहां की सरकार, जनता की कोई सुध नहीं है करती नहीं कोई प्रतिकार, बच्चे-बूढ़े तड़प रहे हैं,मिल न रहा है उनको आहार, सुशासन बाबू आत्ममुग्ध हो गए,अब आस ही न किया जाएं, सोये रहने दे उन्हें,उनके तंद्रा को न भंग न किया जाएं, बस प्रार्थना अब तुमसे करती हूं भगवन,दुःख मासूमों का सुना जाएँ, बहुत हो गया इम्तेहान अब कुछ रहम भी तो किया जाएं!🙏 आत्ममुग्धता के मारे क्या किसी की सुधि लेंगे,वो तो बस सत्ता की लिप्सा से ग्रसित हैं,बाकी भाषणबाजी जितना कर लें!पहले लू और अब बाढ़ की चपेट में सैकड़ों मासूम आ रहे हैं 😢और तथाकथित राहत कार्य भी चल रहा!जो हर बाढ़ पीड़ित गांव तक भी नहीं पहुँच पा रहा!सरकारी अफसर इतने सक्रिय हैं कि तटबंध तक टूटने की खबर नहीं थी और न जनता को आगाह कर सके!मध्यरात्रि को इस प्रकार बाढ़ की वेग आयी कि कितनों को अपना ग्राह्य बना चली गयी और ये वाकया अभी रुकने वाला कहाँ है ये तो बस शुरुआत है अभी तो बाढ़ जाते जाते अपने साथ कितनी बीमारि
Nammy S
ये मौसम बारिशों का है पूरी होती ख्वाहिशों का है मेरे सब्र का बांध न तोड़ो अब ये सन्नाटा बस बाढ़ के पहले का है ये मौसम बारिशों का है। #बारिश #इंतेज़ार #बाढ़ #सब्रकाबाँध #उम्मीद
vinay vishwasi
आज का दोहा दिनांक - २७/०७/२०२० कोरोना के साथ ही,पड़ी बाढ़ की मार। एक साथ कैसे लड़े, जनता है लाचार।।९३।। #दोहा #बाढ़ #विश्वासी
LOL
हर आँख नम है यहाँ हर शख्स शायद रोया है जाने कितने आशियाने बह गए कितनों ने जिन्दगी को खोया है चलता-फिरता हिन्दोस्तां मेरा देखो पानी में सोया है.. सड़कें हो गयी हैं समंदर एक से हो गए हैं जल-थल जाने कब आये दिन वो मंगल जब बरखा थाम ले ये अम्बर देश के कोने-कोने ने हर पल जल प्रकोप को ढ़ोया है.. ऐ सियासतगार तू बस ऊँचाई से हाथ हिलाता है आम इंसां के दर्द को वहाँ से खाक देख-सुन पाता है तू दौलत का है सिर्फ पुजारी तेरा भला क्या जाता है.. जमीं की हकीकत तू क्या जाने तूने महलों को बोया है चुल्लू भर जुमलों से बस तूने अपना मुँह ही धोया है.. चलता-फिरता हिन्दोस्तां मेरा देखो पानी में सोया है.. -KaushalAlmora #हकीकत #केरल #बाढ़ #सियासत #yqdidi #yqbaba #life #whocares
sandy nai
सावन के झूलें में नदिया झूम रही है, कितने आशियानें बह रही है, नजरें जिधर भी घूम रही है...!! ©sandy nai #sandynai #vichaar #बाढ़ #flood Divya Joshi jaspaljit Consciously Unconscious Saurav life Anshu writer Dr Priyanka Priyam
Sanjeev Jha
नहीं समझे क्या बंधु हमारी बात समझनेवाली है गंगा उमड़ने-घुमड़ने लगी है फसलों को अपने गर्भ में सामने लगी है खेत के रकबे कम होने लगे हैं जलप्लावन के दृश्य झलकने लगे हैं मूंग की फसल गलने लगी है परवल पीली हो सड़ने लगी है टाट पर कौवा लाश का इंतजार कर रहा लोगबाग नाव की छेद भर रहा बोरे में उपज भरी जा रही है झोले में मुढ़ी कसी जा रही है नहीं समझे क्या बंधु हमारी बात समझनेवाली है बच्चे किनारे के पानी में अठखेलियों में मशगूल अब कहां दियारा में गुबार और धूल चप्पल और तलवे के बीच कीचड़ फंस रहा है धोने को अगले कदम ही पानी मिल रहा है अब भी नहीं समझे क्या बंधु हमारी बात समझनेवाली है खुशी अब विदा लेनेवाली है बंधु,,,,बाढ़ आनेवाली है ©SANJEEV JHA #बाढ़ #MahaKumbh2021
Ajayy Kumar Mahato
प्रेम रस पान अभी तक मैंने किया नहीं, प्रेमरस के बाढ़ में डूबी हो कभी मैं वो धरा नहीं।। ©Ajay #प्रेमरंग #प्रेमरस #बाढ़ #धरा #Love #Lovable #alonesoul SUFIYAN"SIDDIQUI" BELINDA INDA पंडित नरेन्द्र द्विवेदी bipin Pandey Yogesh Bipul Singh
Ajayy Kumar Mahato
गलती तेरा था या मेरा रिस्ता तो हमारा था, बह गया जो तिनके सा वो घर तो हमारा था। तु मोबाइल पे फ़ोटो देख अफ़सोस करता रह गया, गलती सबकी है पर देखो तिनके सा मेरा घर बह गया। सोच के देखो तो ज़रा मैं कितना बेसहारा था, बाढ़ में भी तृष्णा न मिटी मैं कई बार प्यासे मरा था। बहा ले गया जो घर मेरा, शायद वो बाढ़ ही आवारा था तुम दोषारोपण करना भूल जाना मैं प्रकृति का या किस्मत का मारा था। बाढ़ में बह गया जो तिनके सा, वो सपनो का घर तो हमारा था। ©Ajay गलती तेरा था या मेरा रिस्ता तो हमारा था, बह गया जो तिनके सा वो घर तो हमारा था। तु मोबाइल पे फ़ोटो देख अफ़सोस करता रह गया, गलती सबकी है पर देखो