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Stories related to कोना

BANDHETIYA OFFICIAL

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset सफर हमसफ़र है, खतम ही न होना,
जान कहके कुछ इसमें भी कोना ,
और कोना हर कोने का रोना।

©BANDHETIYA OFFICIAL #SunSet #कोना

theABHAYSINGH_BIPIN

#sad_shayari वफ़ा को ढूँढ़ना बेमानी सा लगता, दिल का ये ख्वाब पुराना सा लगता। खुद को संभालूं या शिकवे लिखूं, हर दर्द अब एक फसाना सा लगता।

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White वफ़ा को ढूँढ़ना बेमानी सा लगता,
दिल का ये ख्वाब पुराना सा लगता।
खुद को संभालूं या शिकवे लिखूं,
हर दर्द अब एक फसाना सा लगता।

इश्क़ सिर्फ कहानी सा लगता है,
ग़म अब निशानी सा लगता है।
कौन चाहता है ज़ख्मों को भरना,
दर्द-ए-दिल अब रूहानी सा लगता है।

आँखों में न कोई ख्वाब अब बाकी है,
दिल का हर कोना खाली सा लगता है।
जिनसे उम्मीदें थीं, वो पराये निकले यारो,
ज़िंदगी भी अब तूफानी सा लगता है।

हर राह में बस सन्नाटा सा है,
हर कदम पर धोखे का साया सा है।
जिनसे दिल लगाया, वही दूर निकले,
अब हर रिश्ता अफ़साना सा है।

इश्क़ अब सिरफिरा सा खेल लगता है,
हर कदम पर ये जाल सा बिछता है।
फिर भी दिल क्यों लौट जाता है वहीं,
जहाँ हर दर्द अब रूहानी सा लगता है।

©theABHAYSINGH_BIPIN #sad_shayari 

वफ़ा को ढूँढ़ना बेमानी सा लगता,
दिल का ये ख्वाब पुराना सा लगता।
खुद को संभालूं या शिकवे लिखूं,
हर दर्द अब एक फसाना सा लगता।

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर लफ़्ज़ दिल में थे, वो कागज़ पे आ न सके, ख़ामोशी में ही दबी सारी कहानी हो गईं। शाम-ए-ग़म में जलाए थे जो उम्मीद के चराग़, वो भी

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Unsplash लफ़्ज़ दिल में थे, वो कागज़ पे आ न सके,
ख़ामोशी में ही दबी सारी कहानी हो गईं।

शाम-ए-ग़म में जलाए थे जो उम्मीद के चराग़,
वो भी बुझते-बुझते बस एक निशानी हो गईं।

इश्क़ में लिखते रहे हम हज़ारों किस्से,
मगर सच्चाई में वो सब बेमानी हो गईं।

वो कसमें, वो वादे, वो लम्हों की गहराइयाँ,
अब किताबों की तरह बंद कहानी हो गईं।

जो हमने देखा था कभी चाँद की रोशनी में,
वो उम्मीदें भी अब धुंधली कहानी हो गईं।

जिनसे रोशन था कभी हर एक कोना-ए-दिल,
वो रोशनी भी अंधेरों की मेहरबानी हो गईं।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
लफ़्ज़ दिल में थे, वो कागज़ पे आ न सके,
ख़ामोशी में ही दबी सारी कहानी हो गईं।

शाम-ए-ग़म में जलाए थे जो उम्मीद के चराग़,
वो भी

बेजुबान शायर shivkumar

// हमारे प्यारे बुजुर्ग दादाजी // उनके हाथों की लकीरों में वो " संघर्ष " की कहानी है, चेहरे की झुर्रियों में वो " अनुभव " की निशानी है

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// हमारे प्यारे बुजुर्ग दादाजी //

उनके हाथों की लकीरों में वो " संघर्ष " की कहानी है,
चेहरे की झुर्रियों में वो " अनुभव " की निशानी है ।
जिन्होंने देखा है अपने ज़माने का वो हर रंग,
वही है जीवन के असली आनंद का संग ।

चलते वक्त से " सफर " तो उनका आगे का है
हर बात में उनकी " सच्चाई " का वो अक्स उभरता है,
ज्यों चाँद का असर ।
खामोश रहते हैं, पर दिल में " ज्ञान " का समंदर है,

उनकी सलाहों में " जिंदगी " का असल वो सिकंदर है।
वो न हों तो घर वीरान सा अब लगता है,
उनकी मौजूदगी में हर कोना अब भी " महकता " है ।
 इस " परिवार " की धरोहर उनसे ही तो है 

 हमारा असली " जोहर " तो हमारे प्यारे बुजुर्ग दादाजी  हैं
हरेली तिहार से एक दिन पहले 
मैने अपने घर के सबसे बड़े 
बुजुर्ग यानी दादाजी को खोया है...

जो मेरी हर " सोच " और " सपने " ,आदि का हिस्सा थे

©बेजुबान शायर shivkumar // हमारे प्यारे बुजुर्ग दादाजी //

उनके हाथों की लकीरों में वो " #संघर्ष  " की कहानी है,
चेहरे की झुर्रियों में वो " #अनुभव  " की निशानी है
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