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Bhumi Saini

सर्वगुण संपन्न #Society

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Monika Garg

सर्वगुण संपन्न #Lumi #समाज

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सीमा की सास आज सुबह से ही बड़बड़ कर रही थी,"हाय पता नही कैसी मनहूस हमारे पल्ले पड़ गयी है । कोई काम सही ढंग से नही करना आता ।बता मठरिया बनाने मे भी कोई मंतर पढ़ने थे क्या । मां ने कुछ सीखाया हो तो कुछ आये।भाग फूट गये हमारे जो ऐसी बहू पल्ले पड़ी है।"
सीमा की सास का आज पारा हाई था क्योंकि आज सीमा से नमक पारे बनाते समय थोड़े जल गये थे।वो भी क्या करती सारे घर का काम उसी के ऊपर था।उसका एक साल का बेटा भी था जिसे सम्हालना भी पड़ता था।और सास टीचर थी सुबह ही स्कूल जाते समय सीमा की सास ये कह गयी थी ,"सुन मिननी आये गी उसके लिए नमकपारे और कचोरी बना दियो।मै स्कूल जा रही हूं।दोपहर मे आते समय सामान ले आऊंगी।इतने सारा काम करके रहियो।"
सीमा की सास जैसे नौकर को सुना कर जाते है ऐसे हुक्म सुना कर चली गयी।सीमा बेचारी के लिए इतना काम बढ़ गया था कि पूछो मत।ननद का परिवार,और सीमा ,उसके पति , बच्चा,और एक दो रिश्तेदार और आये हुए थे ।वो बेचारी भाग भाग कर सारे घर का काम करती रही ।बेटे को दूध पिला कर सुला दिया था अब दोपहर के खाने की तैयारी कर रही थी तभी मिननी उसकी ननद उसका हाथ बंटाने रसोईघर मे आ गयी ।सीमा को लगा चलों अगर ननद ये सम्भाल लेगी तो वो नमकपारे और कचोरी अराम से बना लेगी। लेकिन उसका मन जब खराब हो गया जब उसने सास को ननद को इशारा करते देख लिया कि तू छोड़ के आ जा बाहर ये अपनेआप बना लेगी।सीमा की आंखों मे पानी आ गया कि देखो कैसा ससुराल मिला है इन्हें बहू थोड़े ही चाहिए थी इन्हें तो नौकरानी चाहिए थी। लेकिन फिर भी उसपर सर्वगुणसंपन्न का ठप्पा नही लगा था ।सभी उसे सर्वगुण संपन्न कहते थे लेकिन सास के मुंह से हमेशा ही उसके लिए अपमान जनक शब्द ही निकले।
सीमा ने कचोरी तो बना ली लेकिन जब आधे नमकपारे बना चुकी तो उसका बेटा उठ गया ।अब एक हाथ से बेटे को पकड़े हुए और दूसरे हाथ से कलछी चलाते हुए सीमा का ध्यान कढ़ाई से हट गया और तेल उछलकर उसके हाथ पर गिर गया।सीमा कढ़ाई मे नमकपारे छोड़ कर बाथरूम मे भागी ताकि पानी मे हाथ दे सके।पीछे से नमकपारे जल गये।उसकी सास को जब बदबू आई जलने की तो वो रसोई की तरफ भागी।जब देखा नमकपारे जल गये है तो फिर क्या था ऐसा क्लेश रचा जो अभी तक जारी था।दिनेश सीमा का पति जब काम से लौटा तो सास दरवाजे पर ही बैठी थी उसके आते ही बोली,"भाई रे।तेरी बीवी को बिल्कुल भी अक्ल नही है मिननी के लिए नमकपारे बनवाएं थे सारे जला दिए।"
दिनेश ने अंदर जाकर देखा तो दंग रह गया।पूरी बड़ी परात कचौरियों से भरी थी और छोटी नमकपारे से थोड़े से जले हुए एक कटोरे मे रखे थे जिसे सास ने सारे गली पड़ोस को दिखा दिया था कि देखो हमारी बहू को तुम लोग अच्छी , सर्वगुण संपन्न मानते हो।देखो उसके ये गुण।कैसे ननद को देने के नाम पर नमक पारे जला दिये। 
  दिनेश ने सीमा को ही चुप रहने को कहा।ननद सब खाने पीने का सामना लेकर ससुराल चली गयी । वहां जब उसकी सास ने कचोरी खाई तो दंग रह गयी ।बार बार यही कह रही थी,"मिननी बेटा । तुम्हारी भाभी के हाथ मे तो अन्नपूर्णा का वास है कितना स्वाद भरा है उसके हाथों मे । तुम्हें भी तो आती होगा ये सब ऐसा करना जब सरला आये तो उसके लिए ऐसे ही कचोरी बना देना उसके लिए।
  अब बारी मिननी की थी वह मां को मन ही मन कोसने लगी ,"काहे मां भाभी को कहती कचोरियों के लिए।और काहे मेरी सास मुझे कहती।" उधर मिननी की सास बार बार कह रही थी कचोरी बनाने के लिए।उसने मां को फोन लगाया,"मां तुम ने तो गृहस्थी मे देखा ही होगा।काम कैसे करते है ।मेरे से इतना काम नही होगा मेरी सास बार बार कमला दीदी के लिए कचोरी बनाने को बोल रही है।"
  अगले दिन सीमा की सास और पति लड़ने जा रहे थे मिननी की ससुराल कि तुम ने हमारी बेटी को इतना काम क्यों बताया।अब सीमा मन ही मन सोच रही थी "मै सर्वगुण संपन्न हूं या मिननी पर उसको कोई जवाब नहीं मिल रहा था।

©Monika Garg सर्वगुण संपन्न 

#Lumi

Gyanendra Kumar

शारदीय नवरात्र संपन्न #nojotophoto

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 शारदीय नवरात्र संपन्न

Parasram Arora

फर्क क्या है? फासला क्या है?

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असल  मे मरघट   और  महल का फासला
उनके लीए ही है जिनके मन मे महल की
आकांशा है
मरघट और महल मे कोई फासला नही है
फासला हमारी आकांक्षाओं मे है
हम महल चाहते हैँ... मरघट हम नही चाहते
इसीलिए फासला है.
जहा महल खड़े हैँ  वहा मरघट बहुत बार बन चुके
जहाँ.मरघट बने हैँ  वहा  बहुतपहले महल
बन कर गिर चुके हैँ
और सब महल अंततः मरघट बन जाते है
और सब मरघटोपर  महल खडे हौ जाते हैँ
फर्क क्या है? फासला  क्या है?

©Parasram Arora फर्क क्या है?  फासला क्या है?

CA VASUDEV

मजिलें क्या है, रास्ता क्या है हौसला है तो फिर फ़ासला क्या है , #Motivational

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Mr.Duke

क्या क्या है????? #ShahRukhKhan #शायरी

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गुलाब, ख़्वाब, दवा, जहर,जाम,क्या~क्या है।
मैं आ गया हूं महफ़िल में,बस बता

©Mr.Duck~AK Shayar क्या क्या है?????

#ShahRukhKhan

Sajid khan sajid khan

क्या बात है क्या #अनुभव #nojotovideo

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Deepak Namdev

क्या क्या होता है #Gif

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बस देखते जाओ.....
क्या - क्या होता है | #gif क्या क्या होता है

Ek villain

# वास्तविक संपन्न ता #FadingAway

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वास्तविक संपन्न ता समृद्धि या संबंधों का सृजन स्वर प्रथम हमारे मानस पटल पर होता है समाज का यही मुख्य दृष्टिकोण है कि जिसके पास भौतिक संपत्ति अधिकार तो धनसंपदा होती है वही संपन्न है इसके विपरीत यदि हम अपने आध्यात्मिक ग्रंथों पर दृष्टिपात करें तो उन का सिद्धांत भौतिक सिद्धांत से विपरीत है हमारे मनीषियों ने मानसिक रूप से समृद्ध व्यक्तियों को वास्तविक धनी माना है यदि मनुष्य अतिरिक्त रूप से समृद्ध एवं संतुष्ट नहीं है तो बाहर की भौतिक समृद्धि भी उसे सुख की अनुभूति नहीं कर सकती हम देखते हैं कि समाज में कुछ लोग के पास भौतिक सुख-सुविधाओं की कोई कमी नहीं होती परंतु वह फिर भी अपने जीवन से संतुष्ट नहीं होते अत्यधिक पर सिद्दीकी व्यर्थ कामना उनके मानसिक पटेल को अशांत और तनावग्रस्त बना देती है इसके विपरीत धन के अभाव में भी जो व्यक्ति आंतरिक रूप से संतुष्ट है जिसने अपनी वर्तमान स्थिति और वास्तविकता के साथ ही संतुलित स्थापित कर लिया है वही व्यक्ति संपदा के अभाव में भी सुखी है मानसिक संतुष्टि को हमारे ग्रंथों में स्वर ऊपरी धन माना गया है जो लोग सदैव भौतिक संसाधनों की लिफाफा में लिप्त रहते हैं वह अत्यधिक लोभ लालच के विषय भूत होकर उस पर संपदा के आनंद की भी अनुभूति नहीं कर पाते जो उनके पास होती है अपनी अंतहीन कृष्णा से सप्तम ऐसे लोग मानसिक रूप से दिन नेता की श्रेणी में आते हैं हमारे दार्शनिक का कहना है कि जिस मनुष्य की प्रशंसा अपार हो गई और वह दुनिया का सबसे बड़ा निर्धन है ऐसे व्यक्ति अपने जीवन में कभी भी आंतरिक रूप से आनंद का अनुभव करने में सक्षम नहीं हो सकता स्पष्ट यही है कि हमारी मानसिक अवस्था हमारी समृद्धि तथा धीरे ताकि निर्धनता को महत्वपूर्ण कारक है जो व्यक्ति बिना किसी विषाद के सुकून से सो रहा है वही वास्तविक रूप से समृद्धि का प्रयास है वास्तव अतिरिक्त और मानसिक रूप से परिपूर्ण हो ना ही संपन्न ता का चरम उत्कर्ष है

©Ek villain # वास्तविक संपन्न ता

#FadingAway

Deepak Pandit

मंजिलें क्या है, रास्ता क्या है? हौसला हो तो फासला क्या है #Shayari

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